ETV Bharat / state

9वें दिन कश्यप और गजकर्ण पद पर होता है पिंडदान, पूर्वजों को अक्षय लोक में मिलता है स्थान - मोक्ष की नगरी गयाजी

गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला इस बार रद्द कर दिया गया है. हालांकि परंपरा अनुसार पंडा और पुरोहित यहां पिंडदान करा रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत्यु लोक से पूर्वज पृथ्वी लोक गयाजी में आते हैं. पढ़ें, 9वें दिन का महत्व...

know-importance-of-ninth-day-of-pitru-paksha-2020-in-gaya-ji
पितृपक्ष का 10वां दिन
author img

By

Published : Sep 10, 2020, 11:26 AM IST

गया: आज पितृपक्ष का 10वां दिन और मोक्ष की नगरी गयाजी में पिंडदान का 9वां दिन है. तीर्थ की नगरी गया जी में नौवें दिन कश्यप पद पर पिंडदान का महत्व है. वहीं, पिंडदान अर्पित कर गजकर्ण पद पर तर्पण करने का विधान है. इस पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों को अक्षय लोक की प्राप्ति होती है.

ईटीवी भारत विशेष

ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में भारद्वाज मुनि कश्यप पद पर श्राद्ध करने के लिए उद्यत हुए. उस समय पद को उद्भेदन से कृष्ण और शुक्ल दो हाथ निकले. उनको देखकर मुनि को संशय हुआ और अपनी माता शान्ता से पूछा कि कश्यप दिव्य से कृष्ण और शुक्ल दो हाथ निकले हैं. मैं किसको पिंड दूं. तुम ही बताओ कि मेरा पिता कौन है. उसी दौरान मां ने जवाब देते हुए कहा, 'महाप्रज्ञ भारद्वाज कृष्ण हाथ वाले को पिंडदान दो.

मुनि ने कश्यप पद पर किया पिंडदान
जब भारद्वाज कृष्ण को पिंड देने के लिए उद्दत, तब शुक्ल ने कहा कि कहा कि तुम हमारे ओरस पुत्र हो. कृष्ण ने कहा तुम हमारे क्षेत्रज हो मुझे पिंड दो. तब सवेरिणी ने कहा कि क्षेत्रज और वीर्यज दोनों को पिंड दो. इसके बाद भारद्वाज मुनि ने कश्यप पद पर पिंड दिया. ऐसा करने से दोनों हंसयुक्त विमान से ब्रह्मलोक चले गए.

यहां हमेशा के लिए बस गए देवता...
नौवें दिन का श्राद्ध 16 वेदी नामक तीर्थ से करें. यह तीर्थ विष्णुपद मंदिर प्रांगण में छोटे अक्षयवट से उत्तर में है. विष्णुपद से पूर्व दिशा में है 16 वेदी गयासुर के सिर पर रखी गई धर्मशिला पर हैं. ब्रह्मा जी के किए गए यज्ञ में गयासुर के सिर पर परम पावन धर्मशिला रखी गई थी. धर्मशिला पहले मरीचि ऋषि की पत्नी धर्मव्रता थीं. जो पति के श्राप से धर्मशिला हो गई. गयासुर और धर्मशिला को वरदान प्राप्त हैं कि उसके ऊपर श्राद्ध करने वाले के पितरों का उद्धार होगा. यहां सभी तीर्थों पर देवता हमेशा निवास करेंगे.

  • पिंडदान अर्पित कर कण्वपद, दधीचि पद, कार्तिक पद, गणेश पद तथा गजकर्ण पद पर दूध ,गंगा जल या फल्गू नदी के पानी से तर्पण करना चाहिए.
  • अंत में कश्यप पद पर श्राद्ध करके कनकेश, केदार और वामन की ओर उत्तर मुख हो कर पूजा करने मात्र से पितर तर जाते हैं.

रद्द हुआ पितृपक्ष मेला 2020
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस साल विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का आयोजन रद्द कर दिया गया है. वर्चुअल (ऑनलाइन) पिंडदान करवाया जा रहा है. इसको लेकर स्थानीय पंडा और पुरोहितों ने विरोध भी दर्ज करवाया है. पढ़ें ये खबर...

गयाः लॉकडाउन में ई-पिंडदान पर संशय, पंडा समुदाय कर रहा है विरोध

गया: आज पितृपक्ष का 10वां दिन और मोक्ष की नगरी गयाजी में पिंडदान का 9वां दिन है. तीर्थ की नगरी गया जी में नौवें दिन कश्यप पद पर पिंडदान का महत्व है. वहीं, पिंडदान अर्पित कर गजकर्ण पद पर तर्पण करने का विधान है. इस पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों को अक्षय लोक की प्राप्ति होती है.

ईटीवी भारत विशेष

ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में भारद्वाज मुनि कश्यप पद पर श्राद्ध करने के लिए उद्यत हुए. उस समय पद को उद्भेदन से कृष्ण और शुक्ल दो हाथ निकले. उनको देखकर मुनि को संशय हुआ और अपनी माता शान्ता से पूछा कि कश्यप दिव्य से कृष्ण और शुक्ल दो हाथ निकले हैं. मैं किसको पिंड दूं. तुम ही बताओ कि मेरा पिता कौन है. उसी दौरान मां ने जवाब देते हुए कहा, 'महाप्रज्ञ भारद्वाज कृष्ण हाथ वाले को पिंडदान दो.

मुनि ने कश्यप पद पर किया पिंडदान
जब भारद्वाज कृष्ण को पिंड देने के लिए उद्दत, तब शुक्ल ने कहा कि कहा कि तुम हमारे ओरस पुत्र हो. कृष्ण ने कहा तुम हमारे क्षेत्रज हो मुझे पिंड दो. तब सवेरिणी ने कहा कि क्षेत्रज और वीर्यज दोनों को पिंड दो. इसके बाद भारद्वाज मुनि ने कश्यप पद पर पिंड दिया. ऐसा करने से दोनों हंसयुक्त विमान से ब्रह्मलोक चले गए.

यहां हमेशा के लिए बस गए देवता...
नौवें दिन का श्राद्ध 16 वेदी नामक तीर्थ से करें. यह तीर्थ विष्णुपद मंदिर प्रांगण में छोटे अक्षयवट से उत्तर में है. विष्णुपद से पूर्व दिशा में है 16 वेदी गयासुर के सिर पर रखी गई धर्मशिला पर हैं. ब्रह्मा जी के किए गए यज्ञ में गयासुर के सिर पर परम पावन धर्मशिला रखी गई थी. धर्मशिला पहले मरीचि ऋषि की पत्नी धर्मव्रता थीं. जो पति के श्राप से धर्मशिला हो गई. गयासुर और धर्मशिला को वरदान प्राप्त हैं कि उसके ऊपर श्राद्ध करने वाले के पितरों का उद्धार होगा. यहां सभी तीर्थों पर देवता हमेशा निवास करेंगे.

  • पिंडदान अर्पित कर कण्वपद, दधीचि पद, कार्तिक पद, गणेश पद तथा गजकर्ण पद पर दूध ,गंगा जल या फल्गू नदी के पानी से तर्पण करना चाहिए.
  • अंत में कश्यप पद पर श्राद्ध करके कनकेश, केदार और वामन की ओर उत्तर मुख हो कर पूजा करने मात्र से पितर तर जाते हैं.

रद्द हुआ पितृपक्ष मेला 2020
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस साल विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का आयोजन रद्द कर दिया गया है. वर्चुअल (ऑनलाइन) पिंडदान करवाया जा रहा है. इसको लेकर स्थानीय पंडा और पुरोहितों ने विरोध भी दर्ज करवाया है. पढ़ें ये खबर...

गयाः लॉकडाउन में ई-पिंडदान पर संशय, पंडा समुदाय कर रहा है विरोध

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.