रांची: राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) की दो दिवसीय अधिवेशन के दूसरे दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हुआ. इसमें केएन त्रिपाठी राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए. केएन त्रिपाठी कांग्रेस नेता हैं. वहीं राष्ट्रीय महासचिव के पद पर केके तिवारी को फिर चुना गया है.
श्रम कानूनों का पालन
मौके पर मौजूद श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने भरोसा दिलाया कि प्रदेश में यदि कहीं भी यदि मजदूरों को उचित मजदूरी नहीं मिलती है या श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जाता है, तो उनके संज्ञान में लाने का काम करें. ताकि मजदूरों को उनका हक मिल सके. उन्होंने आग्रह किया कि झारखंड प्रदेश के साथ-साथ समूचे देश में श्रम कानूनों का पालन किया जाए.
मजदूरों के हक में लड़ाई
राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद के एन त्रिपाठी ने जनरल असेंबली और उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए इस विश्वास के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि देश विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा है क्योंकि लाखों किसान अभी कड़ाके की ठंड में खुली रात में सड़क पर हैं. महात्मा गांधी ने मजदूरों के हक की लड़ाई के लिए आजादी की लड़ाई शुरू की थी. वर्तमान परिस्थितियां ऐसी हैं कि देश उसी लड़ाई को फिर से लड़ने जा रहा है.
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अंबानी और अडानी के फायदे का कानून
के एन त्रिपाठी ने मजदूरों के 27 कानूनों को इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बनाने को मजदूर विरोधी बताया. उन्होंने इस कानून को लाने का कड़ा विरोध किया. पहले ट्रेड यूनियनों से सलाह तक नहीं लिया गया, जो अलोकतांत्रिक है. उन्होंने कृषि कानूनों में बदलाव पर भी कड़ा ऐतराज जताते हुए इसे केवल और केवल अंबानी और अडानी के फायदे का कानून करार दिया.
पीएम के सामने 17 सूत्री मांगों को रखा
मौके पर इंटक के राकेश शेट्ठी ने कहा कि जब कोरोना का संकट हुआ, तो सरकार ने मजदूरों की कोई मदद नहीं की. शेट्ठी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार मजदूरों का शोषण होने दे रही है. केवल दो परिवारों अंबानी और अडानी को फायदा पहुंचाया जा रहा है. इंटक के जनरल असेंबली ने मजदूर हित में भारत के पीएम के सामने 17 सूत्री मांगों को रखा.
ये रही मांग
संस्थानों में अनुबंध कर्मियों को कम से कम 25 हजार न्यूनतम वेतन किए जाने, मजदूरों का पलायन रोकने, नीति आयोग में कामगारों, किसानों को प्रतिनिधित्व प्रदान करने, समान कार्य समान वेतन व्यवस्था को लागू करने, बंद की गई पुरानी पेंशन व्यवस्था के लागू करने, मजदूरों की आर्थिक दशा में सुधार के लिए उचित मानदेय के साथ बुनियादी सुविधा शिक्षा चिकित्सा बिजली आदि देने की मांग की है.