रांची: झारखंड के वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों में पशु और कुक्कुट पालन आजीविका एवं पोषणयुक्त खाद्य उत्पादन का महत्वपूर्ण स्रोत है. जलवायु परिवर्तन एवं महामारी आदि वैश्विक खतरों के कारण इस क्षेत्र की महत्ता बढ़ी है और अपार संभावनाएं है. इस क्षेत्र में रोजगार सृजन, उद्यमिता और दक्षता विकास के लिए किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से पशुपालन क्षेत्र में उद्यमिता विकास विषयक मेला का आयोजन किया जा रहा है.
एक दिवसीय किसान मेला का आयोजन
आईसीएआर–भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएबी), गढ़खटंगा, रांची एवं पशु चिकित्सा संकाय, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 16 दिसंबर को वर्चुअल माध्यम से इस एक दिवसीय किसान मेला का आयोजन किया हो रहा है. कोविड-19 की वजह से मेले का आयोजन वर्चुअल माध्यम से रखा गया है. इस मेले में भाग लेने के लिए http://forms.gle/PXUHSnzsivE1KK4o9 पर क्लिक कर रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है.
किसानों को जागरूक करने के लिए मेले का आयोजन
मेला के सबंध में आईआईएबी के निदेशक डॉ. अरुनव पटनायक ने बताया कि पशु एवं कुक्कुट पालन के माध्यम से छोटे एवं मध्यम वर्ग के किसानों की तरफ से धन सृजन की संभावनाओं एवं इसके लिए केंद्रीय और राज्य की योजनाओं से किसानों को जागरूक करने के लिए इस मेला का आयोजन किया जा रहा है. डीन वेटनरी डॉ. सुशील प्रसाद ने बताया कि मेला में पशुपालन से जुड़े उद्यमियों के लिए राज्य स्तरीय योजनाओं, झारखंड की छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों के लिए पशु एवं कुक्कुट पालन के क्षेत्र में उद्यमों का सुनहरा अवसर और पशुपालन में उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले केंद्रीय योजनाओं विषयों पर चर्चा होगी.
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पशु एवं कुक्कुट पालन के क्षेत्र में अवसर
मेला के मुख्य संरक्षक बीएयू कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि वर्तमान में भारत दुग्ध उत्पादन में दुनिया का अग्रणी देश है. मांस और अंडा उत्पादन में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. झारखंड प्रदेश में इस क्षेत्र में बेहतर करने के अपार संभावनाएं है. किसानों के लिए पशु एवं कुक्कुट पालन के क्षेत्र में उद्यमों का अनेकों अवसर है. बीएयू का पशु चिकित्सा संकाय की ओर से प्रदेश के किसानों की आजीविका और पोषण सुरक्षा के लिए पशु और कुक्कुट पालन के क्षेत्र में अनेकों संरचनात्मक और कार्यात्मक की दिशा में प्रयास किये जा रहे है. आईआईएबी, रांची एवं बीएयू के संयुक्त प्रयास से प्रोद्योगिकी आधारित कृषि विकास को बढ़ावा देने का यह प्रयास है.