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झारखंड में तेजी से बढ़ रही किडनी संक्रमित मरीजों की संख्या, डॉक्टरों की कमी के चलते हो रही भारी परेशानी - किडनी की बीमारी का इलाज

झारखंड में किडनी संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. राज्य में किडनी संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों की भारी कमी है. यही वजह है कि मरीज प्राइवेट अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हैं. सदर अस्पताल में डायलिसिस की व्यवस्था शुरू हुई है लेकिन मरीजों के लिए यह रेट भी ज्यादा है.

kidney patients treatment in jharkhand
झारखंड में किडनी मरीजों का इलाज
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Published : Aug 3, 2021, 8:29 PM IST

Updated : Aug 3, 2021, 10:32 PM IST

रांची: पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी गुर्दे यानी किडनी रोग से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. किडनी रोग विशेषज्ञों (NEPHROLOGIST) की मानें तो डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की वजह से ज्यादातर लोग किडनी की बीमारी से ग्रसित होते हैं. किडनी खराब होने का मुख्य कारण यह भी है कि लोग बिना डॉक्टर की सलाह के कई ऐसी दवाओं का सेवन करते हैं जो सीधा किडनी पर असर करता है. यह वजह है कि झारखंड में किडनी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

यह भी पढ़ें: कोरोना संक्रमित लोगों को किडनी का ध्यान रखना चाहिए : विशेषज्ञ

डॉक्टरों की कमी के चलते हो रही परेशानी

झारखंड की बात करें तो राज्य में किडनी रोग विशेषज्ञ की भारी कमी है और किडनी की बीमारी का इलाज करने वाले स्वास्थ्य संस्थाएं भी काफी कम है. हजारीबाग से अपने परिजन का इलाज कराने आए एक शख्स का कहना है झारखंड में गुर्दा रोग (Kidney Infection) से जुड़ी बीमारियों के इलाज की व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में नहीं है. रिम्स में मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है जिसके कारण मरीज निजी अस्पतालों के भरोसे हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत गरीबों को होती है. निजी संस्थान मनमाना पैसा वसूलते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

किडनी खराब होने के बाद मरीज को डायलिसिस की आवश्यकता होती है और डायलिसिस के लिए सरकारी स्तर पर झारखंड में अभी भी बेहतर व्यवस्था नहीं है. पीपीपी मोड पर झारखंड के कई सदर अस्पतालों में सस्ते दर पर लोगों को डायलिसिस मुहैया कराया जा रहा है लेकिन झारखंड के गरीब मरीजों की आर्थिक स्थिति के हिसाब से अभी भी डायलिसिस कराना महंगा पड़ रहा है. झारखंड के 16 जिलों में पब्लिक प्राइवेट मोड पर इसकेज संजीवनी नाम की कंपनी के द्वारा डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराई जा रही है. इसके लिए लोगों को 1200 रुपए प्रति डायलिसिस देने पड़ते हैं जबकि निजी क्लीनिक में ढाई हजार से तीन हजार प्रति डायलिसिस खर्च आता है.

मुफ्त डायलिसिस की व्यवस्था करने की मांग

सदर अस्पताल में अपनी मां का डायलिसिस करा रही रिया कुमारी बताती हैं मध्यम वर्ग परिवार के लिए सदर अस्पताल में तो व्यवस्था अच्छी की गई है लेकिन सरकारी स्तर पर अभी और भी बेहतर व्यवस्था की जरूरत है. झारखंड में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जिनके लिए प्रति डायलिसिस 1200 रुपये भी काफी महंगा है. वैसे लोगों के लिए सरकार को मुफ्त में डायलिसिस सुविधा देनी चाहिए. यहां डायलिसिस करा रही नुसरत प्रवीण बताती हैं कि पिछले 4 वर्षों से वह डायलिसिस करा रही हैं जिसमें 3 वर्षों तक उन्होंने निजी स्वास्थ संस्थानों में डायलिसिस कराया. लेकिन जब से सदर अस्पताल में इसकी व्यवस्था शुरू हुई है तब से उन्हें सस्ते दरों में बेहतर व्यवस्था के साथ डायलिसिस मुहैया हो जाती है.

इसकेज संजीवनी के स्टेट हेड कौशिक बासु बताते हैं कि उनकी संस्था के द्वारा डायलिसिस के मरीजों को हर संभव सुविधा मुहैया कराई जाती है. उन्होंने बताया कि यहां पर मरीजों को डायलिसिस की सुविधा काफी कम रेट में उपलब्ध है. जो मरीज बीपीएल कार्ड और आयुष्मान कार्ड के अंतर्गत आते हैं, वैसे लोगों का मुफ्त में डायलिसिस किया जाता है.

रिम्स में व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति

झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में किडनी से ग्रसित रोगियों के लिए व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति है. डायलिसिस की सुविधा तो है लेकिन डायलिसिस करने वाले टेक्नीशियन के अभाव में मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. कभी-कभी तो आम नर्सों को ही मरीजों का डायलिसिस करना पड़ता है जबकि डायलिसिस करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत होती है.

तेजी से बढ़ रही मरीजों की संख्या

झारखंड के वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एके वैद्य बताते हैं कि पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी किडनी से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. आज से 15 वर्ष पहले तक 10 मरीज होते थे तो आज की तारीख में मरीजों की संख्या हजारों में है. डॉक्टर ने बताया कि आज भी पूरे देश में किडनी रोग विशेषज्ञों की घोर कमी है. झारखंड में देखें तो धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर और रांची को छोड़कर कहीं भी नेफ्रोलॉजी नहीं हैं. इसके कारण लोगों को काफी दिक्कत होती है. डॉ. एके वैद्य बताते हैं कि अगर अच्छे नेफ्रोलॉजिस्ट सरकार के पास नहीं हैं तो कम से कम बेहतर डायलिसिस टेक्निशियन की बहाली जल्द से जल्द होनी चाहिए.

रांची: पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी गुर्दे यानी किडनी रोग से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. किडनी रोग विशेषज्ञों (NEPHROLOGIST) की मानें तो डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की वजह से ज्यादातर लोग किडनी की बीमारी से ग्रसित होते हैं. किडनी खराब होने का मुख्य कारण यह भी है कि लोग बिना डॉक्टर की सलाह के कई ऐसी दवाओं का सेवन करते हैं जो सीधा किडनी पर असर करता है. यह वजह है कि झारखंड में किडनी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

यह भी पढ़ें: कोरोना संक्रमित लोगों को किडनी का ध्यान रखना चाहिए : विशेषज्ञ

डॉक्टरों की कमी के चलते हो रही परेशानी

झारखंड की बात करें तो राज्य में किडनी रोग विशेषज्ञ की भारी कमी है और किडनी की बीमारी का इलाज करने वाले स्वास्थ्य संस्थाएं भी काफी कम है. हजारीबाग से अपने परिजन का इलाज कराने आए एक शख्स का कहना है झारखंड में गुर्दा रोग (Kidney Infection) से जुड़ी बीमारियों के इलाज की व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में नहीं है. रिम्स में मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है जिसके कारण मरीज निजी अस्पतालों के भरोसे हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत गरीबों को होती है. निजी संस्थान मनमाना पैसा वसूलते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

किडनी खराब होने के बाद मरीज को डायलिसिस की आवश्यकता होती है और डायलिसिस के लिए सरकारी स्तर पर झारखंड में अभी भी बेहतर व्यवस्था नहीं है. पीपीपी मोड पर झारखंड के कई सदर अस्पतालों में सस्ते दर पर लोगों को डायलिसिस मुहैया कराया जा रहा है लेकिन झारखंड के गरीब मरीजों की आर्थिक स्थिति के हिसाब से अभी भी डायलिसिस कराना महंगा पड़ रहा है. झारखंड के 16 जिलों में पब्लिक प्राइवेट मोड पर इसकेज संजीवनी नाम की कंपनी के द्वारा डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराई जा रही है. इसके लिए लोगों को 1200 रुपए प्रति डायलिसिस देने पड़ते हैं जबकि निजी क्लीनिक में ढाई हजार से तीन हजार प्रति डायलिसिस खर्च आता है.

मुफ्त डायलिसिस की व्यवस्था करने की मांग

सदर अस्पताल में अपनी मां का डायलिसिस करा रही रिया कुमारी बताती हैं मध्यम वर्ग परिवार के लिए सदर अस्पताल में तो व्यवस्था अच्छी की गई है लेकिन सरकारी स्तर पर अभी और भी बेहतर व्यवस्था की जरूरत है. झारखंड में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जिनके लिए प्रति डायलिसिस 1200 रुपये भी काफी महंगा है. वैसे लोगों के लिए सरकार को मुफ्त में डायलिसिस सुविधा देनी चाहिए. यहां डायलिसिस करा रही नुसरत प्रवीण बताती हैं कि पिछले 4 वर्षों से वह डायलिसिस करा रही हैं जिसमें 3 वर्षों तक उन्होंने निजी स्वास्थ संस्थानों में डायलिसिस कराया. लेकिन जब से सदर अस्पताल में इसकी व्यवस्था शुरू हुई है तब से उन्हें सस्ते दरों में बेहतर व्यवस्था के साथ डायलिसिस मुहैया हो जाती है.

इसकेज संजीवनी के स्टेट हेड कौशिक बासु बताते हैं कि उनकी संस्था के द्वारा डायलिसिस के मरीजों को हर संभव सुविधा मुहैया कराई जाती है. उन्होंने बताया कि यहां पर मरीजों को डायलिसिस की सुविधा काफी कम रेट में उपलब्ध है. जो मरीज बीपीएल कार्ड और आयुष्मान कार्ड के अंतर्गत आते हैं, वैसे लोगों का मुफ्त में डायलिसिस किया जाता है.

रिम्स में व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति

झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में किडनी से ग्रसित रोगियों के लिए व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति है. डायलिसिस की सुविधा तो है लेकिन डायलिसिस करने वाले टेक्नीशियन के अभाव में मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. कभी-कभी तो आम नर्सों को ही मरीजों का डायलिसिस करना पड़ता है जबकि डायलिसिस करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत होती है.

तेजी से बढ़ रही मरीजों की संख्या

झारखंड के वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एके वैद्य बताते हैं कि पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी किडनी से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. आज से 15 वर्ष पहले तक 10 मरीज होते थे तो आज की तारीख में मरीजों की संख्या हजारों में है. डॉक्टर ने बताया कि आज भी पूरे देश में किडनी रोग विशेषज्ञों की घोर कमी है. झारखंड में देखें तो धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर और रांची को छोड़कर कहीं भी नेफ्रोलॉजी नहीं हैं. इसके कारण लोगों को काफी दिक्कत होती है. डॉ. एके वैद्य बताते हैं कि अगर अच्छे नेफ्रोलॉजिस्ट सरकार के पास नहीं हैं तो कम से कम बेहतर डायलिसिस टेक्निशियन की बहाली जल्द से जल्द होनी चाहिए.

Last Updated : Aug 3, 2021, 10:32 PM IST
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