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राची: आरयू में 9 भाषाओं का कवि सम्मेलन, पद्मश्री मुकुंद नायक समेत कई प्रसिद्ध कवियों ने दी प्रस्तुति

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Published : Mar 19, 2021, 6:55 PM IST

आरयू के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान 45 कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी. झारखंड में जनजातीय भाषाओं को बढ़ावा देने को लेकर लगातार कई योजनाएं चलाई जा रही है.

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कवि सम्मेलन

रांची: राज्य सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद युवा कार्य विभाग और रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के संयुक्त तत्वधान में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान 9 जनजातीय भाषाओं से जुड़े कविता की प्रस्तुति 45 कवियों के ओर से दी गई.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढे़ं: रांची की महिलाएं पिंक बसों में कर सकेगी सुरक्षित सफर, नगर निगम ने की नई शुरुआत


झारखंड में जनजातीय भाषाओं को बढ़ावा देने को लेकर लगातार कई योजनाएं चलाई जा रही है. वहीं रांची विश्वविद्यालय की ओर से जनजातीय भाषा विभाग में 9 भाषाओं की पढ़ाई भी होती है. समय-समय पर विभाग विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ पठन-पाठन में भी नए-नए प्रयोग करता है. इसी कड़ी में राज्य सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय के सहयोग से जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं का एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में राज्य के जनजातीय भाषाओं से जुड़े 45 कवि शामिल हो रहे हैं. दो दिवसीय आयोजित इस सम्मेलन के दौरान पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री मधु मंसूरी भी शामिल हुए. रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रमेश कुमार पांडे, कुलपति कामिनी कुमार, शिक्षाविद करमा उरांव समेत विभाग के अध्यक्ष हरि उरांव और कई गणमान्य शामिल हुए. इस दौरान कवियों ने जनजाति भाषा से जुड़े कई कविता के जरिये समारोह में मौजूद लोगों का मन मोह लिया. इस आयोजन के जरिए विभाग के विद्यार्थियों को भी भाषा और भाषा से जुड़े कविताओं को लेकर जागरूक किया गया. वहीं दो दिवसीय आयोजन का लुफ्त उठाने को लेकर राजधानी के आम लोग पहुंच रहे हैं. इस कवि सम्मेलन के जरिए विभाग द्वारा लिखे जा रहे कविताओं, संकलन और जानकारियों को भी साझा किया जा रहा है.


गीत-संगीत और कविता के माध्यम से भावनाएं जाहिर करने की कोशिश
झारखंड की जनजातीय कवियों के ओर से हमेशा ही गीत और संगीत के साथ-साथ कविता के जरिए भी समस्याओं, राजनीतिक परिदृश्य और विभिन्न मुद्दों को लेकर चर्चाएं होते रही है. एक बार फिर जनजातीय भाषा विभाग की ओर से सम्मेलन का आयोजन कर इसकी कोशिश की गई है. मौके पर शामिल पद्मश्री मुकुंद नायक और मधु मंसूरी ने अपने गीतों के माध्यम से कई मुद्दों पर प्रकाश डाला.

रांची: राज्य सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद युवा कार्य विभाग और रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के संयुक्त तत्वधान में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान 9 जनजातीय भाषाओं से जुड़े कविता की प्रस्तुति 45 कवियों के ओर से दी गई.

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झारखंड में जनजातीय भाषाओं को बढ़ावा देने को लेकर लगातार कई योजनाएं चलाई जा रही है. वहीं रांची विश्वविद्यालय की ओर से जनजातीय भाषा विभाग में 9 भाषाओं की पढ़ाई भी होती है. समय-समय पर विभाग विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ पठन-पाठन में भी नए-नए प्रयोग करता है. इसी कड़ी में राज्य सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय के सहयोग से जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं का एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में राज्य के जनजातीय भाषाओं से जुड़े 45 कवि शामिल हो रहे हैं. दो दिवसीय आयोजित इस सम्मेलन के दौरान पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री मधु मंसूरी भी शामिल हुए. रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रमेश कुमार पांडे, कुलपति कामिनी कुमार, शिक्षाविद करमा उरांव समेत विभाग के अध्यक्ष हरि उरांव और कई गणमान्य शामिल हुए. इस दौरान कवियों ने जनजाति भाषा से जुड़े कई कविता के जरिये समारोह में मौजूद लोगों का मन मोह लिया. इस आयोजन के जरिए विभाग के विद्यार्थियों को भी भाषा और भाषा से जुड़े कविताओं को लेकर जागरूक किया गया. वहीं दो दिवसीय आयोजन का लुफ्त उठाने को लेकर राजधानी के आम लोग पहुंच रहे हैं. इस कवि सम्मेलन के जरिए विभाग द्वारा लिखे जा रहे कविताओं, संकलन और जानकारियों को भी साझा किया जा रहा है.


गीत-संगीत और कविता के माध्यम से भावनाएं जाहिर करने की कोशिश
झारखंड की जनजातीय कवियों के ओर से हमेशा ही गीत और संगीत के साथ-साथ कविता के जरिए भी समस्याओं, राजनीतिक परिदृश्य और विभिन्न मुद्दों को लेकर चर्चाएं होते रही है. एक बार फिर जनजातीय भाषा विभाग की ओर से सम्मेलन का आयोजन कर इसकी कोशिश की गई है. मौके पर शामिल पद्मश्री मुकुंद नायक और मधु मंसूरी ने अपने गीतों के माध्यम से कई मुद्दों पर प्रकाश डाला.

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