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रांची में धूमधाम से मनाया गया करम पर्व, बहनों ने भाई की सलामती की मांगी दुआ

झारखंड में बड़े ही धूमधाम से करम पर्व मनाया जाता है. रांची में बड़े ही धूमधाम से यह मनाया गया. इस दिन बहनें, भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं वहीं उनकी समृद्धि के लिए पूजा करती हैं.

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Published : Sep 10, 2019, 10:45 AM IST

रांची में करम पर्व

रांची: प्रकृति प्रेम का पर्व करम राजधानी में पूरे धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर जगह- जगह अखरा सजाया गया, जहां ढोल- नगाड़े की थाप पर आदिवासी युवक- युवतियों ने जमकर नृत्य किया. पूरे रीति-रिवाज के साथ राजधानी के विभिन्न अखरों में लोगों ने यह उत्सव मनाया गया.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ें- कर्म के महत्व को दर्शाता है करम पर्व, आज सरना स्थलों में विधि-विधान से होगी पूजा


क्यों मनाया जाता है करम पर्व
करम पर्व झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों का लोकपर्व है. यह प्रकृति की पूजा का पर्व है. इसके साथ ही यह पर्व भाई-बहन के स्नेह का त्योहार है. भाई के लिए बहनें व्रत करती हैं और भाई की सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं. इसके साथ ही हर साल बारिश में अच्छी फसल को लेकर भी करम पर्व मनाया जाता है. पूजा के दौरान करमा और धरमा नाम के दो भाइयों की कहानी भी सुनाई जाती है. जिसका सार कर्म के महत्व को समझाता है. इस कहानी को सुने बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. माना जाता है कि इस पर्व को मनाने से गांव में खुशहाली लौटती है. हर साल भादो की एकादशी शुक्ल पक्ष को यह पर्व मनाया जाता है.

रांची: प्रकृति प्रेम का पर्व करम राजधानी में पूरे धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर जगह- जगह अखरा सजाया गया, जहां ढोल- नगाड़े की थाप पर आदिवासी युवक- युवतियों ने जमकर नृत्य किया. पूरे रीति-रिवाज के साथ राजधानी के विभिन्न अखरों में लोगों ने यह उत्सव मनाया गया.

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क्यों मनाया जाता है करम पर्व
करम पर्व झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों का लोकपर्व है. यह प्रकृति की पूजा का पर्व है. इसके साथ ही यह पर्व भाई-बहन के स्नेह का त्योहार है. भाई के लिए बहनें व्रत करती हैं और भाई की सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं. इसके साथ ही हर साल बारिश में अच्छी फसल को लेकर भी करम पर्व मनाया जाता है. पूजा के दौरान करमा और धरमा नाम के दो भाइयों की कहानी भी सुनाई जाती है. जिसका सार कर्म के महत्व को समझाता है. इस कहानी को सुने बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. माना जाता है कि इस पर्व को मनाने से गांव में खुशहाली लौटती है. हर साल भादो की एकादशी शुक्ल पक्ष को यह पर्व मनाया जाता है.

Intro:रांची


राजधानी में करमा पूजा धूमधाम के साथ मनाया गया इस पर्व में गीत संगीत नृत्य और मांदर की थाप में झूमते नजर आते हैं है करमा पर्व पूरे रीति रिवाज के साथ राजधानी के विभिन्न अखाड़ा में मनाया गया जहां सरना के सभी लोग मौजूद रहे l आस्था का प्रतीक यह करमा पर्व पूरे धूम धाम से मनाया गया । करमा पूजा के दौरान विशेष आदिवासी वेशभूषा के साथ मांदर के ताल में लोग थिरकते नजर आए।

Body:हर साल बारिश में अच्छी फसल को लेकर खास करमा पर्व को मनाया जाता है । मोके पर पाहन ने बताया कि पूजा के दौरान करमा और धरमा नाम के दो भाइयों की कहानी भी सुनाई जाती है। जिसका सार कर्म के महत्व को समझाता है। इस कहानी को सुने बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। माना जाता है कि इस पर्व को मनाने से गांव में खुशहाली लौटती है। करमा के दिन घर-घर में कई प्रकार के व्ंयजन भी बनाए जाते हैं, करमा का यह पर्व भाई-बहन के प्यार को भी दर्शाता है। महिलाएं खासतौर पर अपने भाइयों की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य के लिए व्रत रखती हैं।
Conclusion:
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