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रांचीः योगदा सत्संग स्थल से होगा कांटाटोली फ्लाई ओवर का निर्माण, परामर्शी के लिए दो कंपनी ने दिखाई रुचि

कांटाटोली फ्लाई ओवर अब योगदा सत्संग स्थल से बनवाया जाएगा. इसके लिए विस्तृत कार्य प्रतिवेदन और परियोजना प्रबंधन परामर्शी बहाल करने के लिए निकाले गए टेंडर में दो कंपनियों ने रुचि दिखाई है.

Kantatoli flyover ranchi
कांटाटोली फ्लाई ओवर रांची
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Published : Sep 16, 2020, 10:32 PM IST

रांचीः राजधानी के कांटाटोली फ्लाई ओवर के लिए विस्तृत कार्य प्रतिवेदन और परियोजना प्रबंधन परामर्शी बहाल करने के लिए निकाले गए टेंडर में दो कंपनियों ने रुचि दिखाई है. इससे कांटाटोली फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य फिर से शुरू होने की आस बंध गई गई है. कांटाटोली मार्ग पर योगदा सत्संग के सामने से शांतिनगर तक यह फ्लाई ओवर बनाया जाएगा.

टेंडर की तकनीकी बिड बुधवार को खोली गई, जिसमें हरियाणा की ज्वाइंट वेंचर कंपनी एमएसवी इंटरनेशनल एंड ईसीएस इंजीनियरिंग कंसलटेंसी सर्विसेज और भोपाल की कंपनी एलएन मालविया इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने हिस्सा लिया है. नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने जुडको के परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार को टेंडर का शीघ्र निष्पादन करने और आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया. सचिव ने यह भी निर्देश दिया कि फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य जल्द शुरू कराया जाए. जुडको परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार ने बताया कि दोनों कंपनियों के कागजात का तकनीकी मूल्यांकन कराया जा रहा है. जल्द ही वित्तीय बिड का भी मूल्यांकन करा कर टेंडर में योग्य आने वाली कंपनी को कार्य आवंटित कर दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें-दुमकाः CM हेमंत सोरेन ने DMCH के तीन ऑपरेशन थिएटर का किया उद्घाटन, अब मरीजों को नहीं होगी परेशानी

नई तकनीक से होगा निर्माण

रमेश कुमार ने बताया कि दो से तीन महीने का समय डीपीआर बनाने के लिए दिया जाएगा. डीपीआर बन जाने के बाद फ्लाई ओवर बनाने के लिए नये सिरे से संवेदक कंपनी का चयन करने के लिए टेंडर निकाला जाएगा. फ्लाईओवर का निर्माण आधुनिक तकनीक सेगमेंटल बाक्स गरडर सिस्टम से कराया जाएगा. नयी तकनीक के आधार पर संशोधित डिजाइन और डीपीआर भी बनेगा. वर्तमान में कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण पीएससी आइ गरडर प्रणाली से हो रहा था, पीएससी प्रणाली में गरडर को प्रीकास्ट कर क्रेन के सहयोग से खंभे पर रखा जाता है. अमूमन इस प्रणाली में रात में काम होता, डेक स्लैब की कास्टिंग कार्य स्थल पर ही होती है. यातायात भी प्रभावित होता है, जबकि सेगमेंटल बाक्स प्रणाली में प्रस्तावित फ्लाईओवर के मध्य लाइन पर विशेष लांचर के जरिये छोटे प्रीकास्ट सेगमेंट कर आगे बढ़ा जाता है.

बढ़ेगी फ्लाई ओवर की लंबाई

वर्तमान में कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण बहुबाजार की ओर वाईएमसीए से लेकर कोकर की ओर शांतिनगर तक हो रहा था. इसकी लंबाई 1260 मीटर थी, अब तक 132 पाइल की कास्टिंग हो चुकी है. 19 खंभों में दो पाइल कैप और एक पीयर की कास्टिंग हो चुकी है. योगदा सत्संग से फ्लाईओवर का निर्माण कराए जाने से फ्लाईओवर की लंबाई लगभग 2300 मीटर हो जाएगी.

रांचीः राजधानी के कांटाटोली फ्लाई ओवर के लिए विस्तृत कार्य प्रतिवेदन और परियोजना प्रबंधन परामर्शी बहाल करने के लिए निकाले गए टेंडर में दो कंपनियों ने रुचि दिखाई है. इससे कांटाटोली फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य फिर से शुरू होने की आस बंध गई गई है. कांटाटोली मार्ग पर योगदा सत्संग के सामने से शांतिनगर तक यह फ्लाई ओवर बनाया जाएगा.

टेंडर की तकनीकी बिड बुधवार को खोली गई, जिसमें हरियाणा की ज्वाइंट वेंचर कंपनी एमएसवी इंटरनेशनल एंड ईसीएस इंजीनियरिंग कंसलटेंसी सर्विसेज और भोपाल की कंपनी एलएन मालविया इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने हिस्सा लिया है. नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने जुडको के परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार को टेंडर का शीघ्र निष्पादन करने और आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया. सचिव ने यह भी निर्देश दिया कि फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य जल्द शुरू कराया जाए. जुडको परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार ने बताया कि दोनों कंपनियों के कागजात का तकनीकी मूल्यांकन कराया जा रहा है. जल्द ही वित्तीय बिड का भी मूल्यांकन करा कर टेंडर में योग्य आने वाली कंपनी को कार्य आवंटित कर दिया जाएगा.

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नई तकनीक से होगा निर्माण

रमेश कुमार ने बताया कि दो से तीन महीने का समय डीपीआर बनाने के लिए दिया जाएगा. डीपीआर बन जाने के बाद फ्लाई ओवर बनाने के लिए नये सिरे से संवेदक कंपनी का चयन करने के लिए टेंडर निकाला जाएगा. फ्लाईओवर का निर्माण आधुनिक तकनीक सेगमेंटल बाक्स गरडर सिस्टम से कराया जाएगा. नयी तकनीक के आधार पर संशोधित डिजाइन और डीपीआर भी बनेगा. वर्तमान में कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण पीएससी आइ गरडर प्रणाली से हो रहा था, पीएससी प्रणाली में गरडर को प्रीकास्ट कर क्रेन के सहयोग से खंभे पर रखा जाता है. अमूमन इस प्रणाली में रात में काम होता, डेक स्लैब की कास्टिंग कार्य स्थल पर ही होती है. यातायात भी प्रभावित होता है, जबकि सेगमेंटल बाक्स प्रणाली में प्रस्तावित फ्लाईओवर के मध्य लाइन पर विशेष लांचर के जरिये छोटे प्रीकास्ट सेगमेंट कर आगे बढ़ा जाता है.

बढ़ेगी फ्लाई ओवर की लंबाई

वर्तमान में कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण बहुबाजार की ओर वाईएमसीए से लेकर कोकर की ओर शांतिनगर तक हो रहा था. इसकी लंबाई 1260 मीटर थी, अब तक 132 पाइल की कास्टिंग हो चुकी है. 19 खंभों में दो पाइल कैप और एक पीयर की कास्टिंग हो चुकी है. योगदा सत्संग से फ्लाईओवर का निर्माण कराए जाने से फ्लाईओवर की लंबाई लगभग 2300 मीटर हो जाएगी.

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