रांचीः लाख कोशिश के बाबजूद झारखंड ऊर्जा विकास निगम लि.(जेयूवीएनएल) राजस्व वसूली में दिन-प्रतिदिन पिछड़ रहा है. वहीं, जेयूवीएनएल पर डीवीसी का बकाया बोझ बढ़ रहा है, तो दूसरी तरफ राज्य सरकार आंतरिक संसाधनों को मजबूत कर आत्मनिर्भर बनने की दवाब बना रही है. इस स्थिति में ऊर्जा विभाग सख्ती से बकाया बिजली बिल की वसूली करेगा. इसको लेकर एक्शन प्लान तैयार किया है.
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राज्य के जिन जिलों में बकाया बिजली बिल वसूली में पीछे है, उन जिलों को इस एक्शन प्लान के तहत सख्ती से बकाया बिल वसूल करना है. जेयूवीएनएल के प्रबंध निदेशक केके वर्मा ने बताया कि लगातार कोशिश करने के बाद 60 फीसदी उपभोक्ता बिजली बिल नियमित दे रहे हैं. लेकिन, अब भी 40 प्रतिशत उपभोक्ताओं पर बिजली बिल बकाया है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद सीमित आय वाले उपभोक्ता ही मजबूरी में बिजली बिल नहीं दे पा रहे हैं.
उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र से वसूली नहीं
प्रबंध निदेशक ने कहा कि राज्य के 12 जिलों के 36 अनुमंडल से राजस्व वसूली कम है. इसकी वजह है कि यह अनुमंडल उग्रवाद प्रभावित है और मैनपावर की भी कमी है. हालांकि, इन अनुमंडलों को भी चिन्हित किया गया है. उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से संपन्न लोग या व्यवसायीक संस्थान है. इसमें नर्सिंग होम, हॉस्पिटल, मैरेज हॉल, होटल, रेस्टूरेंट, बड़ा व्यवसायिक प्रतिष्ठान शामिल हैं. इनसे शत प्रतिशत बकाया बिजली बिल वसूल करना है. इसको लेकर जूनियर इंजीनियर को जिम्मेदारी तय की गई है.
बिजली विभाग चलायेगा विशेष अभियान
वित्तीय कमी से जूझ रहे जेयूवीएनएल बकायदारों के खिलाफ अभियान चलाने जा रही है. इस अभियान के तहत रांची सहित पूरे प्रदेश में कार्रवाई की जाएगी. राज्यभर में करीब 10 लाख बिजली उपभोक्ता हैं, जिसपर बिजली बिल बकाया है. जेयूवीएनएल के एमडी केके वर्मा ने इन बकायेदार उपभोक्ताओं से हर हाल में बिजली बिल वसूलने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि जो अधिकारी बिजली बिल वसूलने में लापरवाही बरतेंगे, उनके विरुद्ध कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.