रांचीः झारखंड को डायन प्रथा जैसी कुरीतियों से मुक्त कराने के लिए झालसा को भी काम करना होगा. इसको लेकर जिला से पंचायत स्तर पर लीगल क्लीनिक और लीगल कैडेट कॉर्प बनाने होंगे, ताकि आने वाली पीढ़ी इस कुरीति के प्रति जागरूक हो सके और राज्य को इस कुरीति से मुक्ति मिले. यह बातें झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय तीसरे डालसा मीट को संबोधित करते हुए कहा. उन्होंने गुमला की घटना को जिक्र करते हुए कहा कि 1 छोटी बच्ची सहित 5 लोगों की हत्या कर दी गई. इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई चल रही है. लेकिन, लोगों को डायन प्रथा निषेध कानून की जानकारी देनी होंगी.
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चीफ जस्टिस ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान झारखंड हाईकोर्ट में बढ़िया काम हुआ है. ऑनलाइन मोड में 31,000 से ज्यादा मामलों का निष्पादन किया गया है. झालसा ने भी कोरोना काल में बेहतरीन काम करते हुए लोगों को दवा, भोजन, कपड़ा और रहने की सुविधा दी है. इसके अलावा ई-लोक अदालत, ई-इंश्योरेंस लोक अदालत का भी आयोजन किया गया.
कोरोनाकाल में किया गया बेहतरीन काम
झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एचसी मिश्रा ने कहा कि कोरोना काल में झालसा और डालसा ने बहुत ही बेहतरीन काम किया है. इस दौरान कई योजनाएं चलाकर लोगों की मदद की गई. इसके अलावा सरकारी योजनाओं का भी लाभ दिलाया गया. लीगल लिट्रेसी क्लब और लीगल कैडेट कॉर्प के जरिए जागरूकता अभियान चलाया गया. उन्होंने कहा कि अब कोरोना संक्रमण से थोड़ी राहत मिल रही है. लोग धीरे-धीरे नॉर्मल हो रहे हैं. अब हम लोग भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बजाय फिजिकल मोड में आ रहे हैं.
अपनी काबिलियत का करें इस्तेमाल
झारखंड हाईकोर्ट लीगल सर्विस के अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने कहा कि लोगों को कानूनी मदद के लिए अपनी काबिलियत का भरपूर इस्तेमाल करें. लोक अदालत, जेल अदालत में डालसा व झालसा की टीम की मेहनत की वजह से कई रिकॉर्ड बने हैं. झारखंड में मध्यस्थता के जरिए सफलता बहुत अधिक है. अगर हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, तो हमें अपने कर्तव्यों को प्रति जागरूक रहना होगा.
जरूरतमंद और गरीब की करें मदद
हाईकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर ने कहा कि सभी धर्मों में गरीब व जरूरतमंदों की मदद करने की बात कही गई है. सभी को न्याय मिले, इसलिए विधिक सेवा प्राधिकार एक्ट का गठन हुआ है.