रांची: कोरोना वायरस के कारण पूरा देश लॉकडाउन है. हालांकि, धीरे-धीरे सभी क्षेत्रों में छूट दी जाने लगी है. अनलॉक वन में कई क्षेत्रों में रियायतें तो दी गई हैं, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया सुचारू रूप से चले, इसको लेकर अभी तक कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए हैं.
रांची सिविल कोर्ट परिसर में बनाए गए हैं काउंटर
न्यायिक प्रक्रिया की बात करें तो लॉकडाउन 4 के दौरान ही विभिन्न न्यायालयों की ओर से सिविल कोर्ट के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने को लेकर रांची सिविल कोर्ट परिसर में विभिन्न काउंटर बनाए गए हैं, जिसके जरिए फ्रेस फाइलिंग काउंटर, सर्टिफाइड कॉपी, बार काउंटर और नोटरी काउंटर प्रमुख रूप से बनाए गए हैं. विभिन्न मामलों की सुनवाई के लिए अधिवक्ता ड्राफ्ट में मामले डालते हैं और मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होती है.
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मामलों की सुनवाई अटकी
कई ऐसे मामले हैं जो लॉगडाउन के कारण प्रभावित हुए हैं. ऐसे में अधिवक्ता और मुवक्किल को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रांची सिविल कोर्ट में सिविल और फौजदारी के 46 हजार 538 मुकदमें लंबित हैं. इनमें से फौजदारी के 33 हजार 755 मुकदमें शामिल हैं. कई अपराधिक मुकदमों की सुनवाई अंतिम चरण में है, लेकिन लॉकडाउन के कारण उन मामलों की सुनवाई अटकी हुई है. उन मामलों की सुनवाई जल्द से जल्द हो इसको लेकर तैयारी चल रही है.
रोजाना 100 केस आते हैं सिविल और फौजदारी के
बार काउंसिल के सदस्य संजय कुमार विद्रोही की मानें तो रांची सिविल कोर्ट में कुल 41 कोर्ट हैं, जिनमें रोजाना 100 केस सिविल और फौजदारी मामले के आते हैं, लेकिन व्यवहारिक रूप से न्यायालय में कार्य नहीं होने के कारण कई मामले लंबित हो जा रहे हैं. अधिवक्ता अनंत कुमार बीज बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण अधिवक्ताओं के बीच काफी समस्या उत्पन्न हो गई है. क्योंकि मुवक्किल और अधिवक्ता के बीच समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा है. कई मामलों में सिविल या फिर फौजदारी मामले की गवाही नहीं हो पा रही है, जिसके कारण मामले लंबित पड़ गए हैं.
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कोर्ट के काम में हो रही है काफी दिक्कत
इस परिस्थिति में सर्टिफाइड कॉपी भी नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा आरोपी अपने परिजन से मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं. इसके कारण कोर्ट के कार्यों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कोर्ट के चक्कर काट रहे खलारी निवासी फरियादी मोहम्मद इस्लाम बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण कोर्ट के कार्यों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कोर्ट के चक्कर अधिक लगाने पड़ रहे हैं. 1 दिन में कोई काम पूरा नहीं हो पा रहा है. दूसरी तरफ स्थानीय थाना की ओर से लगातार बेल लेने को लेकर दबाव दिया जा रहा है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई
फरियादी का कहना है कि परिवारिक मामले का एक केस उनके ऊपर लगा हुआ है, जिसको लेकर न्यालय से जमानत लेने को लेकर लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन बेल पर सुनवाई नहीं हो पा रही है. आने जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. झारखंड हाई कोर्ट के निर्देशानुसार सिविल कोर्ट में नई व्यवस्था के तहत लॉकडाउन में न्यायिक कामकाज शुरू किया गया है, जिसमें आवासीय कार्यालय से मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जा रहा है. न्यायालय के अंदर प्रवेश करने वाले अधिवक्ताओं का थर्मल स्क्रीनिंग और सेनेटाइजेशन करने के बाद काउंटर में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है.