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झासा की धमकी, कहा- चिकित्सक विरोधी अधिसूचनाएं वापस ले सरकार, नहीं तो होगा आंदोलन

झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर उनके द्वारा जारी अधिसूचनाओं को वापस लेने की मांग (JSHSA demands withdrawal of notification) की है. साथ ही 15 दिनों के अंदर मांग पूरी न होने पर डॉक्टरों की हड़ताल और सामूहिक इस्तीफे की धमकी भी दी है.

Jharkhand State Health Services Association
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Published : Oct 17, 2022, 8:11 AM IST

रांची: झारखंड के सरकारी एलोपैथिक डॉक्टरों का संगठन झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (Jharkhand State Health Services Association) ने अपने पदाधिकारियों की आपात बैठक की. जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक के बाद कई अधिसूचनाएं जारी कर डॉक्टरों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है और इस डॉक्टर विरोधी अधिसूचना वापस लेने की मांग की है (JSHSA demands withdrawal of notification). झासा की मांगें 15 दिनों में पूरी नहीं होने पर डॉक्टरों की हड़ताल से लेकर सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है.


आइए जानें, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को प्रेषित मांग पत्र में किस किस मुद्दे का जिक्र किया है, ईटीवी भारत झासा के पत्र को हूबहू छाप रहा है.

सेवा में,
अपर मुख्य सचिव,
स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग
झारखंड सरकार,रांची
प्रेषक-
झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवाएं संघ, झारखंड
आई एम ए सभागार, रांची में झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवाएं संघ, झारखंड की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि--

1) विभाग हमें NPA नहीं देती, इसलिए प्राइवेट प्रैक्टिस पर किसी तरह का प्रतिबंध मंजूर नहीं
2) आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना ने सरकारी चिकित्सकों से भेदभाव किया है. जिस अस्पताल में सरकारी चिकित्सक काम करेंगे, महीना के अंत में राज्य स्तरीय टीम उसकी समीक्षा करेंगी (50-50 का समीकरण के आधार पर) इस तरह से अस्पतालों का पेमेंट रुका रहेगा और निरस्त होने का खतरा बना रहेगा, तो अस्पताल सरकारी चिकित्सकों को बुलाना स्वत:बंद कर देगा. इसलिए यह योजना indirectly हमारे प्राइवेट प्रैक्टिस को रोकने जैसा है. आयुष्मान योजना सरकारी चिकित्सकों के साथ भेदभाव कर रही है. उन अस्पतालों का पेमेंट हो जा रहा है, जहां सरकारी चिकित्सक नहीं है और चिन्हित कर उन अस्पतालों का पेमेंट रोक दिया जा रहा है या निरस्त कर दिया जा रहा है. जहां से किसी भी सरकारी चिकित्सक का जुड़ाव है. इसलिए संगठन यह निर्णय लेती है कि शुक्रवार दिनांक 21 अक्टूबर 2022 से सभी सरकारी चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान संबंधित कार्य का बहिष्कार करेंगे.

3) माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने पुलिस विभाग को आकस्मिक सेवा बताते हुए Biometric attendance से मुक्त रखा है. सर्वविदित है कि चिकित्सा सेवा से बड़ा कोई आकस्मिक सेवा नहीं. न्यायालय के अनुसार भी Gazetted officers को Biometric attendance नहीं बनानी होती विशेषकर जहां 24x7 सेवा दी जाती हो, जिन सरकारी सेवक का ड्यूटी रोस्टर एवं ड्यूटी लोकेशन बदलते रहता हो. संगठन ने यह निर्णय लिया है कि शुक्रवार दिनांक 21/10/2022 से कोई भी सरकारी चिकित्सक बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं बनाएंगे.

4) विभाग ने पिछले 4 वर्षों से कोई प्रोन्नति नहीं दी. पिछले साल अक्टूबर से DACP लंबित है. बार-बार आश्वासन के बाद भी कोई ग्रामीण भत्ता नहीं मिला. इसके विपरीत चिकित्सक विरोधी अधिसूचना लगातार जारी किया जा रहा है- जैसे सिर्फ अनुपस्थिति को कारण बताते हुए NMC से मेडिकल रजिस्ट्रेशन के कैंसिलेशन का अनुशंसा करना, बेवजह प्रपत्र क एवं निंदन पत्र जैसे संगीन आरोप लगाना. एक मामला ऐसा भी है जब एक तरफ विभाग विश्व दृष्टि दिवस पर एक नेत्र चिकित्सक को सरकारी अस्पतालों में उनके किए गए कार्यों के उपलक्ष्य में अवार्ड से सम्मानित करती है और दूसरी तरफ उनके विरुद्ध प्रपत्र के जैसे गंभीर आरोप लगे है. छुट्टी से पहले मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा का आवश्यक होना . झासा ऐलान करती है कि अगले 15 दिनों में इन सभी अधिसूचना को निरस्त किया जाए. झासा ने विभाग और सरकार को पहले ही स्पष्ट किया है कि संगठन अपने सभी सदस्यों के आत्मसम्मान ,प्रतिष्ठा और अधिकारों के लिए वचनबद्ध एवं जनमानस के स्वास्थ्य के लिए कटिबद्ध है. ऐसे में विभाग द्वारा हमें आंदोलन के लिए मजबूर किया जा रहा है. संगठन एक बार फिर दोहराना चाहती है कि हम विभाग से सामंजस्य बनाकर कोई आंदोलन नहीं चाहते. परंतु विभाग के लगातार नकारात्मक रवैया के परिणाम स्वरूप संगठन ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि अगर विभाग इन सभी अधिसूचनाओं को 15 दिन के अंदर निरस्त नहीं करती, तब झासा आंदोलन के स्वरूप में अनिश्चितकालीन हड़ताल एवं सामूहिक इस्तीफा के विकल्प पर विचार कर रही है.

रांची: झारखंड के सरकारी एलोपैथिक डॉक्टरों का संगठन झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (Jharkhand State Health Services Association) ने अपने पदाधिकारियों की आपात बैठक की. जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक के बाद कई अधिसूचनाएं जारी कर डॉक्टरों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है और इस डॉक्टर विरोधी अधिसूचना वापस लेने की मांग की है (JSHSA demands withdrawal of notification). झासा की मांगें 15 दिनों में पूरी नहीं होने पर डॉक्टरों की हड़ताल से लेकर सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है.


आइए जानें, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को प्रेषित मांग पत्र में किस किस मुद्दे का जिक्र किया है, ईटीवी भारत झासा के पत्र को हूबहू छाप रहा है.

सेवा में,
अपर मुख्य सचिव,
स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग
झारखंड सरकार,रांची
प्रेषक-
झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवाएं संघ, झारखंड
आई एम ए सभागार, रांची में झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवाएं संघ, झारखंड की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि--

1) विभाग हमें NPA नहीं देती, इसलिए प्राइवेट प्रैक्टिस पर किसी तरह का प्रतिबंध मंजूर नहीं
2) आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना ने सरकारी चिकित्सकों से भेदभाव किया है. जिस अस्पताल में सरकारी चिकित्सक काम करेंगे, महीना के अंत में राज्य स्तरीय टीम उसकी समीक्षा करेंगी (50-50 का समीकरण के आधार पर) इस तरह से अस्पतालों का पेमेंट रुका रहेगा और निरस्त होने का खतरा बना रहेगा, तो अस्पताल सरकारी चिकित्सकों को बुलाना स्वत:बंद कर देगा. इसलिए यह योजना indirectly हमारे प्राइवेट प्रैक्टिस को रोकने जैसा है. आयुष्मान योजना सरकारी चिकित्सकों के साथ भेदभाव कर रही है. उन अस्पतालों का पेमेंट हो जा रहा है, जहां सरकारी चिकित्सक नहीं है और चिन्हित कर उन अस्पतालों का पेमेंट रोक दिया जा रहा है या निरस्त कर दिया जा रहा है. जहां से किसी भी सरकारी चिकित्सक का जुड़ाव है. इसलिए संगठन यह निर्णय लेती है कि शुक्रवार दिनांक 21 अक्टूबर 2022 से सभी सरकारी चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान संबंधित कार्य का बहिष्कार करेंगे.

3) माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने पुलिस विभाग को आकस्मिक सेवा बताते हुए Biometric attendance से मुक्त रखा है. सर्वविदित है कि चिकित्सा सेवा से बड़ा कोई आकस्मिक सेवा नहीं. न्यायालय के अनुसार भी Gazetted officers को Biometric attendance नहीं बनानी होती विशेषकर जहां 24x7 सेवा दी जाती हो, जिन सरकारी सेवक का ड्यूटी रोस्टर एवं ड्यूटी लोकेशन बदलते रहता हो. संगठन ने यह निर्णय लिया है कि शुक्रवार दिनांक 21/10/2022 से कोई भी सरकारी चिकित्सक बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं बनाएंगे.

4) विभाग ने पिछले 4 वर्षों से कोई प्रोन्नति नहीं दी. पिछले साल अक्टूबर से DACP लंबित है. बार-बार आश्वासन के बाद भी कोई ग्रामीण भत्ता नहीं मिला. इसके विपरीत चिकित्सक विरोधी अधिसूचना लगातार जारी किया जा रहा है- जैसे सिर्फ अनुपस्थिति को कारण बताते हुए NMC से मेडिकल रजिस्ट्रेशन के कैंसिलेशन का अनुशंसा करना, बेवजह प्रपत्र क एवं निंदन पत्र जैसे संगीन आरोप लगाना. एक मामला ऐसा भी है जब एक तरफ विभाग विश्व दृष्टि दिवस पर एक नेत्र चिकित्सक को सरकारी अस्पतालों में उनके किए गए कार्यों के उपलक्ष्य में अवार्ड से सम्मानित करती है और दूसरी तरफ उनके विरुद्ध प्रपत्र के जैसे गंभीर आरोप लगे है. छुट्टी से पहले मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा का आवश्यक होना . झासा ऐलान करती है कि अगले 15 दिनों में इन सभी अधिसूचना को निरस्त किया जाए. झासा ने विभाग और सरकार को पहले ही स्पष्ट किया है कि संगठन अपने सभी सदस्यों के आत्मसम्मान ,प्रतिष्ठा और अधिकारों के लिए वचनबद्ध एवं जनमानस के स्वास्थ्य के लिए कटिबद्ध है. ऐसे में विभाग द्वारा हमें आंदोलन के लिए मजबूर किया जा रहा है. संगठन एक बार फिर दोहराना चाहती है कि हम विभाग से सामंजस्य बनाकर कोई आंदोलन नहीं चाहते. परंतु विभाग के लगातार नकारात्मक रवैया के परिणाम स्वरूप संगठन ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि अगर विभाग इन सभी अधिसूचनाओं को 15 दिन के अंदर निरस्त नहीं करती, तब झासा आंदोलन के स्वरूप में अनिश्चितकालीन हड़ताल एवं सामूहिक इस्तीफा के विकल्प पर विचार कर रही है.

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