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जेपीएससी मेधा घोटाला: हाईकोर्ट में सीबीआई द्वारा शपथपत्र दाखिल किए जाने के बाद प्रशासनिक गलियारों में मची खलबली - झारखंड न्यूज

जेपीएससी फर्स्ट और सेकंड बैच परीक्षा और नियुक्ति मामले में सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर दिया है. जिसके बाद से प्रशासनिक गलियारों में खलबली मची हुई है. CBI filed affidavit in Jharkhand High Court.

CBI filed affidavit in Jharkhand High Court
CBI filed affidavit in Jharkhand High Court
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 28, 2023, 8:22 PM IST

रांची: बहुचर्चित जेपीएससी मेधा घोटाला मामले में फंसे आरोपियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने झारखंड हाई कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जिस तरह से प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी के तथ्य प्रस्तुत किए हैं उसे साफ जाहिर होता है कि आने वाले समय में आरोप के घेरे में आए ऐसे सफल अभ्यर्थी जो आज के समय में अधिकारी बने हुए हैं उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.

ये भी पढ़ें- जेपीएससी फर्स्ट-सेकंड बैच की परीक्षा मामला, झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

सीबीआई ने शपथ पत्र के माध्यम से यह अवगत कराया है कि तत्कालीन जेपीएससी के सदस्य राधा गोविंद नागेश और कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर परमानंद सिंह के कहने पर 12 परीक्षार्थियों के नंबर बढ़ा दिए गए थे. सीबीआई की जांच में यह भी पाया गया है कि जिन परीक्षार्थियों के द्वारा कॉपी जांच की गई थी उनमें से आठ प्रोफेसर ने यह बात स्वीकार भी की है. इधर सीबीआई के द्वारा हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किए जाने के बाद प्रशासनिक गलियारों में खलबली मची हुई है.

69 सफल अभ्यर्थियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें: सीबीआई जांच में यह अभी पाया गया है कि 69 सफल अभ्यर्थियों की कॉपियां में काट छांट कर नंबर बढ़ाए गए और 28 सफल उम्मीदवारों के इंटरव्यू में मिले वास्तविक नंबर को भी बढ़ाया गया. सीबीआई ने कॉपियों की जांच गुजरात स्थित फोरेंसिक लैब में कराई है. ऐसे में इस परीक्षा में पैसों और पैरवी के बल पर सफल हुए अभ्यर्थियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.


झारखंड हाई कोर्ट में बुद्धदेव उरांव बनाम राज्य सरकार व अन्य मामले में सीबीआई ने शपथपत्र दाखिल कर पक्ष रखा है. गौरदलब है कि इस मामले में अगली सुनवाई 9 नवंबर 2023 को निर्धारित की गई है. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सीबीआई बताए कि उसके द्वारा अभियोजन स्वीकृति किससे मांगी गई है. प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा काफी विवादों में रहा था. उस वक्त डॉ दिलीप कुमार आयोग के अध्यक्ष रहे थे. इस बहुचर्चित मेधा घोटाले में आयोग के पदाधिकारी की मिलीभगत से राजनेता और शिक्षा माफिया के रिश्तेदारों को बड़ी संख्या में नियुक्ति के आरोप लगे हैं. जिसकी जांच सीबीआई कर रही है.

रांची: बहुचर्चित जेपीएससी मेधा घोटाला मामले में फंसे आरोपियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने झारखंड हाई कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जिस तरह से प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी के तथ्य प्रस्तुत किए हैं उसे साफ जाहिर होता है कि आने वाले समय में आरोप के घेरे में आए ऐसे सफल अभ्यर्थी जो आज के समय में अधिकारी बने हुए हैं उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.

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सीबीआई ने शपथ पत्र के माध्यम से यह अवगत कराया है कि तत्कालीन जेपीएससी के सदस्य राधा गोविंद नागेश और कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर परमानंद सिंह के कहने पर 12 परीक्षार्थियों के नंबर बढ़ा दिए गए थे. सीबीआई की जांच में यह भी पाया गया है कि जिन परीक्षार्थियों के द्वारा कॉपी जांच की गई थी उनमें से आठ प्रोफेसर ने यह बात स्वीकार भी की है. इधर सीबीआई के द्वारा हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किए जाने के बाद प्रशासनिक गलियारों में खलबली मची हुई है.

69 सफल अभ्यर्थियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें: सीबीआई जांच में यह अभी पाया गया है कि 69 सफल अभ्यर्थियों की कॉपियां में काट छांट कर नंबर बढ़ाए गए और 28 सफल उम्मीदवारों के इंटरव्यू में मिले वास्तविक नंबर को भी बढ़ाया गया. सीबीआई ने कॉपियों की जांच गुजरात स्थित फोरेंसिक लैब में कराई है. ऐसे में इस परीक्षा में पैसों और पैरवी के बल पर सफल हुए अभ्यर्थियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.


झारखंड हाई कोर्ट में बुद्धदेव उरांव बनाम राज्य सरकार व अन्य मामले में सीबीआई ने शपथपत्र दाखिल कर पक्ष रखा है. गौरदलब है कि इस मामले में अगली सुनवाई 9 नवंबर 2023 को निर्धारित की गई है. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सीबीआई बताए कि उसके द्वारा अभियोजन स्वीकृति किससे मांगी गई है. प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा काफी विवादों में रहा था. उस वक्त डॉ दिलीप कुमार आयोग के अध्यक्ष रहे थे. इस बहुचर्चित मेधा घोटाले में आयोग के पदाधिकारी की मिलीभगत से राजनेता और शिक्षा माफिया के रिश्तेदारों को बड़ी संख्या में नियुक्ति के आरोप लगे हैं. जिसकी जांच सीबीआई कर रही है.

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