रांचीः राजनीति भी अजब गुल खिलाती है. कल जो बात बुरी लगती थी, आज वही करनी पड़ती है. झारखंड में यही कहानी दोबारा लिखी जा रही है. बस पात्र बदल गए हैं. पूर्व की झारखंड सरकार में 12वें मंत्री का पद रिक्त होने से कामकाज प्रभावित होने को लेकर बार-बार राज्यपाल से शिकायत करने जाने वाली जेएमएम, 2019 में सरकार बनाने के करीब तीन साल बाद भी जेएमएमनीत झारखंड की महागठबंधन सरकार 12वें मंत्री का पद नहीं भर स की है.
राजनीति का गजब रंग ढंग है. और वो ऐसा है कि विरोधी भी किस बात पर एकमत हो जाएं कह नहीं सकते. झारखंड इसका गवाह है. झारखंड की राजनीति के दो अहम पात्र झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष, राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की ऐसी ही कार्यशैली यहां की जनता को चकरघिन्नी बनाए हुए है. दोनों नेताओं के राजनीतिक रिश्ते में भले ही 36 का आंकड़ा हो लेकिन एक दूसरे की लाखों शिकायतों के बाद भी दोनों के सरकार चलाने के ऐसे ही एक ढंग से जनता अवाक है. वह समझ नहीं पा रही है कि जेएमएम नेता हेमंत सोरेन सरकार में आते ही बदल क्यों गए. पब्लिक में एक सवाल खूब घूम रहा है कि सीएम हेमंत सोरेन अपने राजनीतिक विरोधी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की राह पर क्यों चल रहे हैं.
12 वां मंत्री पद खाली रखने की जेएमएम करती थी शिकायतः दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की रघुवर सरकार को गद्दी से उतारकर मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन पूर्व की रघुवर दास सरकार की नीतियों पर हमलावर रहे हैं, जब रघुवर दास की सरकार थी, उस समय मंत्रिमंडल में एक मंत्री की सीट खाली होने तक पर भी जेएमएम नेता हेमंत सोरेन निशाने पर लेते थे. झामुमो, कांग्रेस और राजद जैसे दल राजभवन जाकर इसे असंवैधानिक बताते थे और राज्यपाल से इसकी शिकायत करते थे. लेकिन सरकार बदलने पर हेमंत सोरेन सरकार गठन के 30 महीने हो गए हैं. लेकिन इस सरकार में भी मंत्री की एक सीट खाली है. जबकि पहले सीएम हेमंत सोरेन इसी बात को लेकर तत्कालीन रघुवर सरकार की आलोचना करते थे. कई बार जेएमएम नेताओं ने राज्यपाल से भी इसकी शिकायत की थी. अब जेएमएम नेताओं को इसका बचाव करना पड़ता है.
बदल गए जेएमएम के स्वरः सीएम हेमंत सोरेन सरकार की इस कमी पर सवाल करने पर झामुमो के नेताओं के स्वर बदले बदले से नजर आते हैं. वहीं भाजपा के विधायक अब इस पर सवाल उठाते हैं. हालांकि वह इस पर अधिक मुखर नहीं हैं, इसकी वजह पिछली सरकार की भी यही राह होना है. हालांकि झारखंड प्रदेश एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एक नज्म के सहारे इशारों में कहते हैं कि "राहे मंजिल में मेरे, सिर पर जो आकर लगी, मेरे ही हाथों फेंके हुए पत्थर निकले.
12 वां मंत्री बनाना या न बनाना विशेषाधिकारः क्या मंत्रिमंडल की सभी बर्थ फुल न करने यानी मुख्यमंत्री सहित 12 मंत्री बनाने की जगह एक बर्थ खाली रखकर सरकार चलाने से हेमंत सोरेन के रघुवर दास की राह पर चलने से संबंधित सवाल के संबंध में भाजपा के ST मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एक नज्म सुनाते हैं, हालांकि इस पर बहुत कुछ कहने से बचते हैं. इधर झारखंड मुक्ति मोर्चा के वही नेता जो रघुवर दास सरकार में खाली मंत्री के एक पद को भरने को लेक राजभवन तक दौड़ लगाते थे. इससे संबंधित सवाल पर अलग बात कहते नजर आते हैं.
संविधान में अधिकतम पद की संख्या तयः सीएम हेमंत सोरेन के करीबी विनोद पांडे कहते हैं कि संविधान के अनुसार अधिकतम पद संख्या तय है, न्यूनतम के लिए कोई निर्देश नहीं है. यानी सरकार में विधायकों के अधिकतम 15 % के साथ कम मंत्री भी हो सकते हैं. उनका कहना है न्यूनतम या मंत्रियों की संख्या संबंधित कोई निर्देश संविधान में नहीं है.
विनोद पांडेय बोले सत्तारूढ़ दल के नेताओं की बात हम बढ़ाते थेः ऐसे में फिर रघुवर की सरकार में झामुमो इसे अंसवैधानिक बताकर राजभवन क्यों जाती थी इस सवाल के जवाब में विनोद पांडे कहते हैं कि उस समय सत्तारूढ़ दल के लोग ही इसका सवाल उठाते थे, तब ही हम उसको आगे बढ़ाते थे और झामुमो राजभवन जाती थी. हालांकि उस समय झामुमो के नेता कहा करते थे कि एक तरफ मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों पर कई कई विभागों का बोझ है तो दूसरी ओर मंत्रिमंडल ही सम्पूर्ण नहीं है .आज भी स्थिति वही है सिर्फ सत्ताधारी दल और उनके बोल बदल गए हैं.