रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरोन का आज 77वां जन्मदिन है. उम्र के इस पड़ाव पर जब उनके संघर्षों पर आधारित तीन पुस्तकों के लोकार्पण की बात आई तो वह अपने संबोधन में अतीत के पन्ने पलटने लगे. 70 के दशक में झारखंड की कैसी स्थिति थी, किस हाल में आदिवासी थे, कैसे महाजनों का शोषण बढ़ रहा था, कैसे पुलिस महाजनों के साथ खड़ी रहती थी, कैसे लोग दाने-दाने को तरसते थे, एकता की कमी का महाजन फायदा उठा रहे थे. ऐसे दौर में लोगों में आत्मविश्वास जगाना बड़ी चुनौती थी.
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जंगल और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम
शिबू सोरेन ने कहा कि जब बात नहीं बनी तो हमने लोगों से फसल काटकर अपने खलिहान में ले जाने का आह्वान किया. इसकी वजह से कई बार जेल जाना पड़ा. चूंकि लोगों के मन में जेल का खौफ था, इसलिए लोगों के मन से डर निकालने के लिए जेल जाता रहा. लंबी लड़ाई के बाद वह मौका आया जब धान बोने वालों के घर धान पहुंचाया. महाजनों को घुटने टेकने पड़े. उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है. लोग रबी की फसल भी लगा रहे हैं. सब्जी की भी खेती कर रहे हैं, लेकिन अभी भी बहुत बदलाव करने की जरूरत है. लोग जलावन के लिए पेड़ काट रहे हैं. इसलिए जंगल और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम होना चाहिए.
वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा की ओर से रचित पुस्तकों के विमोचन कार्यक्रम में मंत्री रामेश्वर उरांव, मंत्री मिथिलेश ठाकुर, मंत्री बन्ना गुप्ता, मंत्री बादल पत्रलेख, मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री सत्यानंद भोक्ता, मंत्री चंपई सोरेन के अलावा विधायक बसंत सोरेन, मथुरा महतो, मंगल कालिंदी, इरफान अंसारी समेत कई गणमान्य मौजूद थे.