रांची: आज दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं राजनीति बयानों के बम भी खूब फूट रहे हैं. पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उलिहातू यात्रा को लेकर बयानबाजी का दौर चल रहा था. अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के एक बयान ने राजनीति को गरमा दिया है. कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बाबूलाल मरांडी के बयान को बचकाना करार देते हुए कहा कि उन्हें ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स की आड़ में राजनीति करने की जगह जनता के मुद्दे पर पॉलिटिक्स करने की सलाह दी है. झामुमो नेता ने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र में बाबूलाल मरांडी भी शामिल हैं और चुनाव में जनता उनसे इसका हिसाब लेगी.
राजनीतिक रूप से हेमंत सोरेन को परास्त नहीं कर सकते बाबूलाल- झामुमोः झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय ने कहा कि बाबूलाल दरअसल भाजपा में जाकर बेचारे हो गए हैं. उनको राजधनवार की जनता सबक सिखाने के लिए तैयार बैठी है. अब वह विधायक या सांसद नहीं बन पाएंगे. इसलिए तनाव में अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि जब से आदिवासी का बेटा हेमंत सोरेन गद्दी पर बैठा है, तब से भाजपा और उसके नेताओं ने वर्तमान लोकप्रिय सरकार को अपदस्थ करने का षड्यंत्र रच रहे हैं और बाबूलाल मरांडी भी उस षड्यंत्र में शामिल हैं. झामुमो नेता ने कहा कि ईडी से हेमंत सोरेन पर कार्रवाई की मांग करनेवाले बाबूलाल मरांडी को यह बताना चाहिए कि ब्रजभूषण शरण सिंह, मणिपुर, पहलवान बेटियों के साथ की घटना, आदिवासी युवक पर पेशाब जैसे जघन्य कृत पर चुप क्यों हो जाते हैं.
बाबूलाल मरांडी को कानून की जानकारी थोड़ी कम-कांग्रेसः ईडी से पांच समन पर भी पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन के नहीं जाने पर आगे की कार्रवाई करने की प्रवर्तन निदेशालय से बाबूलाल की मांग को कांग्रेस ने बचपना करार दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि आज तक ईडी यही साफ नहीं कर सकी है कि वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को किस रूप में पूछताछ के लिए बुलाना चाहती है. ऐसे में बाबूलाल मरांडी को चुप रहना चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि ईडी और सीबीआई का भय दिखाकर राजनीति करना भाजपा और बाबूलाल को बंद कर देना चाहिए.
क्या था बाबूलाल मरांडी का बयानः बाबूलाल मरांडी ने एक बयान जारी कर कहा था कि ईडी द्वारा पूछताछ के लिए पांच-पांच समन भेजने के बावजूद हेमंत सोरेन ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए. संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा ऐसा करना ठीक नहीं है. ऐसे में ईडी अब आगे की कार्रवाई करे, ताकि जनता का कानून पर भरोसा कायम रहे.