रांची: राष्ट्रपति के हाथों शिक्षक दिवस के मौके पर सम्मानित होने की चाहत सभी शिक्षकों की रहती है. यह सम्मान अपने आप में गौरव का विषय होता है. मगर दुखद पहलू यह है कि झारखंड के शिक्षकों ने इस साल इससे मुंह मोड़ लिया है.
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सम्मान से वंचित शिक्षक: शिक्षक इस बार राष्ट्रपति सम्मान से वंचित रह जाएंगे. ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख 15 जुलाई थी. इस दिन तक झारखंड के किसी शिक्षकों ने आवेदन नहीं किया था. इस वजह से पांच सितंबर को मिलने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार से झारखंड के सरकारी स्कूल के शिक्षक के वंचित होने की आशंका बढ़ गई है.
ऑनलाइन मांगे आवेदन: राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 23 जून को ही पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किया था. जिसमें 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले वैसे शिक्षक जो शिक्षण कार्य के अलावा समाज के लिए कुछ अलग हटकर कार्य किए हों, उसकी योग्यता निर्धारित की गई थी, सभी कागजात को पीडीएफ फोर्मेट में पोर्टल पर अपलोड करना था.
शिक्षा सचिव ने क्या कहा: शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने कहा कि झारखंड से किसी भी शिक्षक का आवेदन नहीं करना ये बहुत आश्चर्य की बात है. कहा कि अंतिम दिन पोर्टल में कुछ तकनीकी अड़चन की शिकायत आई थी. मगर जिन्हें आवेदन करना है वो अंतिम दिन तक का क्यों इंतजार करेंगे. आवेदन समय से पहले ही कर लेना चाहिए था.
राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त शिक्षक: झारखंड से 2010 में राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके सेवानिवृत्त शिक्षक मोहन सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति सम्मान के लिए शिक्षकों का आवेदन नहीं करना दुखद है. उन्होंने कहा कि विभाग और शिक्षकों के बीच समन्वय के अभाव के कारण ऐसा हुआ है. यह शिक्षकों के लिए गौरव का क्षण होता है, जिसे उन्हें अपने बेहतरीन कार्य के लिए सेवाकाल में प्राप्त होता है. मगर अफसोस है कि इस बार आवेदन की तारीख नहीं बढ़ाई गई तो किसी को भी झारखंड से सम्मान नहीं मिलेगा.
यहां जानिए चयन की प्रकिया: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेजे गए आवेदन की स्क्रूटनी जिला स्तर पर उपायुक्तों की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है. कमेटी की अनुशंसा के बाद शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली राज्यस्तरीय कमेटी अपनी अनुशंसा नेशनल जूरी को भेजती है. राज्य से अधिकतम तीन शिक्षकों के नाम की अनुशंसा की जाती है. जिसमें से दो शिक्षकों को सम्मानित करने की परंपरा रही है.
स्कूल के शिक्षक ने क्या कहा: इधर शिक्षकों के सम्मान के प्रति बेरुखी के पीछे का वजह बताते हुए रांची जिला स्कूल के शिक्षक महेंद्र कहते हैं कि जटिल प्रक्रिया की वजह से शिक्षक आवेदन करने से कतराने लगे हैं. उन्होंने कहा कि वे पिछले दो बार से आवेदन भेज रहे थे, मगर चयन नहीं होने के कारण इस बार उन्होंने आवेदन नहीं किया. इसी तरह शिक्षिका यासमीन ने दुख जताते हुए कहती हैं कि शिक्षकों के आवेदन नहीं किए जाने के पीछे की वजह जटिल प्रक्रिया और जागरूकता का अभाव है.
तारीख बढ़ने पर है संशय: झारखंड के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की इस बेरुखी ने सरकारी सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. कुछ शिक्षकों का मानना है कि राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने से उनके सर्विस में कोई फायदा नहीं होता. वहीं कुछ का मानना है कि पुरस्कृत करने के लिए विभाग खुद शिक्षकों को चयनित कर के नाम भेज दे. बहरहाल इन सबके बीच शिक्षा विभाग केंद्र सरकार से आग्रह करके आवेदन की तारीख बढ़ाने के प्रयास में है. जिससे झारखंड से भी शिक्षकों का पुरस्कार के लिए चयन हो सके.