रांची: सरकार की नियोजन नीति के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों ने 72 घंटे के महाआंदोलन के बाद राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर छात्रों की मांग को पूरा करने के लिए अल्टीमेटम दिया है. शुक्रवार शाम मोरहाबादी में झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन के देवेंद्र नाथ महतो ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार एक सप्ताह के अंदर छात्रों की मांग को पूरा नहीं करती है तो आंदोलन और तेज किया जाएगा.
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उन्होंने कहा कि झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन के द्वारा 60-40 नियोजन नीति के विरोध में लगातार आंदोलन किए जा रहे हैं. इसके बावजूद सरकार के द्वारा इस पर कोई पहल नहीं की गई है. ऐसे में छात्रों ने महाआंदोलन सफल होने के बाद अब इस आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया है. देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि नियोजन नीति का आंदोलन का आग भयंकर रूप से धधक रहा है. यह तब तक चलता रहेगा जब तक झारखंड के विज्ञापन में स्थाई निवासी का जिक्र नहीं किया जाएगा. जब तक फॉर्म भरते समय स्थानीय प्रमाण पत्र क्रमांक संख्या नहीं मांगा जाएगा.
मूलवासी को होगी भारी क्षति: आंदोलन कर रहे छात्रों का मानना है कि राज्य सरकार के इस नियोजन नीति से स्थानीय मूलवासी को भारी क्षति उठानी पड़ेगी. छात्र नेता मनोज यादव ने कहा है की 60-40 नियोजन नीति को सरकार तत्काल वापस लेकर झारखंडी हित में नियोजन लागू करें, जिससे यहां के छात्रों को लाभ मिल सके. बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के उप धारा 85 के तहत झारखंड सरकार को अधिकार है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अध्यादेश /गजट/ संकल्प को अंगीकृत कर सकती है.
बिहार के तर्ज पर नियोजन नीति लागू करने की मांग करते हुए मनोज यादव ने कहा कि उसके बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए. नियुक्ति फॉर्म भरते समय स्थानीय प्रमाण पत्र क्रमांक संख्या अनिवार्य रूप से भरने का प्रावधान किया जाए. साथ ही जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों को जिला स्तर में आरक्षण लागू करके झारखंड से संबंधित एक खास रीति रिवाज, भाषा संस्कृति, परंपरा आदि को अनिवार्य करते हुए परीक्षा आयोजित किया जाए. मूल झारखंडी छात्रों को प्रतियोगिता परीक्षा में 5 वर्ष का उम्र सीमा में छूट देकर सरकार उत्तराखंड के तर्ज पर परीक्षा नकल विरोधी कानून सरकार लागू करे जिससे यहां के छात्रों को लाभ मिल सके.