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कांग्रेस नव चिंतन शिविर में झारखंड प्रदेश अध्यक्ष को आई किसानों की याद, कहा- बढ़ना चाहिए MSP का दायरा - ranchi news

कांग्रेस नव चिंतन शिविर में झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की है. राजेश ठाकुर ने एमएसपी का दायरा बढ़ाकर सब्जी उगाने वाले किसानों तक ले जाने की मांग की है.

Nav Chintan Shivir in rajsthan
राजेश ठाकुर
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Published : May 15, 2022, 8:39 AM IST

रांची: राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का नव चिंतन शिविर चल रहा है. जिसमें शामिल हुए झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की. उन्होंनें कहा कि इस देश में किसानों की सबसे बड़ी आबादी है, फिर भी उसे कोई देखने व सुनने वाला नहीं है, विशेषकर छोटे व मंझोले किसानों की स्थिति बेहद खराब है, राजेश ठाकुर ने कहा कि कृषि एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें सबसे ज्यादा लोग रोजगार के लिए निर्भर हैं. 61.5%ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर ही है.

ये भी पढ़ें:- उदयपुर से नए अभ्युदय की तैयारी, क्या 'शिमला' साबित होगा 2022 का चिंतन शिविर
कृषि उत्पादकता बड़ी समस्या: कृषि में उत्पादकता को बड़ी समस्या बताते हुए राजेश ठाकुर ने कहा कि हमारे देश मे कृषि उत्पादकता काफी कम है. ज्यादा लोग खेती करते हैं परंतु प्रोडक्टिविटी कम है जिसकी वजह से खेती मे लगे लोगों की आमदनी भी स्वाभाविक रुप से कम है. वहीं इंडस्ट्री मे कम लोग लगे हैं. तुलनात्मक रूप से इंडस्ट्री की उत्पादकता ज्यादा है तो उनकी औसत आय किसान से ज्यादा है. कम उत्पादकता के कारण खेती मे मशीनीकरण का कम होना है. झारखंड कांग्रेस प्रभारी राजेश ठाकुर ने चिंतन शिविर में कहा कि हमारे देश में कृषि के क्षेत्र में महज 50% मशीनीकरण है जबकि अमेरिका मे 95% और ब्राजील मे 75% मशीनीकरण है. राजेश ठाकुर ने कहा कि बीज, मशीनीकरण ,भंडारण, मार्केटिंग व्यवस्था, रिसर्च पर ज्यादा खर्च ,डेयरी फिशरीज का बजटीय आवंटन ग्रोथरेट के हिसाब से ,जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से निपटने की व्यवस्था मजबूत करना ज़रूरी है, तभी हम अपने नेता की सोच का भारत बना सकेंगे,

MSP का दायरा बढ़ाने की जरूरत: राजेश ठाकुर ने कहा कि ये ठीक है कुछ फसलों को MSP मिलती है, उसका दायरा बढ़ाकर सब्ज़ी उगाने वाले किसानों तक ले जाने की ज़रूरत है. फल एवं सब्जी को भी मिनिमम सपोर्ट प्राइस की ज़रूरत है. कर्ज माफी किसानों की चेहरे पर खुशहाली लाने का स्थायी उपाय नहीं है इसलिए हमें छोटे किसानों को मदद करने की ज़रूरत है।उन्हें बिजली में भी सब्सिडी दिये जाने की जरूरत है. अपने राज्य झारखंड में 3,90,090 किसानों का रुपये 50000 तक का कर्ज़ माफ़ किया है, फिर भी किसानों की हालत अच्छी नहीं कही जा सकती.

रांची: राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का नव चिंतन शिविर चल रहा है. जिसमें शामिल हुए झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की. उन्होंनें कहा कि इस देश में किसानों की सबसे बड़ी आबादी है, फिर भी उसे कोई देखने व सुनने वाला नहीं है, विशेषकर छोटे व मंझोले किसानों की स्थिति बेहद खराब है, राजेश ठाकुर ने कहा कि कृषि एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें सबसे ज्यादा लोग रोजगार के लिए निर्भर हैं. 61.5%ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर ही है.

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कृषि उत्पादकता बड़ी समस्या: कृषि में उत्पादकता को बड़ी समस्या बताते हुए राजेश ठाकुर ने कहा कि हमारे देश मे कृषि उत्पादकता काफी कम है. ज्यादा लोग खेती करते हैं परंतु प्रोडक्टिविटी कम है जिसकी वजह से खेती मे लगे लोगों की आमदनी भी स्वाभाविक रुप से कम है. वहीं इंडस्ट्री मे कम लोग लगे हैं. तुलनात्मक रूप से इंडस्ट्री की उत्पादकता ज्यादा है तो उनकी औसत आय किसान से ज्यादा है. कम उत्पादकता के कारण खेती मे मशीनीकरण का कम होना है. झारखंड कांग्रेस प्रभारी राजेश ठाकुर ने चिंतन शिविर में कहा कि हमारे देश में कृषि के क्षेत्र में महज 50% मशीनीकरण है जबकि अमेरिका मे 95% और ब्राजील मे 75% मशीनीकरण है. राजेश ठाकुर ने कहा कि बीज, मशीनीकरण ,भंडारण, मार्केटिंग व्यवस्था, रिसर्च पर ज्यादा खर्च ,डेयरी फिशरीज का बजटीय आवंटन ग्रोथरेट के हिसाब से ,जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से निपटने की व्यवस्था मजबूत करना ज़रूरी है, तभी हम अपने नेता की सोच का भारत बना सकेंगे,

MSP का दायरा बढ़ाने की जरूरत: राजेश ठाकुर ने कहा कि ये ठीक है कुछ फसलों को MSP मिलती है, उसका दायरा बढ़ाकर सब्ज़ी उगाने वाले किसानों तक ले जाने की ज़रूरत है. फल एवं सब्जी को भी मिनिमम सपोर्ट प्राइस की ज़रूरत है. कर्ज माफी किसानों की चेहरे पर खुशहाली लाने का स्थायी उपाय नहीं है इसलिए हमें छोटे किसानों को मदद करने की ज़रूरत है।उन्हें बिजली में भी सब्सिडी दिये जाने की जरूरत है. अपने राज्य झारखंड में 3,90,090 किसानों का रुपये 50000 तक का कर्ज़ माफ़ किया है, फिर भी किसानों की हालत अच्छी नहीं कही जा सकती.

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