रांची: बिहार की राजनीति में धाक रखने वाली लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का हाल झारखंड में कुछ खास नहीं है. यहां उनका हाल ऐसा है कि महागठबंधन में उपेक्षा का दर्द सहने के बावजूद वो खुलकर अपना दर्द बयां भी नहीं कर सकते. राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक संजय सिंह यादव इसे समय का फेर करार देते हुए हेमंत सरकार पर तंज कसा है.
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ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में झारखंड राजद प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने कहा कि एक विधायक होते हुए भी हेमंत सोरेन ने राजद विधायक को मंत्री बनाया. इसके लिए उन्हें धन्यवाद है. लेकिन इसके उन्होंने जो भी कहा वो झारखंड की राजनीति में महागठबंधन के अंदर की गांठ को इशारों इशारों में समझने के लिए काफी है. संजय सिंह यादव कहते हैं कि हेमंत सोरेन की सरकार से राजद को बहुत उम्मीद भी नहीं है. आरजेडी को हेमंत सरकार से बहुत उम्मीद नहीं है.
इंसान नहीं, समय बलवान होता है- राजद प्रदेश अध्यक्षः राजद प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने महागठबंधन में अपने ही सहयोगी दलों की ओर से हो रही उपेक्षा के सवाल पर कहा कि इंसान बलवान नहीं होता बल्कि समय बलवान होता है. उन्होंने कहा कि राजनीति में दर्द जैसा कुछ नहीं होता बल्कि सहयोगियों को सलाह दिया जाता है मानना या नहीं मानना सामने वाले पर निर्भर करता है.
याचक नहीं है राजद- संजय सिंह यादवः संजय सिंह यादव ने कहा कि बोर्ड निगम में राजद की उपेक्षा हो रही हो पर वो सहयोगी दलों के पास भीख मांगने नहीं जा रहे हैं. ये सब समय का फेर है. प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने कहा कि सत्ता में मैंडेट का खेल होता है, हमारे पास अभी संख्या बल अभी नहीं है, इसलिए चुप हैं. आनेवाले दिनों में राजद की क्या रणनीति होगी, कितने सीट पर राजद चुनाव लड़ेगा यह भविष्य का सवाल है.
भाई, बेईमान निकल जाए तो हम भी बेईमान हो जाएं- अनिता यादवः झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष के बयान का समर्थन करते हुए वरिष्ठ राजद नेता और प्रदेश उपाध्यक्ष अनिता यादव ने कहा कि बात सम्मान की है, इसलिए दर्द है. उन्होंने कहा कि यह सही है कि राजद किसी लोभ की वजह से महागठबंधन के हिस्सा नहीं है बल्कि बड़ा लक्ष्य (भाजपा को सत्ता से दूर रखने) के साथ महागठबंधन के साथ है. उन्होंने कहा कि हमने समर्थन के लिए ब्लैकमेलिंग करने वाले लोगों को भी देखा है. हमारे पास आज ब्लैकमेलिंग करने की ताकत नहीं है, अगर होता तब भी नहीं करते. क्योकि हमें हर हाल में साम्प्रदायिक शक्तियों को पराजित करना है. अनिता यादव ने कहा कि बात सिर्फ सम्मान की है और राजद इसका हकदार है.
बिना आरजेडी के नहीं बनती हेमंत की सरकार- राजदः झारखंड राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि सहयोगी झामुमो और कांग्रेस, इस बात का चिंतन करें कि क्या बिना राजद के सहयोग के राज्य में हेमंत सरकार बन जाती? झामुमो और कांग्रेस ने 2019 में जिन जिन सीटों पर जीत दर्ज की उसमें से कितनी सीटें हैं. जहां बिना राजद के सहयोग के वह जीते थे, इसका भी ख्याल उन्हें रखना चाहिये. अनिता यादव ने कहा कि अगर भाई बेईमान हो जाये तो हम भी बेईमान हो जाये, यह जरूरी नहीं. बेईमान कौन है? इस सवाल का जवाब राजद ने जनता के ऊपर छोड़ दिया है.
आखिर क्यों खफा है राजदः 2019 में राष्ट्रीय जनता दल, झामुमो और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर चुनावी समर में उतरा था, तब राजद को 07 विधानसभा सीट मिली थी. 2019 में राजद ने कई ऐसी विधानसभा सीट सहयोगियों के लिए छोड़ दी थी जहां कभी उसका जनाधार हुआ करता था. चुनावी नतीजे में राजद कई सीटों पर जीतते जीतते हार गई और सिर्फ एक उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता जीत कर विधायक बने.
सत्यानंद भोक्ता को सरकार में मंत्री भी बनाया गया लेकिन झामुमो-कांग्रेस की ओर से समन्वय समिति के गठन, बोर्ड निगम, 20 सूत्री और 15 सूत्री के गठन में आरजेडी की उपेक्षा हुई. इस बंटवारे में राजद संगठन के नेताओं की हुई उपेक्षा से पार्टी नेताओं में नाराजगी स्वाभाविक है. ऐसे में पार्टी का एक बड़ा धड़ा इस सोच के साथ आगे बढ़ रहा है कि ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़कर जब राजद अपनी ताकत दिखायेगा तभी पहले मजबूत संगठन फिर मजबूत सरकार में अपनी सशक्त भूमिका निभा सकेगा.