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राज्यसभा सदस्य धीरज साहू को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

झारखंड से राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने धीरज साहू के जवाब को सुनने के बाद निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया.

jharkhand rajya sabha member dheeraj sahu
राज्यसभा सदस्य धीरज साहू
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Published : Dec 19, 2020, 11:10 AM IST

Updated : Dec 19, 2020, 11:46 AM IST

रांचीः राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार सोंथालिया ने राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के चुनाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस दौरान उन्होंने विधायक अमित महतो के वोट पर सवाल उठाया था. बीते दिनों हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अदालत में प्रदीप कुमार सोंथालिया की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा था. इधर शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने धीरज प्रसाद साहू के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया.

निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई
राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान धीरज साहू की ओर से अदालत को बताया गया था कि चुनाव के दिन सिल्ली के तत्कालीन विधायक अमित महतो ने दिन में 9:30 बजे मतदान किया था, जबकि उन्हें 2:30 बजे सजा सुनाई गई थी. मतदान के समय वे विधानसभा के सदस्य थे. वहीं भाजपा प्रत्याशी प्रदीप सोथांलिया के अधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वे 6 साल के लिए अयोग्य हो गए थे, जिसकी वजह से उनका वोट मान्य नहीं होना चाहिए.

इसे भी पढ़ें- सीएम के खिलाफ लगे आरोप गंभीर, होनी चाहिए निष्पक्ष जांचः वंदना उपाध्याय

अमित महतो के वोट को खारिज करने की थी मांग
बीते दिनों हुई सुनवाई में सोंथालिया की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राज्यसभा चुनाव के दौरान सिल्ली के तत्कालीन झामुमो विधायक अमित महतो ने 23 मार्च 2018 को सुबह 9.30 बजे मतदान किया था. उसी दिन दोपहर 2.30 बजे उन्हें सत्र न्यायालय ने दोषी ठहराया और 2 साल की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वे 6 साल के लिए अयोग्य हो गए थे. मुकुल रोहतगी ने अदालत से पूछा था कि ऐसे में अमित महतो के वोट को गिना जाएगा या नहीं. रोहतगी ने अदालत से अमित महतो के वोट को खारिज करने की मांग की थी.

इस पर अदालत ने कहा था कि किसी भी आदमी को तब तक दोषी साबित नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वह स्थापित न हो जाए. एक आदमी तब तक निर्दोष है, जब तक कि वह दोषी साबित न हो जाए.

क्या था पूरा मामला
प्रदीप कुमार सोंथालिया गिरिडीह के रहने वाले हैं, वे धनबाद में सीमेंट, रियल स्टेट और स्टील का कारोबार करते हैं. राज्यसभा चुनाव 2018 के दौरान भाजपा ने दूसरे उम्मीदवार के तौर पर प्रदीप कुमार सोंथालिया का नाम घोषित किया था. तब भाजपा के पास 50 विधायकों का समर्थन था और दोनों सीट निकालने के लिए उसे 54 वोटों की जरूरत थी. प्रदीप सोंथालिया भाजपा के अलावा झामुमो के भी नजदीकी माने जाते थे.

इस चुनाव में प्रदीप कुमार सोंथालिया आधे मतों के अंतर से हार गए और कांग्रेस प्रत्याशी धीरज साहू की जीत हुई. इसके बाद सोंथालिया ने साहू के निर्वाचन को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने कहा कि अमित महतो का वोट रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि वोटिंग के दिन वे सजा मिलने के कारण अयोग्य हो चुके थे. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2020 को सोंथालिया की याचिका खारिज कर दी थी.

रांचीः राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार सोंथालिया ने राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के चुनाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस दौरान उन्होंने विधायक अमित महतो के वोट पर सवाल उठाया था. बीते दिनों हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अदालत में प्रदीप कुमार सोंथालिया की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा था. इधर शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने धीरज प्रसाद साहू के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया.

निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई
राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान धीरज साहू की ओर से अदालत को बताया गया था कि चुनाव के दिन सिल्ली के तत्कालीन विधायक अमित महतो ने दिन में 9:30 बजे मतदान किया था, जबकि उन्हें 2:30 बजे सजा सुनाई गई थी. मतदान के समय वे विधानसभा के सदस्य थे. वहीं भाजपा प्रत्याशी प्रदीप सोथांलिया के अधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वे 6 साल के लिए अयोग्य हो गए थे, जिसकी वजह से उनका वोट मान्य नहीं होना चाहिए.

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अमित महतो के वोट को खारिज करने की थी मांग
बीते दिनों हुई सुनवाई में सोंथालिया की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राज्यसभा चुनाव के दौरान सिल्ली के तत्कालीन झामुमो विधायक अमित महतो ने 23 मार्च 2018 को सुबह 9.30 बजे मतदान किया था. उसी दिन दोपहर 2.30 बजे उन्हें सत्र न्यायालय ने दोषी ठहराया और 2 साल की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वे 6 साल के लिए अयोग्य हो गए थे. मुकुल रोहतगी ने अदालत से पूछा था कि ऐसे में अमित महतो के वोट को गिना जाएगा या नहीं. रोहतगी ने अदालत से अमित महतो के वोट को खारिज करने की मांग की थी.

इस पर अदालत ने कहा था कि किसी भी आदमी को तब तक दोषी साबित नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वह स्थापित न हो जाए. एक आदमी तब तक निर्दोष है, जब तक कि वह दोषी साबित न हो जाए.

क्या था पूरा मामला
प्रदीप कुमार सोंथालिया गिरिडीह के रहने वाले हैं, वे धनबाद में सीमेंट, रियल स्टेट और स्टील का कारोबार करते हैं. राज्यसभा चुनाव 2018 के दौरान भाजपा ने दूसरे उम्मीदवार के तौर पर प्रदीप कुमार सोंथालिया का नाम घोषित किया था. तब भाजपा के पास 50 विधायकों का समर्थन था और दोनों सीट निकालने के लिए उसे 54 वोटों की जरूरत थी. प्रदीप सोंथालिया भाजपा के अलावा झामुमो के भी नजदीकी माने जाते थे.

इस चुनाव में प्रदीप कुमार सोंथालिया आधे मतों के अंतर से हार गए और कांग्रेस प्रत्याशी धीरज साहू की जीत हुई. इसके बाद सोंथालिया ने साहू के निर्वाचन को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने कहा कि अमित महतो का वोट रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि वोटिंग के दिन वे सजा मिलने के कारण अयोग्य हो चुके थे. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2020 को सोंथालिया की याचिका खारिज कर दी थी.

Last Updated : Dec 19, 2020, 11:46 AM IST
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