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आखिर क्यों स्थगित हो गई 7वीं जेपीएससी की मुख्य परीक्षा, कहां हो गई आयोग से चूक, पढ़ें रिपोर्ट

सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि झारखंड हाई कोर्ट ने मुख्य परीक्षा को स्थगित करने का आदेश नहीं दिया है बल्कि खुद जेपीएससी ने अपना पैर खींचा है. अब सवाल है कि जेपीएससी को ऐसा क्यों करना पड़ा. दरअसल, जेपीएससी ने बिना नियम के कैटेगरी के आधार पर पीटी का रिजल्ट निकाला था, जिसकी वजह से सामान्य कैटेगरी की भागीदारी प्रभावित हुई थी.

Jharkhand Public Service Commission itself postponed 7th JPSC mains exam
जेपीएससी की मुख्य परीक्षा
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Published : Jan 25, 2022, 5:02 PM IST

Updated : Jan 25, 2022, 7:50 PM IST

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सातवीं से दसवीं जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा पीटी परीक्षा में आरक्षण देने के मामले में दायर याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता एके दास ने अपना अपना पक्ष रखा. इस दौरान जेपीएससी की ओर से बताया गया कि 28 जनवरी से होने वाली सातवीं से दसवीं जेपीएससी मेंस परीक्षा स्थगित कर दी गयी है. पीटी में आरक्षण देने के बिंदु पर याचिकाकर्ता द्वारा किए गए दावों की जांच की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- जेपीएससी मुख्य परीक्षा टली, अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट को दिया धन्यवाद

आरक्षण का लाभ देने को चुनौतीः याचिकाकर्ता कुमार सन्यम की ओर से अधिवक्ता ने सोमवार को खंडपीठ को बताया था कि नियमावली और विज्ञापन में कहीं भी प्रारंभिक परीक्षा यानी पीटी में आरक्षण का लाभ देने की बात नहीं कही गयी है. इसके बावजूद जेपीएससी ने पीटी में आरक्षण का लाभ देते हुए रिजल्ट निकाला है. 7वीं जेपीएससी की पीटी परीक्षा में कुल 4 हजार 244 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए चयनित हुए हैं. इसमें सामान्य कैटेगरी के 114 सीट के विरुद्ध 15 गुना अर्थात 1710 अभ्यर्थी को सफल होना चाहिए था लेकिन 768 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है. शेष पदों पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं. इसमें कई ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिनका चयन सामान्य कैटेगरी में हो गया है, लेकिन वो आरक्षित श्रेणी से आते हैं. इसका आधार उनका अंक सामान्य कैटेगरी से ज्यादा होना बताया गया है. प्रार्थी की ओर से 7वीं जेपीएससी की पीटी की परीक्षा को निरस्त कर संशोधित परिणाम जारी करने की मांग अदालत से की गयी है. यहां बता दें कि प्रार्थी कुमार सन्यम ने याचिका दायर कर सातवीं से दसवीं जेपीएससी पीटी में आरक्षण का लाभ देने को चुनौती दी है.

इससे पहले सोमवार को भी खंडपीठ ने जेपीएससी से पूछा था कि अनारक्षित वर्ग के 114 रिक्ति के विरुद्ध 15 गुना रिजल्ट क्यों नहीं दिया गया. इस बाबत मंगलवार को शपथ पत्र दायर करने को कहा गया था. जिसके बाद इस परीक्षा से जेपीएससी ने अपने पैर वापस खींच लिए, जिसकी जानकारी हाई कोर्ट के मंगलवार को सुनवाई के दौरान दी गयी. झारखंड हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता ने यह जानकारी दी है. 7वीं जेपीएससी पीटी परीक्षा में बगैर प्रावधान के आरक्षण का लाभ कैसे दिया गया? इस पर अदालत ने जानकारी मांगी थी. उसी मामले की सुनवाई के दौरान जेपीएससी ने अदालत में यह जानकारी दी. अदालत को बताया गया कि प्रार्थी की जो भी मांग है, उसे देखा जाएगा. अगर उसमें कहीं संशोधन की जरूरत होगी तो उसे नियमपूर्वक संशोधित किया जाएगा. इससे अदालत को अवगत कराया जाएगा. इसलिए इस मामले की सुनवाई की अन्य तिथि रख दी जाए. अदालत ने जेपीएससी के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 15 फरवरी को निर्धारित की है. जेपीएससी को इस बीच प्रार्थी की मांग पर नियमपूर्वक निर्णय लेकर कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया है.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सातवीं से दसवीं जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा पीटी परीक्षा में आरक्षण देने के मामले में दायर याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता एके दास ने अपना अपना पक्ष रखा. इस दौरान जेपीएससी की ओर से बताया गया कि 28 जनवरी से होने वाली सातवीं से दसवीं जेपीएससी मेंस परीक्षा स्थगित कर दी गयी है. पीटी में आरक्षण देने के बिंदु पर याचिकाकर्ता द्वारा किए गए दावों की जांच की जाएगी.

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आरक्षण का लाभ देने को चुनौतीः याचिकाकर्ता कुमार सन्यम की ओर से अधिवक्ता ने सोमवार को खंडपीठ को बताया था कि नियमावली और विज्ञापन में कहीं भी प्रारंभिक परीक्षा यानी पीटी में आरक्षण का लाभ देने की बात नहीं कही गयी है. इसके बावजूद जेपीएससी ने पीटी में आरक्षण का लाभ देते हुए रिजल्ट निकाला है. 7वीं जेपीएससी की पीटी परीक्षा में कुल 4 हजार 244 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए चयनित हुए हैं. इसमें सामान्य कैटेगरी के 114 सीट के विरुद्ध 15 गुना अर्थात 1710 अभ्यर्थी को सफल होना चाहिए था लेकिन 768 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है. शेष पदों पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं. इसमें कई ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिनका चयन सामान्य कैटेगरी में हो गया है, लेकिन वो आरक्षित श्रेणी से आते हैं. इसका आधार उनका अंक सामान्य कैटेगरी से ज्यादा होना बताया गया है. प्रार्थी की ओर से 7वीं जेपीएससी की पीटी की परीक्षा को निरस्त कर संशोधित परिणाम जारी करने की मांग अदालत से की गयी है. यहां बता दें कि प्रार्थी कुमार सन्यम ने याचिका दायर कर सातवीं से दसवीं जेपीएससी पीटी में आरक्षण का लाभ देने को चुनौती दी है.

इससे पहले सोमवार को भी खंडपीठ ने जेपीएससी से पूछा था कि अनारक्षित वर्ग के 114 रिक्ति के विरुद्ध 15 गुना रिजल्ट क्यों नहीं दिया गया. इस बाबत मंगलवार को शपथ पत्र दायर करने को कहा गया था. जिसके बाद इस परीक्षा से जेपीएससी ने अपने पैर वापस खींच लिए, जिसकी जानकारी हाई कोर्ट के मंगलवार को सुनवाई के दौरान दी गयी. झारखंड हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता ने यह जानकारी दी है. 7वीं जेपीएससी पीटी परीक्षा में बगैर प्रावधान के आरक्षण का लाभ कैसे दिया गया? इस पर अदालत ने जानकारी मांगी थी. उसी मामले की सुनवाई के दौरान जेपीएससी ने अदालत में यह जानकारी दी. अदालत को बताया गया कि प्रार्थी की जो भी मांग है, उसे देखा जाएगा. अगर उसमें कहीं संशोधन की जरूरत होगी तो उसे नियमपूर्वक संशोधित किया जाएगा. इससे अदालत को अवगत कराया जाएगा. इसलिए इस मामले की सुनवाई की अन्य तिथि रख दी जाए. अदालत ने जेपीएससी के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 15 फरवरी को निर्धारित की है. जेपीएससी को इस बीच प्रार्थी की मांग पर नियमपूर्वक निर्णय लेकर कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया है.

Last Updated : Jan 25, 2022, 7:50 PM IST
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