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रांची: झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ की मांग, शिक्षकों को मिले समय पर वेतन

झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों का समंजन योजना मद से हटाकर गैर-योजना मद में करते हुए गैर योजना मद से नियमित वेतन का भुगतान करने की मांग की है.

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Published : May 8, 2021, 9:55 PM IST

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झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ की मांग

रांची: झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों नियमित वेतन का भुगतान करने की मांग की है.

ये भी पढ़े- वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का विधायकों को निर्देश, विधायक निधि से उपलब्ध कराएं एंबुलेंस

अब तक 800 इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति

इस विषय पर अपनी बात रखते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद किशोर साहू और प्रदेश महासचिव बलजीत कुमार सिंह ने बताया कि स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार के वर्ष 2014-15 और 2015-16 में झारखंड प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2012 के तहत योजना इकाई के अंतर्गत लगभग 4401 स्वीकृत इकाइयों के विरुद्ध राज्य के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में अबतक लगभग 800 इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति जिला स्थापना समिति के माध्यम से की गई है.

समय पर वेतन न मिलने से होती है परेशानी

योजना इकाई के अंतर्गत पदस्थापना रहने के कारण शिक्षकों के वेतन भुगतान में हमेशा देरी होती है. आवंटन में देरी के कारण कभी-कभी 5-6 महीने तक वेतन भुगतान नहीं हो पाता है. कभी समय पर आवंटन मिल भी जाता है तो वेतन भुगतान की प्रक्रिया के कारण समय पर वेतन नहीं मिल पाता है. अपने वेतन के लिए उर्दू शिक्षकों को जिला शिक्षा कार्यालयों के कई चक्कर काटने पड़ते हैं. समय पर वेतन भूगतान नहीं होने के कारण उर्दू शिक्षकों के समक्ष हमेशा आर्थिक संकट और मानसिक तनाव की स्थिति बनी रहती है. समय पर प्रत्येक महीने एनपीएस की कटौती नहीं होने के कारण इसका असर भविष्य -निधि पर भी पड़ रहा है.

बिहार में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति गैर योजना मद में होती रही है

उन्होंने बताया कि इससे पहले एकीकृत बिहार में भी उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति गैर योजना मद में होती रही है. 2014-15 और 2015-16 में उक्त उर्दू शिक्षकों के साथ नियुक्त सामान्य शिक्षकों की नियुक्ति गैर योजना मद के अंतर्गत ही हुई है. गैर योजना मद में आवंटन की समस्या नहीं है और प्रखंड स्तर पर ही सारे कार्य होने के कारण कार्यालयी कार्य में भी समय बर्बाद नहीं होता है. उन्होंने कहा कि विभाग से उर्दू शिक्षकों के समक्ष समस्याओं पर संज्ञान लेते हुए इनका समंजन योजना इकाई से हटाकर गैर योजना इकाई में किया जाए. जिससे वेतन का भुगतान बिना देरी के हो सके.

रांची: झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों नियमित वेतन का भुगतान करने की मांग की है.

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अब तक 800 इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति

इस विषय पर अपनी बात रखते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद किशोर साहू और प्रदेश महासचिव बलजीत कुमार सिंह ने बताया कि स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार के वर्ष 2014-15 और 2015-16 में झारखंड प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2012 के तहत योजना इकाई के अंतर्गत लगभग 4401 स्वीकृत इकाइयों के विरुद्ध राज्य के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में अबतक लगभग 800 इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति जिला स्थापना समिति के माध्यम से की गई है.

समय पर वेतन न मिलने से होती है परेशानी

योजना इकाई के अंतर्गत पदस्थापना रहने के कारण शिक्षकों के वेतन भुगतान में हमेशा देरी होती है. आवंटन में देरी के कारण कभी-कभी 5-6 महीने तक वेतन भुगतान नहीं हो पाता है. कभी समय पर आवंटन मिल भी जाता है तो वेतन भुगतान की प्रक्रिया के कारण समय पर वेतन नहीं मिल पाता है. अपने वेतन के लिए उर्दू शिक्षकों को जिला शिक्षा कार्यालयों के कई चक्कर काटने पड़ते हैं. समय पर वेतन भूगतान नहीं होने के कारण उर्दू शिक्षकों के समक्ष हमेशा आर्थिक संकट और मानसिक तनाव की स्थिति बनी रहती है. समय पर प्रत्येक महीने एनपीएस की कटौती नहीं होने के कारण इसका असर भविष्य -निधि पर भी पड़ रहा है.

बिहार में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति गैर योजना मद में होती रही है

उन्होंने बताया कि इससे पहले एकीकृत बिहार में भी उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति गैर योजना मद में होती रही है. 2014-15 और 2015-16 में उक्त उर्दू शिक्षकों के साथ नियुक्त सामान्य शिक्षकों की नियुक्ति गैर योजना मद के अंतर्गत ही हुई है. गैर योजना मद में आवंटन की समस्या नहीं है और प्रखंड स्तर पर ही सारे कार्य होने के कारण कार्यालयी कार्य में भी समय बर्बाद नहीं होता है. उन्होंने कहा कि विभाग से उर्दू शिक्षकों के समक्ष समस्याओं पर संज्ञान लेते हुए इनका समंजन योजना इकाई से हटाकर गैर योजना इकाई में किया जाए. जिससे वेतन का भुगतान बिना देरी के हो सके.

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