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Jharkhand Politics: झामुमो में आकर क्या फिर से कद्दावर हो पाएंगे हेमलाल मुर्मू? संथाल की राजनीति में हेमंत सोरेन ने भाजपा के खिलाफ चल दी है बड़ी चाल! - मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

सिधो जयंती समारोह के अवसर पर हेमलाल मुर्मू की झामुमो में घर वापसी हो रही है. इस दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे. बीजेपी में आठ साल से भी अधिक समय तक रहने के बाद उनकी घर वापसी हो रही है.

Jharkhand JMM Politics
हेमलाल मुर्मू
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Published : Apr 10, 2023, 8:38 PM IST

एक दूसरे पर तंज कसते बीजेपी और झामुमो के नेता

रांची: संथाल और झारखंड के लिए 11अप्रैल का दिन ऐतिहासिक है. इस दिन अमर शहीद सिधो की जयंती है. साहिबगंज के बरहेट प्रखंड के भोगनाडीह में इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष सिधो जयंती समारोह इस मायने में खास होने जा रही है. साथ ही लगभग आठ साल के बाद हेमलाल मुर्मू की झारखंड मुक्ति मोर्चा में घर वापसी हो रही है. हेमलाल भाजपा को टाटा कर जेएमएम में आर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: VIDEO: तेज हुआ बीजेपी का सचिवालय घेराव का कार्यक्रम, रांची से पार्टी का प्रचार वाहन रवाना

इस बात को लेकर हुई थी तकरार: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद बरहेट आकर हेमलाल को पार्टी में वापसी कराएंगे. हेमलाल मुर्मू एक समय में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अहम नेताओं में से एक थे. 1990 से 2009 तक की अवधि में राजमहल से लोकसभा सदस्य रहे. बरहेट विधानसभा क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व किया. जहां से वर्तमान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधायक है. जानकारी के अनुसार हेमंत और हेमलाल की तकरार दो बातों के लिए हुई थी. पहली अर्जुन मुंडा की सरकार से समर्थन वापस लेने के मुद्दे पर और फिर वर्ष 2014 में राजमहल लोकसभा सीट से थॉमस हांसदा के बेटे को झामुमो उम्मीदवार बनाने को लेकर.

भाजपा की टिकट पर हारे चार चुनाव: हेमलाल मुर्मू ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था. झामुमो के लिए उन्होंने 35-40 वर्षों के लिए राजनीति की थी. दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ मिलकर संथाल के इलाके में घर घर तीर धनुष को पहचान दिलाने में अहम रोल अदा किया था. बीजेपी ने भी उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर सम्मान दिया. लेकिन लगातर चार उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

हेमलाल की वापसी से आएगी मजबूती: हेमलाल मुर्मू जैसे बड़े कद के नेता की घर वापसी कराकर हेमंत सोरेन ने संथाल की राजनीति में एक बड़ा दांव चल दिया है. झामुमो के उत्साहित नेता कहते हैं कि भाजपा जैसे फ्लॉप पार्टी में जाकर हेमलाल मुर्मू फ्लॉप नेता हो गए थे. झारखंडी विचारधारा की पार्टी और हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व में हेमलाल मुर्मू झामुमो हिट नेता साबित होंगे. पार्टी का संगठन और भी मजबूत होगा. हेमलाल मुर्मू की वापसी के पीछे की एक वजह लोबिन हेम्ब्रम भी हैं. लोबिन हेमन्त सोरेन के राजनीतिक फैसलों का विरोध करते रहे हैं.

भाजपा ने हेमलाल को दिया सम्मान दिया: वहीं भारतीय जनता पार्टी ने हेमलाल मुर्मू को फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि इसका कोई असर भारतीय जनता पार्टी के सेहत पर नहीं पड़ेगा. संथाल परगना में भाजपा कार्यकर्ता और कैडर के मेहनत से पार्टी चलती है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अविनाश कुमार सिंह ने कहा कि हेमलाल मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी ने जितना मान सम्मान और मौका दिया उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं हेमलाल. अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि हेमलाल कितने बड़े नेता हैं और संथाल में क्या गुल खिलाएंगे वह भी भाजपा देख लेगी.

तीर धनुष की लोकप्रियता से घर वापसी: झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य और प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि यह हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व और झामुमो, शिबू सोरेन तथा तीर धनुष की लोकप्रियता है कि हेमलाल मुर्मू घर वापसी कर रहे हैं. एक गलत फैसला लेकर वह भाजपा में गए थे, और सही फैसला लेकर घर वापसी कर रहे हैं.

एक दूसरे पर तंज कसते बीजेपी और झामुमो के नेता

रांची: संथाल और झारखंड के लिए 11अप्रैल का दिन ऐतिहासिक है. इस दिन अमर शहीद सिधो की जयंती है. साहिबगंज के बरहेट प्रखंड के भोगनाडीह में इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष सिधो जयंती समारोह इस मायने में खास होने जा रही है. साथ ही लगभग आठ साल के बाद हेमलाल मुर्मू की झारखंड मुक्ति मोर्चा में घर वापसी हो रही है. हेमलाल भाजपा को टाटा कर जेएमएम में आर रहे हैं.

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इस बात को लेकर हुई थी तकरार: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद बरहेट आकर हेमलाल को पार्टी में वापसी कराएंगे. हेमलाल मुर्मू एक समय में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अहम नेताओं में से एक थे. 1990 से 2009 तक की अवधि में राजमहल से लोकसभा सदस्य रहे. बरहेट विधानसभा क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व किया. जहां से वर्तमान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधायक है. जानकारी के अनुसार हेमंत और हेमलाल की तकरार दो बातों के लिए हुई थी. पहली अर्जुन मुंडा की सरकार से समर्थन वापस लेने के मुद्दे पर और फिर वर्ष 2014 में राजमहल लोकसभा सीट से थॉमस हांसदा के बेटे को झामुमो उम्मीदवार बनाने को लेकर.

भाजपा की टिकट पर हारे चार चुनाव: हेमलाल मुर्मू ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था. झामुमो के लिए उन्होंने 35-40 वर्षों के लिए राजनीति की थी. दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ मिलकर संथाल के इलाके में घर घर तीर धनुष को पहचान दिलाने में अहम रोल अदा किया था. बीजेपी ने भी उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर सम्मान दिया. लेकिन लगातर चार उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

हेमलाल की वापसी से आएगी मजबूती: हेमलाल मुर्मू जैसे बड़े कद के नेता की घर वापसी कराकर हेमंत सोरेन ने संथाल की राजनीति में एक बड़ा दांव चल दिया है. झामुमो के उत्साहित नेता कहते हैं कि भाजपा जैसे फ्लॉप पार्टी में जाकर हेमलाल मुर्मू फ्लॉप नेता हो गए थे. झारखंडी विचारधारा की पार्टी और हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व में हेमलाल मुर्मू झामुमो हिट नेता साबित होंगे. पार्टी का संगठन और भी मजबूत होगा. हेमलाल मुर्मू की वापसी के पीछे की एक वजह लोबिन हेम्ब्रम भी हैं. लोबिन हेमन्त सोरेन के राजनीतिक फैसलों का विरोध करते रहे हैं.

भाजपा ने हेमलाल को दिया सम्मान दिया: वहीं भारतीय जनता पार्टी ने हेमलाल मुर्मू को फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि इसका कोई असर भारतीय जनता पार्टी के सेहत पर नहीं पड़ेगा. संथाल परगना में भाजपा कार्यकर्ता और कैडर के मेहनत से पार्टी चलती है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अविनाश कुमार सिंह ने कहा कि हेमलाल मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी ने जितना मान सम्मान और मौका दिया उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं हेमलाल. अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि हेमलाल कितने बड़े नेता हैं और संथाल में क्या गुल खिलाएंगे वह भी भाजपा देख लेगी.

तीर धनुष की लोकप्रियता से घर वापसी: झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य और प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि यह हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व और झामुमो, शिबू सोरेन तथा तीर धनुष की लोकप्रियता है कि हेमलाल मुर्मू घर वापसी कर रहे हैं. एक गलत फैसला लेकर वह भाजपा में गए थे, और सही फैसला लेकर घर वापसी कर रहे हैं.

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