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माओवादियों के पीएलजीए सप्ताह को लेकर हाई अलर्ट पर झारखंड पुलिस, गोरिल्ला वार तेज करने की है रणनीति

माओवादियों की ओर से दो से 8 दिसंबर के बीच पीएलजीए सप्ताह (PLGA week of Maoists) मनायेगा. इस दौरान गुरिल्ला युद्ध तेज करने की योजना है. इसको लेकर माओवादी सेंट्रल कमेटी ने सर्कुलर जारी किया है. इसको देखते हुए झारखंड पुलिस अलर्ट पर है.

Jharkhand Police
माओवादियों के पीएलजीए सप्ताह को लेकर हाई अलर्ट पर झारखंड पुलिस
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Published : Nov 24, 2022, 8:54 PM IST

रांचीः अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने की कोशिश में भाकपा माओवादी लगा है. इसको लेकर देश में गोरिल्ला वार तेज करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. अपनी रणनीति को अंजाम देने के लिए भाकपा माओवादी पीएलजीए सप्ताह (PLGA week of Maoists) यानी 2 से 8 दिसंबर तक विशेष रणनीति के तहत काम करेंगे. इस सप्ताह में पुलिस बल पर हमला के साथ-साथ विकास योजनाओं को बाधित किया जा सकता है. इसको देखते हुए झारखंड पुलिस अलर्ट पर है.

यह भी पढ़ेंः IED Recovered in Chaibasa: चाईबासा में नक्सलियों ने लगाए थे 6 आईईडी बम, पुलिस ने बरामद कर किया नष्ट

झारखंड सहित देश के दूसरे राज्यों में पुलिस कार्रवाई की वजह से माओवादियों को भारी नुकसान पहुंचा है. यही वजह है कि अब माओवादी एक बार फिर गोरिल्ला संघर्ष के लिए लोगों को तैयार कर रहे हैं. इसके लिए माओवादियों के शीर्ष सेंट्रल कमेटी ने अपने संगठन के अंदर 27 पृष्ठों का एक सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की 22 वीं वर्षगांठ पर देशभर में वर्ग संघर्ष और गुरिल्ला युद्ध को तेज करने का निर्देश दिया गया है. सेंट्रल कमेटी ने 2 से 8 दिसंबर तक पीएलजीए सप्ताह मनाने का आह्वान किया है.

देखें पूरी खबर


इस सर्कुलर की जानकारी मिलने के बाद झारखंड पुलिस ने अलर्ट जारी किया है. माओवादियों द्वारा इस दौरान पुलिस कैंप, सुरक्षा बलों के पोस्ट-पिकेट, पेट्रोलिंग पार्टी, वीवीआईपी या बैंक स्कॉर्ट पार्टी को निशाना बनाया जा सकता है. आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने सभी जिलों के एसपी को विशेष सतर्कता बरतने का आदेश दिए हैं. आशंका जताई गई है कि पीएलजीए सप्ताह के दौरान माओवादी आमलोगों को एसपीओ करार देकर हत्या, पुल पुलिया या रेलवे ट्रैक को उड़ाने, विकास योजनाओं को बाधित करने जैसे वारदातों को अंजाम दे सकता हैं.



आईजी होमकर ने बताया कि एसपी को निर्देश दिया है, ताकि खतरनाक सुरक्षा कैंपों को विशेष अलर्ट पर रखा जाए. साथ ही वहां तैनात कर्मियों को भी सुरक्षा संबंधी निर्देश दिए गए हैं. सीआरपीएफ, एसएसबी, जैप, आईआरबी समेत सभी सुरक्षाबलों को भी संभावित नक्सल हमलों को लेकर जानकारी देने का निर्देश एसपी को दिया गया है. मुख्यालय के निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाकर्मियों का मूवमेंट ऑपरेशनल कामों के लिए ही होगा. कैंप आने जाने के रास्तों में आईईडी जांच की जाएगी. नेशनल हाईवे और अन्य प्रमुख रास्तों को माओवादी प्रभावित इलाकों को मैपिंग की जाएगी. इसके बाद इस रास्तों पर वाहनों की आवाजाही होगी. ग्रामीण बाजार हाट में पुलिस बलों को विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है. आईजी अभियान ने बताया कि झारखंड पुलिस का इंटेलिजेंस विभाग भी लगातार सूचनाओं के संकलन में लगे है.


माओवादियों के सेंट्रल कमेटी द्वारा जारी किये गए सर्कुलर में यह बताया गया है कि साल 2021-22 के सिर्फ 11 महीने में 132 साथी मारे गए हैं. जारी सर्कुलर के अनुसार सेंट्रल रीजनल में एक, दंडकारण्य में 89, बिहार-झारखंड में 17, पश्चिम बंगाल में एक, तेलंगाना में 15, आंध्रप्रदेश में एक, ओड़िसा में तीन और महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीन माओवादी मारे गए हैं. दो और माओवादियों की मौत का जिक्र सेंट्रल कमेटी ने किया है. लेकिन स्थान का जिक्र नही है.


सेंट्रल कमेटी ने दंडकारण्य के पारेवा मुठभेड़ में केंद्रीय कमेटी सदस्य दीपक समेत 27 माओवादियों की मौत का बदला लेने की बात कही गई है. माओवादियों ने बताया है कि पारेवा में सेंट्रल कमेटी सदस्य दीपक को बचाने के लिए पुलिस बलों से लोहा लेने में 27 सदस्य मारे गए थे. 10 घंटे तक चली मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों के खून का बदला खून से लेने का निर्देश दिया गया है. माओवादियों ने सर्कुलर में एक बड़ा दावा किया है. दावे के अनुसार पिछले एक साल में झारखंड में पुलिस के पांच मुखबिरों को मौत के घाट उतारा गया है. यह भी कहा गया है कि माओवादी दस्ते ने मनोहरपुर में पूर्व विधायक के तीन बॉडीगार्ड की हत्या कर एके 47 लूटी थी. गिरिडीह में 13 करोड़ में बने एक पुल को उड़ाने और 37 वाहनों में आग लगाने का दावा भी माओवादियों ने किया है.

रांचीः अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने की कोशिश में भाकपा माओवादी लगा है. इसको लेकर देश में गोरिल्ला वार तेज करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. अपनी रणनीति को अंजाम देने के लिए भाकपा माओवादी पीएलजीए सप्ताह (PLGA week of Maoists) यानी 2 से 8 दिसंबर तक विशेष रणनीति के तहत काम करेंगे. इस सप्ताह में पुलिस बल पर हमला के साथ-साथ विकास योजनाओं को बाधित किया जा सकता है. इसको देखते हुए झारखंड पुलिस अलर्ट पर है.

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झारखंड सहित देश के दूसरे राज्यों में पुलिस कार्रवाई की वजह से माओवादियों को भारी नुकसान पहुंचा है. यही वजह है कि अब माओवादी एक बार फिर गोरिल्ला संघर्ष के लिए लोगों को तैयार कर रहे हैं. इसके लिए माओवादियों के शीर्ष सेंट्रल कमेटी ने अपने संगठन के अंदर 27 पृष्ठों का एक सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की 22 वीं वर्षगांठ पर देशभर में वर्ग संघर्ष और गुरिल्ला युद्ध को तेज करने का निर्देश दिया गया है. सेंट्रल कमेटी ने 2 से 8 दिसंबर तक पीएलजीए सप्ताह मनाने का आह्वान किया है.

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इस सर्कुलर की जानकारी मिलने के बाद झारखंड पुलिस ने अलर्ट जारी किया है. माओवादियों द्वारा इस दौरान पुलिस कैंप, सुरक्षा बलों के पोस्ट-पिकेट, पेट्रोलिंग पार्टी, वीवीआईपी या बैंक स्कॉर्ट पार्टी को निशाना बनाया जा सकता है. आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने सभी जिलों के एसपी को विशेष सतर्कता बरतने का आदेश दिए हैं. आशंका जताई गई है कि पीएलजीए सप्ताह के दौरान माओवादी आमलोगों को एसपीओ करार देकर हत्या, पुल पुलिया या रेलवे ट्रैक को उड़ाने, विकास योजनाओं को बाधित करने जैसे वारदातों को अंजाम दे सकता हैं.



आईजी होमकर ने बताया कि एसपी को निर्देश दिया है, ताकि खतरनाक सुरक्षा कैंपों को विशेष अलर्ट पर रखा जाए. साथ ही वहां तैनात कर्मियों को भी सुरक्षा संबंधी निर्देश दिए गए हैं. सीआरपीएफ, एसएसबी, जैप, आईआरबी समेत सभी सुरक्षाबलों को भी संभावित नक्सल हमलों को लेकर जानकारी देने का निर्देश एसपी को दिया गया है. मुख्यालय के निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाकर्मियों का मूवमेंट ऑपरेशनल कामों के लिए ही होगा. कैंप आने जाने के रास्तों में आईईडी जांच की जाएगी. नेशनल हाईवे और अन्य प्रमुख रास्तों को माओवादी प्रभावित इलाकों को मैपिंग की जाएगी. इसके बाद इस रास्तों पर वाहनों की आवाजाही होगी. ग्रामीण बाजार हाट में पुलिस बलों को विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है. आईजी अभियान ने बताया कि झारखंड पुलिस का इंटेलिजेंस विभाग भी लगातार सूचनाओं के संकलन में लगे है.


माओवादियों के सेंट्रल कमेटी द्वारा जारी किये गए सर्कुलर में यह बताया गया है कि साल 2021-22 के सिर्फ 11 महीने में 132 साथी मारे गए हैं. जारी सर्कुलर के अनुसार सेंट्रल रीजनल में एक, दंडकारण्य में 89, बिहार-झारखंड में 17, पश्चिम बंगाल में एक, तेलंगाना में 15, आंध्रप्रदेश में एक, ओड़िसा में तीन और महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीन माओवादी मारे गए हैं. दो और माओवादियों की मौत का जिक्र सेंट्रल कमेटी ने किया है. लेकिन स्थान का जिक्र नही है.


सेंट्रल कमेटी ने दंडकारण्य के पारेवा मुठभेड़ में केंद्रीय कमेटी सदस्य दीपक समेत 27 माओवादियों की मौत का बदला लेने की बात कही गई है. माओवादियों ने बताया है कि पारेवा में सेंट्रल कमेटी सदस्य दीपक को बचाने के लिए पुलिस बलों से लोहा लेने में 27 सदस्य मारे गए थे. 10 घंटे तक चली मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों के खून का बदला खून से लेने का निर्देश दिया गया है. माओवादियों ने सर्कुलर में एक बड़ा दावा किया है. दावे के अनुसार पिछले एक साल में झारखंड में पुलिस के पांच मुखबिरों को मौत के घाट उतारा गया है. यह भी कहा गया है कि माओवादी दस्ते ने मनोहरपुर में पूर्व विधायक के तीन बॉडीगार्ड की हत्या कर एके 47 लूटी थी. गिरिडीह में 13 करोड़ में बने एक पुल को उड़ाने और 37 वाहनों में आग लगाने का दावा भी माओवादियों ने किया है.

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