रांचीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के झारखंड दौरे को लेकर राज्य की राजनीति गरमा गई है. भाजपा नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह के रांची पहुंचने से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा ने संवाददाता सम्मेलन कर पारसनाथ विवाद के लिए भाजपा और केंद्र की सरकार को दोषी करार देते हुए कहा कि 2019 के भारत के राजपत्र को रद्द करने की जगह उसके सिर्फ दो उपबंधों को स्थगित क्यों किया जा रहा है. यह बात जैन समाज के लोगों को समझना चाहिए.
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जेएमएम ने पूछे 4 सवालः पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में वरिष्ठ झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन कर भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय गृह मंत्री से चार सवाल का जवाब देने को कहा है(Jharkhand Mukti Morcha asked four questions). सुप्रियो भट्टाचार्य ने पूछा कि अमित शाह, राज्य की जनता को बताएं कि सरना धर्म कोड पर उनकी अपनी और केंद्र सरकार की राय क्या है? इसके साथ साथ अमित शाह चाईबासा दौरे के दौरान यह भी बताएं कि 1932 खतियान आधारित पहचान पर उनकी और केंद्र की सरकार की राय क्या है? राज्य में ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 27 % करने के हेमंत सोरेन सरकार के प्रस्ताव पर उनकी और केंद्र की सरकार की सोच क्या है. क्या भारत सरकार आगामी बजट सत्र के दौरान झारखंड विधानसभा से पारित महत्वपूर्ण प्रस्ताव को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करेगी, यह भी राज्य की जनता को बताना चाहिए.
2019 का गजट रद्द क्यों नही कर रही सरकारः झामुमो नेता ने कहा कि अमित शाह को यह भी बताना चाहिए कि जैन धर्म के सर्वोच्च तीर्थस्थल पारसनाथ को किस परिस्थिति में 2019 में अभ्यारण्य और ईको टूरिज्म घोषित करना पड़ा. झामुमो नेता ने कहा कि अभी भी भाजपा शासित केंद्र की सरकार के दिल में खोट है. इसी वजह से वह 2019 में इस संदर्भ में निकाले गए भारत सरकार के राजपत्र को रद्द नहीं कर रही है.
मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने अपने स्तर से त्वरित फैसला लियाः झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पारसनाथ के मामले में दो जैन मुनियों के निधन से झामुमो मर्माहत है, लेकिन इसकी वजह भाजपा है क्योंकि जैसे ही 20 दिसंबर को मुख्यमंत्री से मिलकर जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांग रखी, 21 दिसंबर को ही झारखंड सरकार की ओर से गिरिडीह डीसी को पत्र लिखकर पारसनाथ की पवित्रता बनाए रखने के लिए आदेश दे दिए गए, कहीं कोई देरी नहीं हुई. भारत सरकार के राजपत्र को लेकर झारखंड सरकार की जो सीमाएं थीं उसमें त्वरित फैसला राज्य सरकार ने लिया. जब स्थितियां विकट होती गयी तो मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा. झामुमो नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा और केंद्र सरकार की वजह से देश दुनिया में गलत मैसेज गया और देश की बदनामी हुई. उन्होंने झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम के पारसनाथ को लेकर की गई मांग को उनका निजी विचार बताते हुए कहा कि पार्टी का यह स्टैंड नही है. झामुमो नेता ने कहा कि चाईबासा में चाहे जितनी जोर भाजपा लगा ले, लेकिन उसका फायदा होने वाला नहीं है.