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मॉब लिंचिंग पर कानून बनाने वाला चौथा राज्य बना झारखंड, जानिए स्पीकर, सीएम समेत किसने क्या कहा

झारखंड विधानसभा ने मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से लाये गए विधेयक की मंजूरी दे दी है. मंगलवार को शीतकालीन सत्र के चौथे कार्यदिवस के दिन भोजनावकाश के बाद सदन में सरकार की ओर से बिल लाया गया. विधेयक का नाम द झारखंड प्रीवेंशन ऑफ मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग बिल 2021 है. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून का रूप लेगा.

Jharkhand Mob Lynching Prevention Bill 2021
Jharkhand Mob Lynching Prevention Bill 2021
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Published : Dec 21, 2021, 3:57 PM IST

Updated : Dec 21, 2021, 9:55 PM IST

रांची: मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाले राज्यों की फेहरिस्त में अब झारखंड का भी नाम जुड़ गया है. इससे पहले मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में कानून बना है. 21 दिसंबर को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने बिल को सदन पटल पर रखा. इसपर विधायक अमित मंडल ने कई संशोधन प्रस्ताव रखा. इसमें दुर्बल शब्द की जगह आम नागरिक शब्द जोड़े जाने पर सहमति बनी.

ये भी पढ़ें- Jharkhand Assembly Winter Session: झारखंड में स्कूल स्तर पर बनेगा बच्चों का जाति प्रमाण पत्र, सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की घोषणा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ लाये गए विधेयक को विधानसभा से पास होने पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि समय समय पर ऐसी घटनाएं असामाजिक तत्वों के द्वारा की जाती रही है जिसकी रोकथाम के लिए कानून बनाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि कई बार घटनाएं असाधारण तरीके से हमारे बीच आ जाते हैं. उन्होंने इस विधेयक को पास होने पर खुशी जताते हुए कहा कि अब लोग निर्भिक और निडर होकर अपने कार्य करें.

Jharkhand Mob Lynching Prevention Bill 2021
मॉब लिंचिंग बिल की मुख्य बातें

झारखंड मॉब लिंचिंग प्रिवेंशन बिल 2021 की मुख्य बातें

  • मॉब लिंचिंग पर कानून बनाने वाल चौथा राज्य बना झारखंड
  • आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे मॉनिटरिंग
  • जिले के एसपी करेंगे कोऑर्डिनेट
  • गैर जमानती अपराध माना गया
  • आजीवन कारावास तक की सजा
  • विपक्ष ने फांसी की सजा की मांग की
  • सामान्य हिंसा में तीन साल तक की सजा
  • 2 या 2 से आधिक लोगों को मॉब माना गया
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में इस बिल को लाया गया
  • एक संशोधन के साथ बिल विधानसभा से पास
  • संशोधन में निर्बल की जगह आम नागरिक शब्द जोड़ा गया

आईजी स्तर के होंगे नोडल अधिकारी

द झारखंड प्रिवेंशन ऑफ मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग बिल 2021 को विधानसभा पटल पर लाने से पहले इस प्रारूप को सभी विधायकों को आपत्ति, संशोधन एवं उनकी राय जानने के लिए दी गई थी. बिल के अनुसार राज्य के अंदर लिंचिग रोकने की दिशा में मॉनिटरिंग और समन्वय के लिए आईजी स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा. इन्हें नोडल अफसर कहा जाएगा. इतना ही नहीं प्रारूप में मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है. किसी ऐसी भीड़ द्वारा धार्मिक, रंगभेद, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा सहित कई ऐसे ही आधार पर हिंसा या हिंसक घटनाओं के कारण किसी की हत्या का कारण बन जाए, इस तरह की घटनाओं को मॉब लिंचिंग कहा जाएगा.दो या दो से ज्यादा लोगों के समूह को मॉब कहा जाएगा.

सीएम हेमंत सोरेन

ये भी पढ़ें- Jharkhand Assembly Winter Session: मनुस्मृति लेकर सदन पहुंचे बीजेपी विधायक, कहा- सीएम को पढ़वाएंगे

बिल पर सदन के अंदर बाहर दिखी राजनीति

विधानसभा में सरकार द्वारा मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा रोकने को लेकर लाये गए बिल पर विपक्षी दल भाजपा ने संशोधन प्रस्ताव लाते हुए इसमें कई खामी होने की बात कही वहीं सरकार के सहयोगी दल कांग्रेस ने इसकी सराहना करते हुए इसकी तारीफ की. स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने सदन में पारित होने के बाद सरकार द्वारा इसपर कानून बनाने की बात कही. वहीं संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि देश का यह चौथा राज्य होगा जहां मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मणिपुर, राजस्थान और बंगाल के बाद झारखंड ऐसा राज्य है जो इस बिल को लाया है. समाज कल्याण एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल अंसारी ने कहा कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बना है. सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के विधायक पूर्णिमा सिंह ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इसमें उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है और अगले दो वर्ष में संशोधन भी किया जा सकता है.

मॉब लिंचिंग बिल पर नेताओं के बयान

मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा अपराध में ऐसे मिलेगा दंड

मॉब लिंचिग और मॉब वायलेंस जैसे जघन्य अपराध के लिए कड़े दंड का प्रावधान के साथ साथ गैरजमानतीय अपराध की श्रेणी में इसे रखा गया है. अपराध के अनुसार ही दंड का प्रावधान किया गया है. इसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान होगा. सामान्य हिंसा तथा पीड़ित के घायल होने की अवस्था में तीन साल की सजा के साथ एक लाख का आर्थिक दंड होगा. इसकी रोकथाम के लिए नियुक्त नोडल ऑफिसर स्थानीय खुफिया तंत्रों के साथ नियमित बैठक करेंगे. कम से कम महीने में एक बार होनेवाली बैठक में ऐसी सभी आशंकाओं, संभावनाओं प्रवृतियों को रोकने के लिए चिन्हित करेंगे. हरेक जिला में एसपी या एसएसपी अपने जिले में मॉब वायलेंस तथा मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को रोकने की दिशा में कोऑर्डिनेट करेंगे, जिनकी सहायता के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी होंगे.

रांची: मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाले राज्यों की फेहरिस्त में अब झारखंड का भी नाम जुड़ गया है. इससे पहले मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में कानून बना है. 21 दिसंबर को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने बिल को सदन पटल पर रखा. इसपर विधायक अमित मंडल ने कई संशोधन प्रस्ताव रखा. इसमें दुर्बल शब्द की जगह आम नागरिक शब्द जोड़े जाने पर सहमति बनी.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ लाये गए विधेयक को विधानसभा से पास होने पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि समय समय पर ऐसी घटनाएं असामाजिक तत्वों के द्वारा की जाती रही है जिसकी रोकथाम के लिए कानून बनाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि कई बार घटनाएं असाधारण तरीके से हमारे बीच आ जाते हैं. उन्होंने इस विधेयक को पास होने पर खुशी जताते हुए कहा कि अब लोग निर्भिक और निडर होकर अपने कार्य करें.

Jharkhand Mob Lynching Prevention Bill 2021
मॉब लिंचिंग बिल की मुख्य बातें

झारखंड मॉब लिंचिंग प्रिवेंशन बिल 2021 की मुख्य बातें

  • मॉब लिंचिंग पर कानून बनाने वाल चौथा राज्य बना झारखंड
  • आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे मॉनिटरिंग
  • जिले के एसपी करेंगे कोऑर्डिनेट
  • गैर जमानती अपराध माना गया
  • आजीवन कारावास तक की सजा
  • विपक्ष ने फांसी की सजा की मांग की
  • सामान्य हिंसा में तीन साल तक की सजा
  • 2 या 2 से आधिक लोगों को मॉब माना गया
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में इस बिल को लाया गया
  • एक संशोधन के साथ बिल विधानसभा से पास
  • संशोधन में निर्बल की जगह आम नागरिक शब्द जोड़ा गया

आईजी स्तर के होंगे नोडल अधिकारी

द झारखंड प्रिवेंशन ऑफ मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग बिल 2021 को विधानसभा पटल पर लाने से पहले इस प्रारूप को सभी विधायकों को आपत्ति, संशोधन एवं उनकी राय जानने के लिए दी गई थी. बिल के अनुसार राज्य के अंदर लिंचिग रोकने की दिशा में मॉनिटरिंग और समन्वय के लिए आईजी स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा. इन्हें नोडल अफसर कहा जाएगा. इतना ही नहीं प्रारूप में मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है. किसी ऐसी भीड़ द्वारा धार्मिक, रंगभेद, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा सहित कई ऐसे ही आधार पर हिंसा या हिंसक घटनाओं के कारण किसी की हत्या का कारण बन जाए, इस तरह की घटनाओं को मॉब लिंचिंग कहा जाएगा.दो या दो से ज्यादा लोगों के समूह को मॉब कहा जाएगा.

सीएम हेमंत सोरेन

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बिल पर सदन के अंदर बाहर दिखी राजनीति

विधानसभा में सरकार द्वारा मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा रोकने को लेकर लाये गए बिल पर विपक्षी दल भाजपा ने संशोधन प्रस्ताव लाते हुए इसमें कई खामी होने की बात कही वहीं सरकार के सहयोगी दल कांग्रेस ने इसकी सराहना करते हुए इसकी तारीफ की. स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने सदन में पारित होने के बाद सरकार द्वारा इसपर कानून बनाने की बात कही. वहीं संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि देश का यह चौथा राज्य होगा जहां मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मणिपुर, राजस्थान और बंगाल के बाद झारखंड ऐसा राज्य है जो इस बिल को लाया है. समाज कल्याण एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल अंसारी ने कहा कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बना है. सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के विधायक पूर्णिमा सिंह ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इसमें उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है और अगले दो वर्ष में संशोधन भी किया जा सकता है.

मॉब लिंचिंग बिल पर नेताओं के बयान

मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा अपराध में ऐसे मिलेगा दंड

मॉब लिंचिग और मॉब वायलेंस जैसे जघन्य अपराध के लिए कड़े दंड का प्रावधान के साथ साथ गैरजमानतीय अपराध की श्रेणी में इसे रखा गया है. अपराध के अनुसार ही दंड का प्रावधान किया गया है. इसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान होगा. सामान्य हिंसा तथा पीड़ित के घायल होने की अवस्था में तीन साल की सजा के साथ एक लाख का आर्थिक दंड होगा. इसकी रोकथाम के लिए नियुक्त नोडल ऑफिसर स्थानीय खुफिया तंत्रों के साथ नियमित बैठक करेंगे. कम से कम महीने में एक बार होनेवाली बैठक में ऐसी सभी आशंकाओं, संभावनाओं प्रवृतियों को रोकने के लिए चिन्हित करेंगे. हरेक जिला में एसपी या एसएसपी अपने जिले में मॉब वायलेंस तथा मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को रोकने की दिशा में कोऑर्डिनेट करेंगे, जिनकी सहायता के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी होंगे.

Last Updated : Dec 21, 2021, 9:55 PM IST
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