रांची: झारखंड में मनरेगाकर्मियों के संघ से जुड़े पदाधिकारियों की बैठक रविवार को डिजिटल माध्यम से की गई. बैठक में मुख्य रूप से सोशल ऑडिट के नाम पर मनरेगाकर्मियों का भयादोहन, अनावश्यक कार्रवाई, झूठे आरोपों में मनरेगाकर्मियों को फंसा कर केस करने, ऑडिट टीम की ओर से गलत एंट्री कर 54 करोड़ का झूठा घोटाला बताने जैसे विषय पर चर्चा की गई.
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बैठक में वक्ताओं ने कहा कि झारखंड में मनरेगा MGNREGA को बदनाम करने के लिए पहले मनरेगा कमिश्नर और सोशल ऑडिट यूनिट के गुरजीत सिंह की टीम ने साजिश के तहत पिछले ऑडिट में जिन मुद्दों को पंचायत स्तरीय जनसुनवाई में सुलझा लिया था. महज कुछ राशि का दंड दिया गया था. उसे 54 करोड़ का घोटाला साबित करते हुए मनरेगाकर्मियों को प्रताड़ित किया जा रहा है. इस सोशल ऑडिट विरोध करते हुए कोडरमा जिला के सभी रोजगार सेवकों ने इस्तीफा दे दिया है. उनके समर्थन में पलामू, धनबाद, गढ़वा, देवघर, लातेहार जिला में भी आंदोलन का बिगुल फूंका जा चुका है. मुखिया संघ, पंचायत सचिव संघ, जनसेवक संघ और मनरेगा संघ भी एकजुट होकर सरकार की कार्रवाई का प्रबल विरोध शुरू कर रहे हैं.
14-16 मार्च को विधानसभा घेराव: रविवार 6 मार्च को रांची में सभी संघों की संयुक्त बैठक आहूत की गई है. साथ ही 14 मार्च से 16 मार्च तक झारखंड विधानसभा घेराव का कार्यक्रम तय किया गया है. बैठक में यह फैसला लिया गया है कि अगर फिर भी मांगें पूरी नहीं होती है तो सामूहिक रूप से पंचायत सचिव संघ, जनसेवक संघ, मुखिया संघ और मनरेगा संघ अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने पर विवश होंगे.
झारखंड सरकार पर निरंकुश होने का आरोप: झारखंड मनरेगा MGNREGA संघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने कहा कि झारखंड सरकार निरंकुश हो गई है. सरकार दो सालों से हमें बस आश्वासन दे रही है. मनरेगा कर्मी तिल तिल कर मरने पर विवश है. सरकार हमारी मांग को जल्द पूरा करें. गलत तरीके से हो रही सोशल ऑडिट पर विराम लगाते हुए जल्द ही मनरेगा संघ से बात करें.