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मांगें पूरी करवाने पर अड़ा झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी महासंघ, आयुक्त राजेश्वरी बी ने दिया आश्वासन - jharkhand MNREGA workers

झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी महासंघ (Jharkhand State MNREGA Employees Federation) ने मनरेगा आयुक्त से मिलकर 8 महीने पहले हुई मंत्रीस्तरीय बातचीत को पूरा करने की अपील की.

jharkhand MNREGA workers pressurizing government to fulfill demands
मांगें पूरी करवाने पर अड़ा झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी महासंघ, आयुक्त राजेश्वरी बी ने दिया आश्वासन
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Published : Jul 22, 2021, 8:00 PM IST

रांची: मनरेगाकर्मियों ने एक बार फिर सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है. झारखंड मनरेगा कर्मचारी महासंघ(Jharkhand State MNREGA Employees Federation) का एक शिष्टमंडल गुरुवार को नई मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी से मिला और ज्ञापन सौंपते हुए 8 महीने पहले हुई मंत्रीस्तरीय बातचीत को पूरा करने की अपील की.


इसे भी पढ़ें- ETV IMPACT: खबर प्रकाशित होते ही टूटने लगी मनरेगा वेंडरों की नींद, जमा करने लगे रॉयल्टी

मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश सोरेन के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने विस्तार से 8 महीने पहले हुई मनरेगाकर्मियों की हड़ताल और उसके बाद मंत्रीस्तरीय बातचीत, फिर 11/12/2020 को सचिव स्तरीय वार्ता के शून्य फलाफल के कारण पूरे प्रदेश में मनरेगाकर्मियों में सुलगते आक्रोश से मनरेगा आयुक्त को अवगत कराया.

ज्ञापन सौंपकर मनरेगाकर्मियों ने रखी मांगें

मनरेगा कर्मचारी संघ ने मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी को ज्ञापन सौंपकर एक बार अपनी मांगें दोहराई हैं

1. विगत हड़ताल के दौरान समर्पित 5 सूत्री मांगों में से सहमति बनी 3 मांगों की पूर्ति के लिए यथाशीघ्र विभागीय संकल्प जारी करने का अनुरोध किया गया. EPF, बीमा, बिना वजह बर्खास्तगी, मनरेगाकर्मियों को वित्तीय शक्ति डोंगल (डिजिटल हस्ताक्षर शक्ति) देने संबंधित मांगों पर जल्द विचार करने का अनुरोध किया गया.

2. विकास आयुक्त झारखंड की अध्यक्षता में झारखंड के अनुबंध कर्मचारियों की सेवा शर्तों में सुधार और नियमितीकरण से बनी उच्च स्तरीय समिति में मनरेगाकर्मियों को शामिल करते हुए तत्काल न्यूनतम वेतन, श्रम कानून के तहत 24000/मासिक भुगतान कराने का अनुरोध किया गया.

3. राज्य के कई जिलों में छोटी- छोटी बातों के लिए मनरेगाकर्मियों को बिना वजह बर्खास्त किया गया है. इसके लिए जो अपीलीय प्रावधान की समय सीमा दी गई, उसे असीमित समय तक करने की जरूरत है. कारण है कि राज्य के अधिकांश प्रमंडलों में लंबे समय तक प्रमंडलीय आयुक्त की पोस्टिंग नहीं हुई. फलत: समय पर मनरेगाकर्मियों की अपील पर विचार सही तरीके से नहीं हो पाया और पूर्व बर्खास्तकर्मी पर अपनी बात रखने का प्रावधान किया जाए. जहां तक हो सके, कोरोना जैसी वैश्विक आपदा में किसी भी अल्प मानदेय भोगी कर्मचारियों की सेवा समाप्त नहीं की जाए.

4. सभी खाली पदों की बहाली में मनरेगाकर्मियों के लिए कुल सीटों के 50 % आरक्षण, 25 अंकों का वेटेज और कम से कम 10 साल या सेवा काल तक उम्र सीमा में छूट दिया जाए और सीमित उपसमाहर्ता की परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाए.

5. मृत मनरेगा कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा की नौकरी और 50 लाख आर्थिक मदद की जाए.

6. सभी मनरेगाकर्मियों को शून्य ब्याज पर 10 लाख तक के ऋण की व्यवस्था की जाए.

7.धनबाद, देवघर समेत दूसरे जिलों में अल्प मानदेय भोगी मनरेगाकर्मियों को अपने गृह प्रखंड से 70-80 किमी की दूरी पर नियमों के खिलाफ पदस्थापना को रद्द कर विभागीय पत्रांक 10259 के मुताबिक और संभव गृह पंचायत /प्रखंड में पदस्थापित किया जाए.

8. राज्य के कुछ जिलों में मनरेगाकर्मियों के पास कोई वित्तीय शक्ति नहीं होते हुए भी परेशान करने की नीयत से मजदूरी भुगतान के लिए फर्जी मुकदमे दर्ज किए, इसकी उच्चस्तरीय जांच कर दोषी अधिकारियों पर विधिसम्मत कार्रवाई की जाए.

9. हड़ताल अवधि में धनबाद के बर्खास्त मनरेगाकर्मियों- अनिरुद्ध पाण्डेय और मुकेश राम की सेवा पुनर्बहाल की जाए. इसके साथ -साथ अनुपम मिश्रा बर्खास्त BPO हिरणपुर, पाकुड़ को सेवा वापसी के लिए विभागीय स्तर से विचार हो.
10. मनरेगाकर्मियों को मानदेय भुगतान आकस्मिकता मद से नहीं कराते हुए स्थायी कर्मचारियों को देय निधि से भुगतान कराया जाए.
11. केंद्र सरकार की ओर से 15 सालों में मनरेगा अधिनियम में कई संशोधन किए गए, लेकिन अधिनियम की HR पॉलिसी वाले भाग में एक बार भी संसोधन नहीं किया गया, हम सभी मांग करते हैं कि झारखंड सरकार केंद्र सरकार को मनरेगा अधिनियम के HR पॉलिसी /मानदेय /वेतन पॉलिसी को श्रम कानूनों और न्यूनतम वेज अधिनियम को ध्यान में रखते हुए संशोधन के लिए केंद्र सरकार से पत्राचार करने का अनुरोध किया.

इसे भी पढ़ें- राजेश्वरी बी बनीं झारखंड की पहली महिला मनरेगा आयुक्त, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चुनौती

मनरेगा आयुक्त ने दिया आश्वासन
मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने शिष्टमंडल की ओर से सौंपे गए ज्ञापन पर विचार करने का आश्वासन दिया. साथ ही ये भी कहा कि विभाग स्तर से पूरा होने वाली मांग पर वो जल्द ही विचार करेंगी और सरकार स्तर के मांग की वे अनुशंसा भेजेंगी. उन्होंने बताया कि विभाग आपकी समस्या से अवगत है और विभाग ने दो बार प्रपोजल वित्त और कैबिनेट को भेजा था, जो वापस होने के बाद दोबारा विभाग पूरी चर्चा कर एक हफ्ते में सारी समस्या का निराकरण कर फाइल तैयार कर वित्त और कैबिनेट में स्वीकृति के लिए भेजेगी. मनरेगा आयुक्त ने ये भी भरोसा दिलाया कि वित्तिय समस्या को देखते हुए राज्य अंश से भी व्यवस्था की जाएगी.

रांची: मनरेगाकर्मियों ने एक बार फिर सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है. झारखंड मनरेगा कर्मचारी महासंघ(Jharkhand State MNREGA Employees Federation) का एक शिष्टमंडल गुरुवार को नई मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी से मिला और ज्ञापन सौंपते हुए 8 महीने पहले हुई मंत्रीस्तरीय बातचीत को पूरा करने की अपील की.


इसे भी पढ़ें- ETV IMPACT: खबर प्रकाशित होते ही टूटने लगी मनरेगा वेंडरों की नींद, जमा करने लगे रॉयल्टी

मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश सोरेन के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने विस्तार से 8 महीने पहले हुई मनरेगाकर्मियों की हड़ताल और उसके बाद मंत्रीस्तरीय बातचीत, फिर 11/12/2020 को सचिव स्तरीय वार्ता के शून्य फलाफल के कारण पूरे प्रदेश में मनरेगाकर्मियों में सुलगते आक्रोश से मनरेगा आयुक्त को अवगत कराया.

ज्ञापन सौंपकर मनरेगाकर्मियों ने रखी मांगें

मनरेगा कर्मचारी संघ ने मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी को ज्ञापन सौंपकर एक बार अपनी मांगें दोहराई हैं

1. विगत हड़ताल के दौरान समर्पित 5 सूत्री मांगों में से सहमति बनी 3 मांगों की पूर्ति के लिए यथाशीघ्र विभागीय संकल्प जारी करने का अनुरोध किया गया. EPF, बीमा, बिना वजह बर्खास्तगी, मनरेगाकर्मियों को वित्तीय शक्ति डोंगल (डिजिटल हस्ताक्षर शक्ति) देने संबंधित मांगों पर जल्द विचार करने का अनुरोध किया गया.

2. विकास आयुक्त झारखंड की अध्यक्षता में झारखंड के अनुबंध कर्मचारियों की सेवा शर्तों में सुधार और नियमितीकरण से बनी उच्च स्तरीय समिति में मनरेगाकर्मियों को शामिल करते हुए तत्काल न्यूनतम वेतन, श्रम कानून के तहत 24000/मासिक भुगतान कराने का अनुरोध किया गया.

3. राज्य के कई जिलों में छोटी- छोटी बातों के लिए मनरेगाकर्मियों को बिना वजह बर्खास्त किया गया है. इसके लिए जो अपीलीय प्रावधान की समय सीमा दी गई, उसे असीमित समय तक करने की जरूरत है. कारण है कि राज्य के अधिकांश प्रमंडलों में लंबे समय तक प्रमंडलीय आयुक्त की पोस्टिंग नहीं हुई. फलत: समय पर मनरेगाकर्मियों की अपील पर विचार सही तरीके से नहीं हो पाया और पूर्व बर्खास्तकर्मी पर अपनी बात रखने का प्रावधान किया जाए. जहां तक हो सके, कोरोना जैसी वैश्विक आपदा में किसी भी अल्प मानदेय भोगी कर्मचारियों की सेवा समाप्त नहीं की जाए.

4. सभी खाली पदों की बहाली में मनरेगाकर्मियों के लिए कुल सीटों के 50 % आरक्षण, 25 अंकों का वेटेज और कम से कम 10 साल या सेवा काल तक उम्र सीमा में छूट दिया जाए और सीमित उपसमाहर्ता की परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाए.

5. मृत मनरेगा कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा की नौकरी और 50 लाख आर्थिक मदद की जाए.

6. सभी मनरेगाकर्मियों को शून्य ब्याज पर 10 लाख तक के ऋण की व्यवस्था की जाए.

7.धनबाद, देवघर समेत दूसरे जिलों में अल्प मानदेय भोगी मनरेगाकर्मियों को अपने गृह प्रखंड से 70-80 किमी की दूरी पर नियमों के खिलाफ पदस्थापना को रद्द कर विभागीय पत्रांक 10259 के मुताबिक और संभव गृह पंचायत /प्रखंड में पदस्थापित किया जाए.

8. राज्य के कुछ जिलों में मनरेगाकर्मियों के पास कोई वित्तीय शक्ति नहीं होते हुए भी परेशान करने की नीयत से मजदूरी भुगतान के लिए फर्जी मुकदमे दर्ज किए, इसकी उच्चस्तरीय जांच कर दोषी अधिकारियों पर विधिसम्मत कार्रवाई की जाए.

9. हड़ताल अवधि में धनबाद के बर्खास्त मनरेगाकर्मियों- अनिरुद्ध पाण्डेय और मुकेश राम की सेवा पुनर्बहाल की जाए. इसके साथ -साथ अनुपम मिश्रा बर्खास्त BPO हिरणपुर, पाकुड़ को सेवा वापसी के लिए विभागीय स्तर से विचार हो.
10. मनरेगाकर्मियों को मानदेय भुगतान आकस्मिकता मद से नहीं कराते हुए स्थायी कर्मचारियों को देय निधि से भुगतान कराया जाए.
11. केंद्र सरकार की ओर से 15 सालों में मनरेगा अधिनियम में कई संशोधन किए गए, लेकिन अधिनियम की HR पॉलिसी वाले भाग में एक बार भी संसोधन नहीं किया गया, हम सभी मांग करते हैं कि झारखंड सरकार केंद्र सरकार को मनरेगा अधिनियम के HR पॉलिसी /मानदेय /वेतन पॉलिसी को श्रम कानूनों और न्यूनतम वेज अधिनियम को ध्यान में रखते हुए संशोधन के लिए केंद्र सरकार से पत्राचार करने का अनुरोध किया.

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मनरेगा आयुक्त ने दिया आश्वासन
मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने शिष्टमंडल की ओर से सौंपे गए ज्ञापन पर विचार करने का आश्वासन दिया. साथ ही ये भी कहा कि विभाग स्तर से पूरा होने वाली मांग पर वो जल्द ही विचार करेंगी और सरकार स्तर के मांग की वे अनुशंसा भेजेंगी. उन्होंने बताया कि विभाग आपकी समस्या से अवगत है और विभाग ने दो बार प्रपोजल वित्त और कैबिनेट को भेजा था, जो वापस होने के बाद दोबारा विभाग पूरी चर्चा कर एक हफ्ते में सारी समस्या का निराकरण कर फाइल तैयार कर वित्त और कैबिनेट में स्वीकृति के लिए भेजेगी. मनरेगा आयुक्त ने ये भी भरोसा दिलाया कि वित्तिय समस्या को देखते हुए राज्य अंश से भी व्यवस्था की जाएगी.

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