रांची: भाजपा विधायक नीरा यादव ने शनिवार को अनोखे अंदाज में विरोध प्रदर्शन किया. मौका था झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के छठे दिन का. नीरा यादव सरकार के विरोध में झारखंड की पारंपरिक भाषा में गीत गाकर मीडिया में सुर्खियां बटोरी. विरोध का उनका ये अंदाज पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए नया था.
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नीरा ने सरकार पर जमकर साधा निशानाः नीरा यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए युवाओं के साथ छल करने का आरोप लगाया. विधानसभा सत्र के छठे दिन सदन में सरकार के कार्यकाल से नाराज दिखीं. नीरा ने स्थानीय भाषा में गीत गाकर कहा कि इस सरकार से जनता का विश्वास उठ गया है. सरकार बार-बार अपने ही फैसले को बदलती रही है. एक बार फिर नियोजन नीति में सरकार ने बदलाव किया है. उसमें क्या बदलाव किया सदन को बताना चाहिए था. बताने के बजाए सरकार टालमटोल कर रही है. राज्य के युवा इससे ऊहापोह की स्थिति में है.
हंगामा की भेंट चढ़ा बजट सत्र का छठा दिनः बजट सत्र के छठे दिन झारखंड विधानसभा में नियोजन नीति का मुद्दा गरमाया रहा. विपक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के कुछ विधायक सरकार पर इस कदर हावी रहे कि सदन की कारवाई ठीक से दो घंटे भी नहीं चल सकी. हालांकि सदन शुरू होने से पहले ही भाजपा के विधायकों के रुख से लग रहा था कि आज सदन की कार्यवाही चलना मुश्किल है. हुआ भी कुछ इसी तरह. 11 बजे सदन की कार्यवाही जैसे शुरू हुई एनडीए विधायक सरकार से नियोजन नीति पर जवाब मांगने लगे. नाराज विधायकों का मानना था कि कैबिनेट में फैसला लेने से पहले सरकार को सदन में इसकी घोषणा करनी चाहिए थी. घोषणा नहीं करके सरकार ने सदन की अवमानना की है.
झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी दिखे नाराजः विपक्ष के साथ साथ इस मुद्दे पर लोबिन हेम्ब्रम जैसे सत्तारूढ़ कुछ विधायक भी सरकार के इस फैसले का विरोध करते सदन में दिखे. हंगामा बढ़ता देख स्पीकर रवींद्र महतो ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा की. 12 बजे एक बार फिर सदन जैसे ही शुरू हुआ हंगामा फिर होने लगा. हंगामा के बीच सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. सदन की कार्यवाही भोजन अवकाश के बाद एक बार फिर शुरू हुई तो भाजपा के विधायक सरकार से नियोजन नीति को लेकर जवाब मांगने लगे. मुश्किल से 15 मिनट सदन की कार्यवाही चली. और 13 मार्च तक के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित करने का घोषणा स्पीकर के द्वारा कर दी गई. इस तरह से झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. इस वजह से बजट पर चर्चा और प्रश्नकाल जो होनी चाहिए थी वह ठीक ढंग से नहीं हो पाई.