रांची: रांची में हुए जमीन घोटालों की परत दर परत खंगाल रही है इसी कड़ी में गुरुवार को एक बार फिर से ईडी के सामने रांची के पूर्व डीसी आईएएस अधिकारी छवि रंजन होंगे. ईडी गुरुवार को दूसरी बार छवि रंजन से पूछताछ करेगी. इस मामले में ईडी की टीम ने मंगलवार को कोलकता के रजिस्ट्री ऑफिस के एडिशनल रजिस्ट्रार से पूछताछ कर चुकी है.
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दूसरी बार होगी पूछताछ: सेना जमीन और चोसायर होम जमीन घोटाले में पूर्व डीसी सह आईएएस अधिकारी छवि रंजन से ईडी दूसरी बार गुरुवार को पूछताछ करेगी. ईडी ने 24 अप्रैल को तकरीबन दस तक घंटे छवि रंजन से पूछताछ की थी. गुरुवार को आईएएस अधिकारी को रांची जोनल आफिस में दिन के 11 बजे एक बार फिर उपस्थित होना है.ईडी ने जमीन से जुड़ी जानकारियों, कई दस्तावेजों, उनकी और उनके आश्रितों की संपत्ति और बैंक खातों के विवरण के साथ 1 मई को ही बुलाया था, लेकिन बाद में ईडी ने उन्हें नया समन जारी करते हुए चार मई को बुलाने का समन भेजा.
अधिकांश गड़बड़ी छवि के डीसी रहते हुए: ईडी सूत्रों के मुताबिक, रांची में जमीन के कागजातों में हेर फेर और फिर उसकी बिक्री में तत्कालीन डीसी छवि रंजन की अहम भूमिका थी. छवि रंजन के डीसी रहते ही रांची के बजरा, करमटोली स्थित सेना जमीन और सदर स्थित चेशायर होम रोड की जमीन का फर्जीवाड़ा हुआ।ल. ईडी सूत्रों के मुताबिक, जमीन घोटाले में छवि रंजन और जेल में बंद सत्ता के पावर ब्रेकर प्रेम प्रकाश की संलिप्तता के सीधे साक्ष्य एजेंसी को मिले हैं. इन सभी मामलों पर ईडी गुरुवार को छवि रंजन से दोबारा पूछताछ करेगी.
प्रेम प्रकाश जमीन डील का मास्टरमाइंड: ईडी की जांच में यह बात यह सामने आई है कि रांची में फर्जी कागजात बनाकर जितनी भी जमीन की डील की गई है उसका मास्टरमाइंड जेल में बंद प्रेम प्रकाश ही है. अवैध खनन केस में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद प्रेम प्रकाश ने जमीन की डील में करोड़ों की उगाही भी की थी.ईडी ने जांच में पाया है कि चेशायर होम रोड में एक एकड़ जमीन की डील में प्रेम प्रकाश को डेढ़ करोड़ रुपये मिले थे. फर्जी दस्तावेज के सहारे राजेश राय ने जमीन का पावर इम्तियाज अहमद और भरत प्रसाद को दिया. इसके बाद दोनों ने यह जमीन 1.78 करोड़ में पुनीत भार्गव को बेची.पुनीत भार्गव ने बाद में यही जमीन विष्णु अग्रवाल को 1.80 लाख रुपये में बेची.पुनीत भार्गव ने पूछताछ में ईडी को बताया था कि जमीन का मालिकाना हक भले उनके नाम था, लेकिन इसका असल मालिक प्रेम प्रकाश ही था. प्रेम प्रकाश को 1.50 करोड़ मिले थे, जबकि उसे कुछ लाख रुपये दिए गए थे.