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फंड नहीं दे सकते तो लॉ यूनिवर्सिटी बंद कर दें : हाईकोर्ट - नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को नहीं मिल रहा फंड

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को सरकार की ओर से नियमित फंड नहीं मिलने पर झारखंड हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी है. कोर्ट ने कहा कि सरकार या तो फंड की व्यवस्था करें या फिर यूनिवर्सिटी बंद कर दें.

हाईकोर्ट
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Published : Oct 16, 2020, 6:16 PM IST

रांची: झारखंड नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में फंड की कमी को दूर करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से स्पष्ट कहा है कि सरकार या तो फंड की व्यवस्था करें या कहें कि यूनिवर्सिटी बंद कर दें.

उन्होंने कहा कि देश में कोई ऐसा विश्वविद्यालय नहीं है जो अपने ही पैसे से चलता हो, उन्हें सरकार से सहायता के रूप में फंड मिलता है और उस फंड से चलता है.

झारखंड नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में ऐसी व्यवस्था नहीं होने के कारण उसके संचालन में कई कठिनाइयां आती हैं, इसे दूर करने के लिए सरकार इस पर निर्णय लें और अपने निर्णय से कोर्ट को अवगत कराने को कहा है.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में फंड की कमी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई.

न्यायाधीश ने अपने-अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं महाधिवक्ता स्टेट बार काउंसिल के अधिवक्ता बीसीआई के अधिवक्ता याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एवं अन्य अपने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

अदालत ने राज्य सरकार को विश्वविद्यालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए फंड प्रतिवर्ष कैसे दिया जा सकता है. इसकी व्यवस्था करने को कहा उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर इस तरह की व्यवस्था नहीं होती है तो वह कहें तो विश्वविद्यालय को बंद कर दिया जाए.

उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के बच्चों के लिए विश्वविद्यालय में 50% आरक्षण दिया गया है अगर विश्वविद्यालय की फीस बहुत बढ़ा दी जाए तो यहां के बच्चे उसको नहीं दे सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रकिया शुरू, परिवहन कार्यालय में लोगों की उमड़ी भीड़

देश के कोई भी सरकारी विश्वविद्यालय बिना सरकार के फंड का नहीं चलता है तो झारखंड में विश्वविद्यालय को क्यों नहीं फंड दिया जाता है.

सरकार की ओर से बताया गया कि पिछली सरकार ने जब नियम बनाया था तो उसमें कई तरह के खाली हैं, इसके कारण से फंड देने में कठिनाई आती है. जिस पर अदालत ने उन्हें कठिनाइयों को दूर कर फंड की व्यवस्था करने को कहा, साथ ही अपने जवाब अदालत में पेश करने को कहा है.

बता दें कि झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में फंड की कमी को लेकर दायर जनहित याचिका दायर की गई है. उस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी पक्षों को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है, मामले की अगली सुनवाई दिसंबर माह में होगी.

रांची: झारखंड नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में फंड की कमी को दूर करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से स्पष्ट कहा है कि सरकार या तो फंड की व्यवस्था करें या कहें कि यूनिवर्सिटी बंद कर दें.

उन्होंने कहा कि देश में कोई ऐसा विश्वविद्यालय नहीं है जो अपने ही पैसे से चलता हो, उन्हें सरकार से सहायता के रूप में फंड मिलता है और उस फंड से चलता है.

झारखंड नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में ऐसी व्यवस्था नहीं होने के कारण उसके संचालन में कई कठिनाइयां आती हैं, इसे दूर करने के लिए सरकार इस पर निर्णय लें और अपने निर्णय से कोर्ट को अवगत कराने को कहा है.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में फंड की कमी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई.

न्यायाधीश ने अपने-अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं महाधिवक्ता स्टेट बार काउंसिल के अधिवक्ता बीसीआई के अधिवक्ता याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एवं अन्य अपने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

अदालत ने राज्य सरकार को विश्वविद्यालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए फंड प्रतिवर्ष कैसे दिया जा सकता है. इसकी व्यवस्था करने को कहा उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर इस तरह की व्यवस्था नहीं होती है तो वह कहें तो विश्वविद्यालय को बंद कर दिया जाए.

उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के बच्चों के लिए विश्वविद्यालय में 50% आरक्षण दिया गया है अगर विश्वविद्यालय की फीस बहुत बढ़ा दी जाए तो यहां के बच्चे उसको नहीं दे सकते हैं.

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देश के कोई भी सरकारी विश्वविद्यालय बिना सरकार के फंड का नहीं चलता है तो झारखंड में विश्वविद्यालय को क्यों नहीं फंड दिया जाता है.

सरकार की ओर से बताया गया कि पिछली सरकार ने जब नियम बनाया था तो उसमें कई तरह के खाली हैं, इसके कारण से फंड देने में कठिनाई आती है. जिस पर अदालत ने उन्हें कठिनाइयों को दूर कर फंड की व्यवस्था करने को कहा, साथ ही अपने जवाब अदालत में पेश करने को कहा है.

बता दें कि झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में फंड की कमी को लेकर दायर जनहित याचिका दायर की गई है. उस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी पक्षों को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है, मामले की अगली सुनवाई दिसंबर माह में होगी.

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