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गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट का सुनवाई से इनकार, दूसरे बेंच में भेजने का निर्देश - रांची समाचार

झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में राज्य सरकार ने गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण (Reservation to poor Upper Castes) दिए जाने के मामले में एलपीए याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई के लिए अदालत ने इनकार कर दिया. मामले की आंशिक सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, कि मामला गंभीर है, इसलिए इसे दूसरे सक्षम बेंच में ही सुनवाई के लिए स्थानांतरित की जाए.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jul 6, 2021, 8:48 PM IST

रांची: झारखंड में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण (Reservation to poor Upper Castes) दिए जाने के मामले में राज्य सरकार द्वारा दायर की गई एलपीए याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने सुनवाई करने से इनकार करते हुए दूसरे सक्षम बेंच में सुनवाई के लिए स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है. मामले की आंशिक सुनवाई के दौरान अदालत ने यह माना कि, यह मामला गंभीर है, इस फैसले से राज्य के सभी प्रकार की नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी, इसलिए इसे दूसरे सक्षम बेंच में ही सुनवाई के लिए स्थानांतरित की जाए.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी की अदालत में 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के मामले में राज्य सरकार द्वारा दायर एलपीए याचिका पर आंशिक रूप से सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

जानकारी देते अधिवक्ता

गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के मामले को सक्षम बेंच में स्थानांतरित करने का निर्देश

सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सुनवाई के लिए दूसरे सक्षम बेंच में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है. उन्होंने यह माना है कि, यह मामला बहुत ही गंभीर है, इस फैसले से राज्य के कई नियुक्तियां प्रभावित हो सकती है, इसलिए इस मामले की विस्तृत सुनवाई होनी चाहिए. उन्होंने मामले को दूसरे सक्षम बेंच में सुनवाई के लिए स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है.

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सहायक इंजीनियरिंग परीक्षा में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण

सहायक इंजीनियरिंग परीक्षा में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण दिया गया था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. एकल पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान यह माना, कि सवर्णों को जो आरक्षण देने का निर्णय हुआ है, वह वर्ष 2019 में हुआ है, यह पद जिस पर नियुक्ति हो रही है, ये 2019 से पूर्व से रिक्त पद है, इसलिए इस पद पर आरक्षण नहीं दी जा सकती है. अदालत ने नियुक्ति संबंधी जारी विज्ञापन को रद्द कर फिर से विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार द्वारा हाई कोर्ट के एकल पीठ के उस आदेश को डबल बेंच में चुनौती दी गई है.

रांची: झारखंड में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण (Reservation to poor Upper Castes) दिए जाने के मामले में राज्य सरकार द्वारा दायर की गई एलपीए याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने सुनवाई करने से इनकार करते हुए दूसरे सक्षम बेंच में सुनवाई के लिए स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है. मामले की आंशिक सुनवाई के दौरान अदालत ने यह माना कि, यह मामला गंभीर है, इस फैसले से राज्य के सभी प्रकार की नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी, इसलिए इसे दूसरे सक्षम बेंच में ही सुनवाई के लिए स्थानांतरित की जाए.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी की अदालत में 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के मामले में राज्य सरकार द्वारा दायर एलपीए याचिका पर आंशिक रूप से सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

जानकारी देते अधिवक्ता

गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के मामले को सक्षम बेंच में स्थानांतरित करने का निर्देश

सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सुनवाई के लिए दूसरे सक्षम बेंच में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है. उन्होंने यह माना है कि, यह मामला बहुत ही गंभीर है, इस फैसले से राज्य के कई नियुक्तियां प्रभावित हो सकती है, इसलिए इस मामले की विस्तृत सुनवाई होनी चाहिए. उन्होंने मामले को दूसरे सक्षम बेंच में सुनवाई के लिए स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है.

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सहायक इंजीनियरिंग परीक्षा में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण

सहायक इंजीनियरिंग परीक्षा में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण दिया गया था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. एकल पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान यह माना, कि सवर्णों को जो आरक्षण देने का निर्णय हुआ है, वह वर्ष 2019 में हुआ है, यह पद जिस पर नियुक्ति हो रही है, ये 2019 से पूर्व से रिक्त पद है, इसलिए इस पद पर आरक्षण नहीं दी जा सकती है. अदालत ने नियुक्ति संबंधी जारी विज्ञापन को रद्द कर फिर से विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार द्वारा हाई कोर्ट के एकल पीठ के उस आदेश को डबल बेंच में चुनौती दी गई है.

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