रांची: झारखंड सरकार के शराब की थोक बिक्री के लिए लाइसेंस देने संबंधी नियमावली 2021 को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद शराब होलसेल दुकान लाइसेंस के लिए निकाले गए विज्ञापन पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया है. राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी.
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में झारखंड सरकार द्वारा बनाए गए शराब नीति 2021 के तहत जिले में होलसेल दुकान के लिए लाइसेंस के विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अपर महाधिवक्ता ने अपने-अपने कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.
यह भी पढ़ें: झारखंड हाई कोर्ट में गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण मामले पर सुनवाई, 6 जुलाई तक मांगा जवाब
लाइसेंस के लिए विज्ञापन निकालने वाली याचिका पर सुनवाई
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार के द्वारा जो नियम बनाया गया है, वह अभी नोटिफाइड नहीं हुआ है. ऐसे में इस नियम के तहत कैसे विज्ञापन निकाला गया? यह गलत है और इसलिए इस पर रोक लगा दी जाए. उन्होंने विभाग के द्वारा निकाले गए नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि जब विभाग ही कहता है कि 1 अगस्त से यह नियम लागू होगा, ऐसे में थोक विक्रेता दुकान के लाइसेंस के लिए विज्ञापन पहले कैसे निकाल दिया गया, इसलिए यह गलत है.
हाई कोर्ट का विज्ञापन पर रोक लगाने से इनकार
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि नियम 8 जून से ही लागू कर दिया गया है. चूंकि, गजट नोटिफिकेशन में देरी हुई और इसलिए विभाग के द्वारा एक सप्ताह का समय भी बढ़ा दिया गया है. अदालत ने उनकी दलील को रिकॉर्ड कर लिया. सरकार ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें मामले में जवाब पेश करने के लिए समय दी जाए. अदालत ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए दुकान के लाइसेंस के लिए निकाले गए विज्ञापन पर किसी भी प्रकार की रोक लगाने से इनकार कर दिया. राज्य सरकार को जवाब पेश करने का आदेश दिया है. बता दें कि याचिकाकर्ता झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन की ओर से झारखंड सरकार द्वारा बनाए गए शराब की थोक बिक्री के लिए दिए जाने वाले लाइसेंस को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.