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झारखंड हाईकोर्ट ने उठाए सवाल, कहा- मॉब लिंचिंग मामलों में पुलिस नहीं है गंभीर

झारखंड में मॉब लिंचिंग मामलों पर किसी भी दोषी को पकड़ने में पुलिस की असफलता को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई अब 4 सप्ताह बाद होगी.

झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jul 31, 2019, 11:15 PM IST

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में मॉब लिंचिंग के मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. अपना असंतोष जताते हुए कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 सप्ताह बाद की तारीख निर्धारित की है.

देखें पूरी खबर

दरअसल झारखंड हाई कोर्ट में मॉब लिंचिंग से जुड़े 20 केस चल रहे हैं. जिसमे कई मामले पुलिसिया कार्रवाई के स्तर पर पेंडिंग हैं. ताजा मामला सरायकेला के तबरेज से जुड़ा है. इस घटना के बाद हुए प्रदर्शन से रांची अशांत हो गई थी. इन्ही मामलों पर झाररखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें सरकार की तरफ से विभिन्न केसों से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट दायर की गयी.

कोर्ट ने क्या कहा
मामले की सुनवाई के दौरान 28 दिसम्बर, 2000 में हुए हटिया डीएसपी मर्डर मामले का भी जिक्र हुआ. इस मौके पर अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि उस हत्या मामले में भी पुलिस दोषी को सजा नहीं दिला पाई थी और इस बार के राजेंद्र चौक पर हुए बस हमले में भी पुलिस सबूत नहीं जुटा पा रही. जबकि इस मामले में 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. इस तर्क पर सहमति जताते हुए अदालत ने अधिवक्ता को कहा कि उन्हें सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए पुलिस की मदद करनी चाहिए.

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में मॉब लिंचिंग के मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. अपना असंतोष जताते हुए कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 सप्ताह बाद की तारीख निर्धारित की है.

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दरअसल झारखंड हाई कोर्ट में मॉब लिंचिंग से जुड़े 20 केस चल रहे हैं. जिसमे कई मामले पुलिसिया कार्रवाई के स्तर पर पेंडिंग हैं. ताजा मामला सरायकेला के तबरेज से जुड़ा है. इस घटना के बाद हुए प्रदर्शन से रांची अशांत हो गई थी. इन्ही मामलों पर झाररखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें सरकार की तरफ से विभिन्न केसों से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट दायर की गयी.

कोर्ट ने क्या कहा
मामले की सुनवाई के दौरान 28 दिसम्बर, 2000 में हुए हटिया डीएसपी मर्डर मामले का भी जिक्र हुआ. इस मौके पर अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि उस हत्या मामले में भी पुलिस दोषी को सजा नहीं दिला पाई थी और इस बार के राजेंद्र चौक पर हुए बस हमले में भी पुलिस सबूत नहीं जुटा पा रही. जबकि इस मामले में 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. इस तर्क पर सहमति जताते हुए अदालत ने अधिवक्ता को कहा कि उन्हें सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए पुलिस की मदद करनी चाहिए.

Intro:रांची
बाइट---राजीव कुमार वरीय अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट

झारखण्ड हाइकोर्ट में मॉब लिंचिंग के मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 सप्ताह के बाद कि तारीख निर्धारित की है। झारखंड हाईकोर्ट में चल रहे मॉब लिंचिंग से जुड़े मामलो में 20 केसेस का ज़िक्र है जिसमे कई मामले पेंडिंग हैं।ऐसे मे ताज़ा मामला सरायकेला तबरेज़ मॉब लिंचिंग से जुड़ा है जिसके खिलाफ हुए प्रदर्शन से रांची अशांत हुई थी।इन्ही मामलों पर झाररखण्ड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें सरकार की तरफ से विभिन्न केसों से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट दायर कि गयी।मामले पर अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि राजेंद्र चौक में हुए हंगामे में 7 लोगों के खिलाफ नामजद f.i.r. किए गए हैं जिसके बाद भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है



Body:वही मामले की सुनवाई के दौरान 28 दिसम्बर साल 2000 में हुए हटिया डीएसपी मर्डर मामले का भी ज़िक्र हुआ।अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि उस हत्या मामले में भी पुलिस दोषी को सजा नहीं दिला पाई थी और आज राजेंद्र चौक में बस में हमले पर भी पुलिस एविडेंस जुटा नहीं पा रही। इस तर्क पर सहमति जताते हुए अदालत पुलिस के काम से असंतुष्ट दिखी और अदालत ने अधिवक्ता को ही कहा कि सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए पुलिस की मदद की जानी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई अब 4 सप्ताह बाद होगी लेकिन इतना साफ है कि मॉब लिंचिंग के मामले पर कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर असंतोष ज़ाहिर की है।Conclusion:
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