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झारखंड हाई कोर्ट ने रेप पीड़ित को मदद का दिया निर्देश, कहा- 10 लाख रुपए की दें सहायता

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Published : Sep 14, 2022, 9:36 PM IST

मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट ने रेप पीड़ित नेत्रहीन युवती को गर्भपात कराने की इजाजत नहीं दी थी. बुधवार को कोर्ट ने 10 लाख रुपए सहायता राशि देने का निर्देश दिया (10 lakh rupees assistance to rape victim) है.

10 lakh rupees assistance to rape victim
10 lakh rupees assistance to rape victim

रांची: 28 हफ्ते की गर्भवती बलात्कार पीड़िता 19 वर्षीय नेत्रहीन युवती का सुरक्षित गर्भपात नहीं हो सकता, इसलिए झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बच्चे के पालन के लिए 10 लाख रुपए की सहायता राशि देने का निर्देश दिया (10 lakh rupees assistance to rape victim) है. जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़िता के लिए दिव्यांग पेंशन चालू करने और पीड़िता की प्री डिलीवरी एवं पोस्ट डिलीवरी समुचित देखभाल का भी निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें- नेत्रहीन रेप पीड़िता को झारखंड हाई कोर्ट ने नहीं दी गर्भपात की इजाजत, सरकार से पूछे मदद के उपाय

गौरतलब है कि रांची के नगड़ी की रहने वाली बलात्कार पीड़िता नेत्रहीन युवती ने सुरक्षित गर्भपात कराने की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें उसने खुद पर हुए अत्याचार के बारे में बताया. आदिवासी समुदाय से आने वाली पीड़िता रांची के नगड़ी की रहने वाली है.

उसके पिता रिक्शा चालक हैं. उसकी मां का निधन हो गया है. उसके पिता जब अपने काम पर गए थे, तब घर में अकेली पाकर किसी ने उसके साथ रेप किया. इस वजह से उसे 28 महीने का गर्भ है. इसके पहले उसका 2018 में भी रेप हुआ था. उस समय वह नाबालिग थी. पोस्को एक्ट के तहत इससे संबंधित मामला निचली अदालत में चल रहा है. दूसरी बार रेप की घटना इसी साल हुई. बीते दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उसकी मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें उसे 28 सप्ताह का गर्भ बताया गया. वह गरीबी रेखा से नीचे आती है. उसके घर में न तो बिजली व्यवस्था है और न गैस की व्यवस्था है. इलाज के लिए उसके पास पैसे भी नहीं है.

पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए बीते 9 सितंबर को अदालत ने रांची स्थित रिम्स को मेडिकल बोर्ड गठित कर इस मामले में रिपोर्ट देने को कहा था. रिम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि चूंकि गर्भ की उम्र 28 हफ्ते हो गई है, इसलिए सुरक्षित गर्भपात संभव नहीं है. इसके बाद अदालत ने 13 सितंबर को इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि गर्भवती नेत्रहीन युवती की देखभाल और जन्म लेने वाले शिशु की जिम्मेदारी कौन लेगा?

बुधवार को इस मामले में आगे सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने पीड़िता और जन्म लेने वाले शिशु की देखभाल, राहत और सहायता देने के लिए सरकार को एक साथ कई निर्देश दिये. कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि ऐसे मामलों में पीड़िता की समुचित देखभाल के लिए रांची में शेल्टर होम खोलने पर विचार किया जाए. हाई कोर्ट ने इस आदेश से राज्य के मुख्य सचिव, समाज कल्याण महिला व बाल विकास विभाग के सचिव, रांची डीसी एवं डालसा, रांची के सचिव को भी अवगत कराने और उन्हें अदालती निर्देश के अनुसार समुचित कदम उठाने को कहा. इसके साथ ही कोर्ट ने पीड़िता की ओर से दायर क्रिमिनल रिट याचिका निष्पादित कर दी. प्रार्थी की ओर से अदालत में अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने पैरवी की.

रांची: 28 हफ्ते की गर्भवती बलात्कार पीड़िता 19 वर्षीय नेत्रहीन युवती का सुरक्षित गर्भपात नहीं हो सकता, इसलिए झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बच्चे के पालन के लिए 10 लाख रुपए की सहायता राशि देने का निर्देश दिया (10 lakh rupees assistance to rape victim) है. जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़िता के लिए दिव्यांग पेंशन चालू करने और पीड़िता की प्री डिलीवरी एवं पोस्ट डिलीवरी समुचित देखभाल का भी निर्देश दिया है.

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गौरतलब है कि रांची के नगड़ी की रहने वाली बलात्कार पीड़िता नेत्रहीन युवती ने सुरक्षित गर्भपात कराने की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें उसने खुद पर हुए अत्याचार के बारे में बताया. आदिवासी समुदाय से आने वाली पीड़िता रांची के नगड़ी की रहने वाली है.

उसके पिता रिक्शा चालक हैं. उसकी मां का निधन हो गया है. उसके पिता जब अपने काम पर गए थे, तब घर में अकेली पाकर किसी ने उसके साथ रेप किया. इस वजह से उसे 28 महीने का गर्भ है. इसके पहले उसका 2018 में भी रेप हुआ था. उस समय वह नाबालिग थी. पोस्को एक्ट के तहत इससे संबंधित मामला निचली अदालत में चल रहा है. दूसरी बार रेप की घटना इसी साल हुई. बीते दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उसकी मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें उसे 28 सप्ताह का गर्भ बताया गया. वह गरीबी रेखा से नीचे आती है. उसके घर में न तो बिजली व्यवस्था है और न गैस की व्यवस्था है. इलाज के लिए उसके पास पैसे भी नहीं है.

पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए बीते 9 सितंबर को अदालत ने रांची स्थित रिम्स को मेडिकल बोर्ड गठित कर इस मामले में रिपोर्ट देने को कहा था. रिम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि चूंकि गर्भ की उम्र 28 हफ्ते हो गई है, इसलिए सुरक्षित गर्भपात संभव नहीं है. इसके बाद अदालत ने 13 सितंबर को इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि गर्भवती नेत्रहीन युवती की देखभाल और जन्म लेने वाले शिशु की जिम्मेदारी कौन लेगा?

बुधवार को इस मामले में आगे सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने पीड़िता और जन्म लेने वाले शिशु की देखभाल, राहत और सहायता देने के लिए सरकार को एक साथ कई निर्देश दिये. कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि ऐसे मामलों में पीड़िता की समुचित देखभाल के लिए रांची में शेल्टर होम खोलने पर विचार किया जाए. हाई कोर्ट ने इस आदेश से राज्य के मुख्य सचिव, समाज कल्याण महिला व बाल विकास विभाग के सचिव, रांची डीसी एवं डालसा, रांची के सचिव को भी अवगत कराने और उन्हें अदालती निर्देश के अनुसार समुचित कदम उठाने को कहा. इसके साथ ही कोर्ट ने पीड़िता की ओर से दायर क्रिमिनल रिट याचिका निष्पादित कर दी. प्रार्थी की ओर से अदालत में अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने पैरवी की.

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