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चाईबासा में करोड़ों का मनरेगा घोटाला! ईडी करेगी जांच, हाईकोर्ट का आदेश - चाईबासा मनरेगा घोटाला की ईडी जांच

झारखंड हाईकोर्ट ने ईडी को चाईबासा में करोड़ों रुपए के मनरेगा घोटाला की प्रारंभिक जांच करने के लिए कहा है. साल 2006 से 2010 के बीच मनरेगा की योजनाओं में अनियमितता की बात सामने आई थी, जिसे लेकर 14 मामले दर्ज किए गए थे.

High Court verdict in MGNREGA scam
High Court verdict in MGNREGA scam
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 30, 2023, 10:19 PM IST

रांची: चाईबासा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. कई दशक पूर्व यह जिला चारा घोटाला मामले को लेकर चर्चा में आया था. इसकी वजह से बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू यादव को सजा हुई थी. इस बार चर्चा का वजह बना है मनरेगा घोटाला. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने मंगलवार को मतलुब आलम की याचिका पर सुनवाई के बाद ईडी को तथाकथित करोड़ों के मनरेगा घोटाले की प्रारंभिक जांच का आदेश दिया है.

ये भी पढ़ें- हजारीबाग के महेश्वरी परिवार की मौत की गुत्थी सुलझाएगी सीबीआई, हाईकोर्ट ने जांच के दिए आदेश

याचिका के मुताबिक साल 2006 से 2010 के बीच मनरेगा की योजनाओं में गड़बड़ी की बात सामने आई थी. इस आधार पर पुलिस ने कुल 14 एफआईआर दर्ज किया था. बाद में साल 2015 में इस गड़बड़ी की जांच की जिम्मेदारी एसीबी को दे दी गई थी. लेकिन साल 2021 तक कोई खुलासा नहीं होने पर चाईबासा के मतलुब आलम ने पीआईएल संख्या 2618/2021 दायर कर निष्पक्ष एजेंसी से जांच की मांग की थी.

याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ईडी इस बात को देखे कि एसीबी की जांच में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला आया है या नहीं. हाईकोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार को एफआईआर से जुड़ी सारी कॉपी ईडी को मुहैया कराना है. सूत्रों के मुताबिक एफआईआर के आधार पर 31 अक्टूबर तक ईडी को एक रिपोर्ट कोर्ट को मुहैया कराना है. उसी आधार पर कोर्ट आगे कोई निर्णय लेगा.

30 अगस्त को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब ईडी को उन सारे एफआईआर के आधार पर जांच करना है. अधिवक्ता राजीव कुमार से पूछा गया कि मनरेगा की योजनाओ में कितने का घोटाला हुआ है. इसपर उन्होंने कहा कि चाईबासा में 300 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हुआ है.

आपको बता दें कि 24 फरवरी 2016 को यह मामला विधानसभा में भी उठा था. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि जो भी अफसर दोषी होंगे, बच नहीं पाएंगे. उस दौरान सदन में विधायक दीपक बिरूआ, दशरथ गगराई और निरल पूर्ति ने मामले को उठाया था. विधायकों का आरोप था कि घोटाला में छह आईएएस, 17 राज्य प्रशासनिक सेवा, छह कार्यपालक अभियंता, समेत कई इंजीनियर और कर्मचारी शामिल थे. इस मामले में एसीबी ने केस नंबर 6/2015 से 15/2015 तक केस दर्ज किया था.

सबसे खास बात है कि ईडी पहले से ही खूंटी में साल 2009-10 में हुए मनरेगा घोटाला की जांच कर रही है. उस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आधार पर सीनियर आईएएस पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया गया था. पूजा सिंघल आज भी जेल में हैं. उस दौरान पूजा सिंघल खूंटी की उपायुक्त थी. माना जा रहा है कि चाईबासा मामले में मनी लांड्रिंग के संकेत मिलने पर कई बड़े ब्यूरोक्रेट्स की मुसीबत बढ़ सकती है.

रांची: चाईबासा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. कई दशक पूर्व यह जिला चारा घोटाला मामले को लेकर चर्चा में आया था. इसकी वजह से बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू यादव को सजा हुई थी. इस बार चर्चा का वजह बना है मनरेगा घोटाला. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने मंगलवार को मतलुब आलम की याचिका पर सुनवाई के बाद ईडी को तथाकथित करोड़ों के मनरेगा घोटाले की प्रारंभिक जांच का आदेश दिया है.

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याचिका के मुताबिक साल 2006 से 2010 के बीच मनरेगा की योजनाओं में गड़बड़ी की बात सामने आई थी. इस आधार पर पुलिस ने कुल 14 एफआईआर दर्ज किया था. बाद में साल 2015 में इस गड़बड़ी की जांच की जिम्मेदारी एसीबी को दे दी गई थी. लेकिन साल 2021 तक कोई खुलासा नहीं होने पर चाईबासा के मतलुब आलम ने पीआईएल संख्या 2618/2021 दायर कर निष्पक्ष एजेंसी से जांच की मांग की थी.

याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ईडी इस बात को देखे कि एसीबी की जांच में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला आया है या नहीं. हाईकोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार को एफआईआर से जुड़ी सारी कॉपी ईडी को मुहैया कराना है. सूत्रों के मुताबिक एफआईआर के आधार पर 31 अक्टूबर तक ईडी को एक रिपोर्ट कोर्ट को मुहैया कराना है. उसी आधार पर कोर्ट आगे कोई निर्णय लेगा.

30 अगस्त को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब ईडी को उन सारे एफआईआर के आधार पर जांच करना है. अधिवक्ता राजीव कुमार से पूछा गया कि मनरेगा की योजनाओ में कितने का घोटाला हुआ है. इसपर उन्होंने कहा कि चाईबासा में 300 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हुआ है.

आपको बता दें कि 24 फरवरी 2016 को यह मामला विधानसभा में भी उठा था. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि जो भी अफसर दोषी होंगे, बच नहीं पाएंगे. उस दौरान सदन में विधायक दीपक बिरूआ, दशरथ गगराई और निरल पूर्ति ने मामले को उठाया था. विधायकों का आरोप था कि घोटाला में छह आईएएस, 17 राज्य प्रशासनिक सेवा, छह कार्यपालक अभियंता, समेत कई इंजीनियर और कर्मचारी शामिल थे. इस मामले में एसीबी ने केस नंबर 6/2015 से 15/2015 तक केस दर्ज किया था.

सबसे खास बात है कि ईडी पहले से ही खूंटी में साल 2009-10 में हुए मनरेगा घोटाला की जांच कर रही है. उस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आधार पर सीनियर आईएएस पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया गया था. पूजा सिंघल आज भी जेल में हैं. उस दौरान पूजा सिंघल खूंटी की उपायुक्त थी. माना जा रहा है कि चाईबासा मामले में मनी लांड्रिंग के संकेत मिलने पर कई बड़े ब्यूरोक्रेट्स की मुसीबत बढ़ सकती है.

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