रांची: बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद के जेल मैनुअल उल्लंघन के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत के समक्ष सभी पक्षों ने अपनी बात रखी. सरकार की तरफ से भी जवाब दिया गया. अदालत में रांची के एसएसपी और आईजी प्रिजन के जवाब पर भी चर्चा हुई. इसके बाद स्वास्थ्य के बिंदु पर सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है. सरकार को कुछ और बिंदुओं पर जवाब पेश करने को भी कहा है.
बता दें कि लालू प्रसाद की अपील की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से यह प्रश्न उठाया गया था कि, लालू यादव जेल मैनुअल का धड़ल्ले से उल्लंघन कर रहे हैं. यह हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना है, जिस पर अदालत ने राज्य सरकार के आईजी, बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के जेल अधीक्षक और सरकार से जवाब मांगा था. सरकार की ओर से जवाब सौंपा गया था. कुछ जवाब में वरीय पुलिस पर अधीक्षक और आईजी जेल की रिपोर्ट पर चर्चा हुई. अब 22 जनवरी को सुनवाई होगी.
यह भी पढ़ेंः सुशील मोदी का लालू पर बड़ा हमला, जेल से बिहार सरकार गिराना चाहते हैं आरजेडी सुप्रीमो
चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद पर बिहार में एनडीए की सरकार को गिराने का आरोप लगा था. भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर जेल से फोन कर जोड़-तोड़ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था. इस संबंध में एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसके बाद सूबे की रादनीति गर्मा गई थी. सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया था कि सजायाफ्ता लालू प्रसाद रांची रिम्स के पेइंग वार्ड से जेल नियमों का उल्लंघन कर मोबाइल फोन के जरिए लगातार राजद नेताओं को निर्देश देकर जोड़-तोड़ को बढ़ावा दे रहे हैं. इसको लेकर लालू यादव की भाजपा विधायक ललन पासवान से बातचीत का एक ऑडियो भी काफी सुर्खियों में रहा था जिसमें वे पासवान से बहुमत परीक्षण के दौरान सदन से अनुपस्थित रहने की बात कर रहे थे, जिसके बाद विधायक पासवान ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी.
यह भी पढ़ेंः 'लालू यादव ने जेल से किया NDA विधायकों को फोन, दिया मंत्री बनाने का प्रलोभन'
लालू प्रसाद पर जेल में रहते हुए भी धड़ल्ले से जेल मैनुअल के उल्लंघन का आरोप लगाया जा रहा था. मीडिया में भी जेल मैनुअल का धड़ल्ले से उल्लंघन की बातें आ रही थीं. लालू प्रसाद की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से यह मामला अदालत में उठाया गया था. उसके बाद अदालत ने उस पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. पूर्व में राज्य सरकार द्वारा आधा-अधूरा जवाब दिया गया था. जिस पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की थी.