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झारखंड में पुलिस की कार्यप्रणाली से हाई कोर्ट नाराज,  DGP ने 3 महीनों में लंबित मामलों की जांच पूरी करने का दिया आश्वासन - DGP MV Raon ordered to investigate pending cases

झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की है. हाई कोर्ट ने शीघ्र वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी को अदालत में जवाब देने का आदेश दिया है. डीजीपी ने तीन महीने में लंबित मामलों की जांच पूरी करने का आश्वासन दिया है.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jun 25, 2020, 8:58 PM IST

रांची: झारखंड पुलिस की कार्यप्रणाली पर झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. हाई कोर्ट ने शीघ्र वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी को अदालत में जवाब देने का आदेश दिया है. डीजीपी एमवी राव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुए. अदालत ने पूछा कि 6 वर्ष से जांच लंबित है, इस जांच को पूरा करने में कितने दिन का समय लगेगा. डीजीपी ने अदालत को आश्वस्त किया कि 3 महीने में जांच प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.


धनबाद जिले और दुमका जिले के एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष यह मामला आया कि वर्ष 2014 में जो एफआईआर दर्ज की गई थी. 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी उस मामले की जांच नहीं हो पाई है. अदालत ने जांच पदाधिकारी से जानकारी मांगी तो उनके द्वारा कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिए जाने पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए डीजीपी को हाजिर होने का आदेश दिया. सरकार के अधिवक्ता ने डीजीपी को इसकी सूचना दी. डीजीपी एमवी राव तत्काल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुए. अदालत ने पूछा कि इस तरह के मामले में कितने दिन लगेंगे.

ये भी पढ़ें: बुधवार को झारखंड में मिले 18 कोरोना संक्रमित, फिलहाल राज्य में 632 मरीज मौजूद

डीजीपी ने अदालत को आश्वस्त किया कि इस तरह के जितने भी मामले हैं उस को चिन्हित कर 3 माह में सभी की जांच पूरी कर दी जाएगी. डीजीपी के जवाब पर संतुष्ट होकर अदालत ने सरकार को समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 3 माह बाद होगी. बता दें कि वर्ष 2014 में एक आरोपी पर धनबाद में एफआईआर दर्ज की गई थी. उस मामले में अभी तक जांच पूरा नहीं हुई. मामले के आरोपी विधान चंद्र ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप को निरस्त करने की मांग की है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष यह मामला आया.

रांची: झारखंड पुलिस की कार्यप्रणाली पर झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. हाई कोर्ट ने शीघ्र वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी को अदालत में जवाब देने का आदेश दिया है. डीजीपी एमवी राव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुए. अदालत ने पूछा कि 6 वर्ष से जांच लंबित है, इस जांच को पूरा करने में कितने दिन का समय लगेगा. डीजीपी ने अदालत को आश्वस्त किया कि 3 महीने में जांच प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.


धनबाद जिले और दुमका जिले के एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष यह मामला आया कि वर्ष 2014 में जो एफआईआर दर्ज की गई थी. 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी उस मामले की जांच नहीं हो पाई है. अदालत ने जांच पदाधिकारी से जानकारी मांगी तो उनके द्वारा कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिए जाने पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए डीजीपी को हाजिर होने का आदेश दिया. सरकार के अधिवक्ता ने डीजीपी को इसकी सूचना दी. डीजीपी एमवी राव तत्काल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुए. अदालत ने पूछा कि इस तरह के मामले में कितने दिन लगेंगे.

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डीजीपी ने अदालत को आश्वस्त किया कि इस तरह के जितने भी मामले हैं उस को चिन्हित कर 3 माह में सभी की जांच पूरी कर दी जाएगी. डीजीपी के जवाब पर संतुष्ट होकर अदालत ने सरकार को समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 3 माह बाद होगी. बता दें कि वर्ष 2014 में एक आरोपी पर धनबाद में एफआईआर दर्ज की गई थी. उस मामले में अभी तक जांच पूरा नहीं हुई. मामले के आरोपी विधान चंद्र ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप को निरस्त करने की मांग की है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष यह मामला आया.

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