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हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में, संपूर्ण इतिहास और प्राचीन इतिहास को झारखंड हाईकोर्ट ने नहीं माना समकक्ष

हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में संपूर्ण इतिहास और प्राचीन इतिहास को समकक्ष नहीं मानने की बात को सही ठहराते हुए हाईकोर्ट ने प्रार्थी के याचिका को निष्पादित कर दिया है. अदालत ने भी यह माना है कि प्राचीन इतिहास, इतिहास का एक पार्ट है जबकि संपूर्ण इतिहास पूरा इतिहास है.

संजय पीपलवाल
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Published : Sep 21, 2019, 1:30 PM IST

रांचीः हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में संपूर्ण इतिहास और प्राचीन इतिहास को झारखंड हाईकोर्ट ने समकक्ष नहीं माना. झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार द्वारा हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में संपूर्ण इतिहास और प्राचीन इतिहास को समकक्ष नहीं मानने की बात को सही ठहराते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया है.

अधिवक्ता का बयान

यह भी पढ़ें- रांची में जेवर कारोबारी को अपराधियों ने मारी गोली, स्थिति गंभीर

प्राचीन इतिहास सिर्फ इतिहास का एक हिस्सा

प्रार्थी अशोक कुमार और अन्य ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति में प्राचीन इतिहास को संपूर्ण इतिहास के समकक्ष नहीं मानते हुए उनके आवेदन को निरस्त कर दिया था. कर्मचारी चयन आयोग के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. उसी याचिका पर पूर्व में सुनवाई पूरी होने के उपरांत आदेश सुरक्षित रख लिया गया था, वहीं आदेश शुक्रवार को सुनाया गया.
इसके पूर्व अदालत ने इस मामले में यूजीसी से जानकारी मांगी थी. यूजीसी ने बताया कि वह सिर्फ डिग्री का निर्धारण करता है. डिग्री की समकक्षता का निर्धारण राज्य सरकार और विश्वविद्यालय करते हैं. सुनवाई के दौरान सराकर की ओर से अदालत को बताया कि विज्ञापन में इतिहास की डिग्री की बात कही गई है, ऐसे में मध्यकालीन और प्रचीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं माना जा सकता है. इसको लेकर सरकार ने राज्य के पांचों विश्वविद्यालयों से मंतव्य मांगा था. विनोवा भावे विश्वविद्यालय को छोड़कर सभी ने राज्य सरकार के निर्णय को सही माना. जेएसएससी भी प्रचीन और मध्यकालीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं मानता है.

रांचीः हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में संपूर्ण इतिहास और प्राचीन इतिहास को झारखंड हाईकोर्ट ने समकक्ष नहीं माना. झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार द्वारा हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में संपूर्ण इतिहास और प्राचीन इतिहास को समकक्ष नहीं मानने की बात को सही ठहराते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया है.

अधिवक्ता का बयान

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प्राचीन इतिहास सिर्फ इतिहास का एक हिस्सा

प्रार्थी अशोक कुमार और अन्य ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति में प्राचीन इतिहास को संपूर्ण इतिहास के समकक्ष नहीं मानते हुए उनके आवेदन को निरस्त कर दिया था. कर्मचारी चयन आयोग के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. उसी याचिका पर पूर्व में सुनवाई पूरी होने के उपरांत आदेश सुरक्षित रख लिया गया था, वहीं आदेश शुक्रवार को सुनाया गया.
इसके पूर्व अदालत ने इस मामले में यूजीसी से जानकारी मांगी थी. यूजीसी ने बताया कि वह सिर्फ डिग्री का निर्धारण करता है. डिग्री की समकक्षता का निर्धारण राज्य सरकार और विश्वविद्यालय करते हैं. सुनवाई के दौरान सराकर की ओर से अदालत को बताया कि विज्ञापन में इतिहास की डिग्री की बात कही गई है, ऐसे में मध्यकालीन और प्रचीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं माना जा सकता है. इसको लेकर सरकार ने राज्य के पांचों विश्वविद्यालयों से मंतव्य मांगा था. विनोवा भावे विश्वविद्यालय को छोड़कर सभी ने राज्य सरकार के निर्णय को सही माना. जेएसएससी भी प्रचीन और मध्यकालीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं मानता है.

Intro:रांची
बाइट-- संजय पीपलवाल वरीय अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट

हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में संपूर्ण इतिहास और प्राचीन इतिहास को झारखंड हाईकोर्ट ने समकक्ष नहीं माना झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार द्वारा हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में संपूर्ण इतिहास और प्राचीन इतिहास को समकक्ष नहीं मानने की बात को सही ठहराते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया है अदालत ने भी यह माना है कि प्राचीन इतिहास इतिहास का एक पार्ट है जबकि संपूर्ण इतिहास पूरा इतिहास है
प्रार्थी अशोक कुमार एवं अन्य ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति में प्राचीन इतिहास को संपूर्ण इतिहास के समकक्ष नहीं मानते हुए उनके आवेदन को निरस्त कर दिया था कर्मचारी चयन आयोग के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी उसी याचिका पर पूर्व में सुनवाई पूरी होने के उपरांत आदेश सुरक्षित रख लिया गया था वही आदेश शुक्रवार को सुनाया गया

Body:इसके पूर्व अदालत ने इस मामले में यूजीसी से जानकारी मांगी थी।  यूजीसी ने बताया कि वह  सिर्फ डिग्री का निर्धारण करता है। डिग्री की समकक्षता का निर्धारण राज्य सरकार और विश्वविद्यालय करते हैं। सुनवाई के दौरान सराकर की ओर से अदालत को बताया कि विज्ञापन में इतिहास की डिग्र्री की बात कही गई है, ऐसे में मध्यकालीन व प्रचीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं माना जा सकता है। इसको लेकर सरकार ने राज्य के पांचों विश्वविद्यालयों से मंतव्य मांगा था। विनोवा भावे विश्वविद्यालय को छोड़कर सभी ने राज्य सरकार के निर्णय को सही माना। जेएसएससी भी प्रचीन व मध्यकालीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं मानता है। इसलिए प्रार्थी के आवेदन को खारिज कर देना चाहिए। 

Conclusion:जेएसएससी की ओर  से हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। उसमें अभ्यर्थी के लिए स्नातक में इतिहास की योग्यता रखी गई थी। इस नियुक्ति में प्राचीन व मध्य इतिहास की डिग्र्री वालों ने भी आवेदन दिया, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया। जिसके बाद इन लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। 
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