रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में धनबाद में शराब दुकान के टेंडर के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले में प्रार्थी को एक्साइज कमिश्नर के यहां आवेदन देने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि जब तक इस मामले में एक्साइज कमिश्नर फैसला नहीं लेते हैं, तब तक टेंडर पर रोक रहेगी.
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य रमन ने बताया कि इससे पहले इस संबंध चंदन कुमार और संदीप जायसवाल ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता नवीन कुमार ने अदालत को बताया कि धनबाद जिले में शराब की खुदरा बिक्री दुकान के लिए वर्ष 2021-22 के लिए टेंडर निकाला गया है, जिसके लिए वार्षिक राजस्व 60 लाख रुपये रखा गया है. वहीं प्रार्थी तीन साल पूर्व से ही वहीं पर शराब की दुकान चला रहा है, जिसका वार्षिक राजस्व इससे ज्यादा है. ऐसे में उनको काफी नुकसान हो जाएगा. इस पर अदालत ने प्रार्थी को एक्साइज कमिश्नर के यहां आवेदन देने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद एक्साइज कमिश्नर उचित निर्णय पारित करें और जब तक कमिश्नर का निर्णय नहीं आता है, तब शराब दुकान के टेंडर पर रोक रहेगी.
शिक्षक नियुक्ति की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई स्थगित
वहीं गैर अनुसूचित जिलों में शिक्षक नियुक्ति की मांग वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डाॅ. एसएन पाठक की अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है. राज्य सरकार के अधिवक्ता ने मांग की कि इस मामले में सुनवाई नहीं की जाए. इस पर अदालत ने सुप्रीम कोर्ट में मामले के निष्पादन होने तक इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है.
इस तर्क पर कोर्ट की लगी मुहर
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि इस संबंध में उमेश कुमार सहित अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सोनी कुमारी के मामले में हाई कोर्ट की वृहद पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि गैर अनुसूचित जिलों में होने वाली शिक्षक नियुक्ति पर किसी प्रकार की रोक नहीं है, उनकी नियुक्ति की सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए नियुक्ति की अनुशंसा भी भेज दी गई है, लेकिन उनकी नियुक्ति नहीं हो रही है. इस पर राज्य सरकार व जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस कुमार ने कहा कि इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है. ऐसे में इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी जाए.
यह है पूरा मामला
बता दें कि राज्य सरकार ने नियोजन नीति के तहत 13 अनुसूचित जिलों के सभी पद स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित कर दिए थे. इसको लेकर सोनी कुमारी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. वृहद पीठ ने सरकार के शत-प्रतिशत पद आरक्षण करने के आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही 13 जिलों में हुई शिक्षकों की नियुक्ति को भी रद्द कर दिया. इसके बाद नियुक्त शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.