रांची: राज्य के करीब साढे़ चार हजार अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों के झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एसएन पाठक की अदालत ने कहा कि अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को राहत दिया गया है. अदालत ने राज्य सरकार के उस आदेश को रोक लगा दी है, जिसके तहत अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने का निर्देश दिया गया है. साथ ही अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.
सरकार के आदेश को दी गई थी चुनौती
मामला को लेकर याचिकाकर्ता समीर कुमार देव सहित अन्य ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसमें उन्हें हटाए जाने संबंधित सरकार के आदेश को चुनौती दी है. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि केंद्र के आदेश पर एनआइओएस (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग) ने पारा शिक्षकों की परीक्षा ली और उन्हें प्रशिक्षित किया अब एनआइओएस (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग) ने ऐसे पारा शिक्षकों की पूरक परीक्षा लेने की बात कही जो पूर्व की परीक्षा में सफल नहीं हुए. असफल पारा शिक्षकों ने एनआईओएस में अपना रजिस्ट्रेशन भी कराया है और इसके लिए जनवरी 2022 में परीक्षा तय की गई है. ऐसे में पारा शिक्षकों को हटाया जाना असंवैधानिक होगा. वादी की दलीलों को स्वीकार करते हुए सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है वहीं सरकार को लेकर जवाब तलब किया है.
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सरकार ने पारा शिक्षकों को हटाने की जारी की थी अनुशंसा
बता दें कि राज्य में वर्ष 2003 से पारा शिक्षकों को नियुक्ति शुरू हुई है. 2009 में आरटीई इंटरमीडिएट में 50 फीसदी से कम अंक मिले है, उन्हें इंप्रूवमेंट एग्जाम देकर 50 फीसदी से ज्यादा अंक लाने का आदेश दिया गया. इसके बाद केंद्र सरकार ने एनआईओएस के जरिए 3 साल के अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का आदेश दिया था. इस परीक्षा में करीब साढे़ चार हजार पारा शिक्षक असफल हुए. इसके बाद राज्य सरकार ने 24 जून 2019 को सभी अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने का अनुशंसा जारी कर दी है.