रांची: झारखंड हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष एक ही मामले में 2 तरह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि राज्य में चिकित्सकों के लाइसेंस और क्रेडेंशियल की जांच के लिए क्या व्यवस्थाएं हैं? अदालत ने राज्य सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि राज्य में कितने ऐसे डॉक्टर हैं जो झारखंड मेडिकल काउंसिल से रजिस्टर्ड हैं? कितने ऐसे हैं जो बगैर रजिस्ट्रेशन के कार्य कर रहे हैं? कितने सरकार के लिए सेवा दे रहे हैं और कितने प्राइवेट सेवा दे रहे हैं? सभी बिंदु पर विस्तृत रिपोर्ट उन्होंने मुख्य सचिव को 4 सप्ताह में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.
ऐसे पता चला कि डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन ही नहीं
बाद में अदालत ने इस मामले में डॉक्टर पर कार्रवाई के लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल को निर्देश दिया. वहां से जवाब आया कि वे अपीलीय प्राधिकार हैं, झारखंड मेडिकल काउंसिल को निर्देश दिया जाए. इसके बाद अदालत ने झारखंड मेडिकल काउंसिल को डॉक्टर पर कार्रवाई का निर्देश दिया. झारखंड मेडिकल काउंसिल ने अदालत को जानकारी दी कि डॉ. स्वप्निल कुमार झारखंड मेडिकल काउंसिल से रजिस्टर्ड नहीं है, इसीलिए उन पर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. इस पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की. मुख्य सचिव को स्वयं मामले में 4 सप्ताह में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है.