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झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा, MP-MLA के केस में गवाह को लाने की क्या है व्यवस्था

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Published : Jan 6, 2022, 10:32 AM IST

झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा, गवाह को कोर्ट लाने की व्यवस्था क्या है? आदालत ने कहा कि गवाहों की उपस्थिति नहीं होने से एमपी एमएलए पर दर्ज केस की सुनवाई लंबित हो जाती है. इस मामले की अगली सुनवाई चार फरवरी को निर्धारित की गई है.

Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में एमपी एमएलए के खिलाफ दर्ज मामलों में ट्रायल की स्थिति पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि कई मामलों में गवाह कोर्ट में गवाही देने नहीं पहुंच रहे हैं. इस स्थिति में गवाह को कोर्ट लाने की क्या व्यवस्था है. इसकी पूरी जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें. इस मामले की अगली सुनवाई 4 फरवरी को होगी.

यह भी पढ़ेंःकांग्रेस विधायक पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, थानेदार से मांगा गया जवाब

अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि इन मामलों में राज्य सरकार अभियोजक होती है. अगर गवाहों को कोर्ट में नहीं लाया जाएगा तो मामलों की त्वरित सुनवाई कैसे हो पाएगी. इसलिए सरकार एक योजना बनाए, ताकि गवाहों को कोर्ट में उपस्थित कराया जा सके. इस मामले में अदालत ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता को भी अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में रहने का आदेश दिया है. बता दें कि कई जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सीबीआइ, इनकम टैक्ट और ईडी की ओर से प्राथमिकी दर्ज की गई है. राज्य के छह जिलों रांची, धनबाद, डाल्टनगंज, दुमका, हजारीबाग और चाईबासा में एमपी एमएलए कोर्ट हैं, जहां मामले की सुनवाई चल रही है.

सिविल जज नियुक्ति मामले में सुनवाई

चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सिविल जज नियुक्ति में खेल कोटा का लाभ नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से उठाए गए बिंदुओं पर अदालत ने भारतीय ओलिंपिक संघ (आइओए) से जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को निर्धारित की गई है. बता दें कि मयंक ठाकुर की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि जेपीएससी ने वर्ष 2018 में सिविल जज (जूनियर डिविजन) की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया. प्रार्थी ने नियुक्ति में खेल प्रमाण पत्र दिया था. लेकिन उन्हें खेल कोटे का लाभ नहीं दिया गया. जबकि उन्होंने आइओए से संबद्ध संस्था स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया से खेल प्रमाण पत्र प्राप्त किया है. सुनवाई के दौरान आइओए ने अदालत को बतााया कि वर्तमान में उक्त संस्था संबद्ध नहीं है. इस पर प्रार्थी ने कहा कि वर्ष 2010 तक उक्त संस्था आइओए से संबद्ध थी. इसपर अदालत ने आइओए से जवाब मांगा है. वहीं जेपीएससी ने कहा कि प्रार्थी की नियुक्ति इसलिए नहीं की गई है, क्योंकि उनकी ओर से खेल प्रमाण पत्र विज्ञापन के अनुरूप नहीं जमा किया गया था.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में एमपी एमएलए के खिलाफ दर्ज मामलों में ट्रायल की स्थिति पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि कई मामलों में गवाह कोर्ट में गवाही देने नहीं पहुंच रहे हैं. इस स्थिति में गवाह को कोर्ट लाने की क्या व्यवस्था है. इसकी पूरी जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें. इस मामले की अगली सुनवाई 4 फरवरी को होगी.

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अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि इन मामलों में राज्य सरकार अभियोजक होती है. अगर गवाहों को कोर्ट में नहीं लाया जाएगा तो मामलों की त्वरित सुनवाई कैसे हो पाएगी. इसलिए सरकार एक योजना बनाए, ताकि गवाहों को कोर्ट में उपस्थित कराया जा सके. इस मामले में अदालत ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता को भी अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में रहने का आदेश दिया है. बता दें कि कई जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सीबीआइ, इनकम टैक्ट और ईडी की ओर से प्राथमिकी दर्ज की गई है. राज्य के छह जिलों रांची, धनबाद, डाल्टनगंज, दुमका, हजारीबाग और चाईबासा में एमपी एमएलए कोर्ट हैं, जहां मामले की सुनवाई चल रही है.

सिविल जज नियुक्ति मामले में सुनवाई

चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सिविल जज नियुक्ति में खेल कोटा का लाभ नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से उठाए गए बिंदुओं पर अदालत ने भारतीय ओलिंपिक संघ (आइओए) से जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को निर्धारित की गई है. बता दें कि मयंक ठाकुर की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि जेपीएससी ने वर्ष 2018 में सिविल जज (जूनियर डिविजन) की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया. प्रार्थी ने नियुक्ति में खेल प्रमाण पत्र दिया था. लेकिन उन्हें खेल कोटे का लाभ नहीं दिया गया. जबकि उन्होंने आइओए से संबद्ध संस्था स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया से खेल प्रमाण पत्र प्राप्त किया है. सुनवाई के दौरान आइओए ने अदालत को बतााया कि वर्तमान में उक्त संस्था संबद्ध नहीं है. इस पर प्रार्थी ने कहा कि वर्ष 2010 तक उक्त संस्था आइओए से संबद्ध थी. इसपर अदालत ने आइओए से जवाब मांगा है. वहीं जेपीएससी ने कहा कि प्रार्थी की नियुक्ति इसलिए नहीं की गई है, क्योंकि उनकी ओर से खेल प्रमाण पत्र विज्ञापन के अनुरूप नहीं जमा किया गया था.

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