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आदेश का अनुपालन नहीं होने पर झारखंड हाईकोर्ट नाराज, चीफ जस्टिस बोले- Who is responsible, महिला एवं बाल विकास के सचिव सशरीर तलब

आदेश के बाद भी बोर्ड-आयोग में खाली पड़े पदों पर नियुक्ति नहीं होने से झारखंड हाईकोर्ट नाराज है. चीफ जस्टिस ने पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेवार है. महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है.

Jharkhand High Court
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 15, 2023, 4:34 PM IST

रांची: झारखंड में मानव तस्करी का सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे बच्चे और बच्चियों को उठाना पड़ता है. सरकार के प्रयास से अभियान चलाकर देश के बड़े-बड़े शहरों से बच्चों को मुक्त कराया जा रहा है. लेकिन वैसे बच्चों के अधिकार के लिए जो संस्थाएं काम करती हैं, उनकी हालत दयनीय है. राज्य में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के अलावा राज्य बाल संरक्षण आयोग में कई पद रिक्त पड़े हुए हैं. इसी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कई बिंदुओं पर आपत्ति जतायी.

ये भी पढ़ें- जेपीएससी फर्स्ट-सेकंड बैच की परीक्षा मामला, झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

रिक्त पदों के भरे जाने को लेकर 30 जून 2023 को जारी आदेश का अनुपालन नहीं होने पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि Who is responsible for slow progress and non compliance of the order. यह कहते हुए कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव को अगली सुनवाई में सशरीर हाजिर होने का आदेश जारी किया. मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. यह जानकारी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी ने दी.

किस मामले में कोर्ट ने लगायी फटकार: अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी ने बताया कि पूर्व के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा था. पूर्व में कहा गया था कि पद क्रिएट करने के लिए कार्मिक में प्रस्ताव भेजा गया है. उस आधार पर कोर्ट ने टाइम दिया था. इस बार कोर्ट को बताया गया कि कैबिनेट की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. इसपर हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ पद क्रिएट किया जा रहा है. लेकिन सपोर्टिंग स्टाफ की बात ही नहीं हो रही है.

दरअसल, जून माह से यह मामला लटका हुआ है. पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि जमशेदपुर के जेजे बोर्ड में स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति एक माह के भीतर की जाए. इसके अलावा जिला स्तर पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और जेजे बोर्ड में रिक्त पदों को भी भरा जाए. जवाब में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि ज्यादातर जगहों पर पदों को भर दिया गया है लेकिन अभी भी कई पद रिक्त हैं. यही नहीं राज्य बाल संरक्षण आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों का पद भी कई वर्षों से खाली पड़ा है. इसकी वजह से बच्चों के हित से जुड़े विधिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं.आपको बता दें कि बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से चंदन सिंह ने जनहित याचिका दायर की है. अब देखना है कि 22 सितंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान विभागीय सचिव कृपानंद झा की ओर से क्या पक्ष रखा जाता है.

रांची: झारखंड में मानव तस्करी का सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे बच्चे और बच्चियों को उठाना पड़ता है. सरकार के प्रयास से अभियान चलाकर देश के बड़े-बड़े शहरों से बच्चों को मुक्त कराया जा रहा है. लेकिन वैसे बच्चों के अधिकार के लिए जो संस्थाएं काम करती हैं, उनकी हालत दयनीय है. राज्य में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के अलावा राज्य बाल संरक्षण आयोग में कई पद रिक्त पड़े हुए हैं. इसी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कई बिंदुओं पर आपत्ति जतायी.

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रिक्त पदों के भरे जाने को लेकर 30 जून 2023 को जारी आदेश का अनुपालन नहीं होने पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि Who is responsible for slow progress and non compliance of the order. यह कहते हुए कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव को अगली सुनवाई में सशरीर हाजिर होने का आदेश जारी किया. मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. यह जानकारी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी ने दी.

किस मामले में कोर्ट ने लगायी फटकार: अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी ने बताया कि पूर्व के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा था. पूर्व में कहा गया था कि पद क्रिएट करने के लिए कार्मिक में प्रस्ताव भेजा गया है. उस आधार पर कोर्ट ने टाइम दिया था. इस बार कोर्ट को बताया गया कि कैबिनेट की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. इसपर हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ पद क्रिएट किया जा रहा है. लेकिन सपोर्टिंग स्टाफ की बात ही नहीं हो रही है.

दरअसल, जून माह से यह मामला लटका हुआ है. पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि जमशेदपुर के जेजे बोर्ड में स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति एक माह के भीतर की जाए. इसके अलावा जिला स्तर पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और जेजे बोर्ड में रिक्त पदों को भी भरा जाए. जवाब में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि ज्यादातर जगहों पर पदों को भर दिया गया है लेकिन अभी भी कई पद रिक्त हैं. यही नहीं राज्य बाल संरक्षण आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों का पद भी कई वर्षों से खाली पड़ा है. इसकी वजह से बच्चों के हित से जुड़े विधिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं.आपको बता दें कि बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से चंदन सिंह ने जनहित याचिका दायर की है. अब देखना है कि 22 सितंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान विभागीय सचिव कृपानंद झा की ओर से क्या पक्ष रखा जाता है.

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