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Monkeypox Virus: झारखंड स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी, सभी जिलों के सीएस को एहतियात बरतने का निर्देश

मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox virus) को लेकर झारखंड स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है. विभाग ने मंकीपॉक्स को लेकर एडवाइजरी जारी करते हुए सभी जिलों के सिविल सर्जन और सर्विलांस ऑफिसर्स को एहतियात बरतने का निर्देश दिया है.

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मंकीपॉक्स वायरस
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Published : May 29, 2022, 6:57 AM IST

रांचीः विश्व के कई देशों में पशुओं से इंसानों में फैलने वाली मंकीपॉक्स वायरस के केस मिलने के बाद झारखंड स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड के परियोजना निदेशक ने सभी जिलों के सिविल सर्जन और जिला सर्विलांस पदाधिकारी आईडीएसपी को मंकीपॉक्स को लेकर एडवाइजरी जारी किया है. जिसमें एनएचएम के मिशन डायरेक्टर ने लिखा है कि यूरोप, यूनाइटेड स्टेट्स और ऑस्ट्रेलिया में मंकीपॉक्स के केस मिले हैं.

इसे भी पढ़ें- मंकीपॉक्स बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं : तमिलनाडु सरकार


सिविल सर्जन को लिखे पत्र में कहा गया है कि अभी तक भारत में मंकीपॉक्स का कोई भी केस नहीं मिला है. लेकिन जिस तरह से दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के केस मिले हैं, वैसे में भारत में भी इसका केस मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि अफ्रीकी कंट्री से लोगों की आवाजाही भारत में होती है. ऐसे में बुखार और शरीर पर रैशेज यानी चकते के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल हिस्ट्री वाले सस्पेक्टेड लोगों की पहचान जरूरी है. ऐसे लोगों की सैंपल जांच के लिए आईसीएमआर-आईएनवी बीएसएल-4 लैबोरेट्री पुणे भेजे जाने का प्रावधान किया गया है.

एडवाइजरी में क्या हैः मंकीपॉक्स को लेकर जारी एडवाइजरी में इस बीमारी को लेकर कुछ बिंदुओं का भी जिक्र किया गया है. जिसमें कहा गया है कि मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक डिजीज है, जो मुख्यता मध्य और पश्चिम अफ्रीका के ट्रॉपिकल रेन्फोरेस्ट क्षेत्र में पाया जाता है. मंकीपॉक्स में बुखार, शरीर पर चकते और लिंफ नोड में स्वेलिंग होता है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि साधारण सा मंकीपॉक्स सेल्फ लिमिटेड विलेज है. जिसके सिम्टम्स 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं लेकिन कई बार यह बढ़ भी सकता है और इसका फैटेलिटी रेट 01 से 10% के बीच होता है.

इसमें आगे कहा गया है कि मंकीपॉक्स का संक्रमण जानवर से इंसान में और फिर इंसान से इंसान में फैल सकता है. मंकीपॉक्स वायरस शरीर में ब्रोकन स्क्रीन, रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट या म्यूकस मेंब्रेन जैसे नाक और मुंह से प्रवेश कर सकता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड के मिशन डायरेक्टर के लिखे पत्र में पब्लिक हेल्थ एक्शन को लेकर भी सजग रहने को कहा गया है और पत्र में कहा गया है कि वैसे लोग जिनके शरीर पर रैशेस हों और पिछले 21 दिनों के अंदर इंटरनेशनल ट्रैवल की हिस्ट्री हो वैसे लोगों को सस्पेक्टेड मानकर रिपोर्ट किए जाएं. वैसे सभी सस्पेक्टेड लोगों को आइसोलेट कर उनके सैंपल को जांच के लिए एनआईबी पुणे भेजा जाए और अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो 21 दिनों के अंदर उनके कांटेक्ट में आए लोगों की ट्रेसिंग कर उन्हें आइसोलेट किया जाना चाहिए.


पूरी दुनिया में एक दुर्लभ संक्रमण के उभरने से वैज्ञानिक चिंतित हैं जिसका नाम मंकीपॉक्स (monkeypox) है. हालांकि भारत में अभी तक इससे संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है. लेकिन ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका में लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं. कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस इस बीमारी के संभावित संक्रमणों की जांच कर रहे हैं जिनमें मृत्यु दर 10 प्रतिशत हो सकती है. कुल मिलाकर मंकीपॉक्स (monkeypox) के 100 से अधिक संदिग्ध और पुष्ट मामले सामने आए हैं.

इसे भी पढ़ें- मंकीपॉक्स क्या है, जो यूरोप और अमेरिका में फैल रहा है

मंकीपॉक्स क्या है? मंकीपॉक्स ((monkeypox)) मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है. हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा कि मंकीपॉक्स (monkeypox) एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) के संक्रमण के कारण होती है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं. साहू ने बताया कि अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इन मामलों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा व बीमारी से ग्रस्त बंदरों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से जोड़ा गया है.

मंकीपॉक्स के लक्षणः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स (monkeypox) आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है.

संक्रमण का प्रसार कैसे होता है?
मंकीपॉक्स (monkeypox) किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है.

रांचीः विश्व के कई देशों में पशुओं से इंसानों में फैलने वाली मंकीपॉक्स वायरस के केस मिलने के बाद झारखंड स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड के परियोजना निदेशक ने सभी जिलों के सिविल सर्जन और जिला सर्विलांस पदाधिकारी आईडीएसपी को मंकीपॉक्स को लेकर एडवाइजरी जारी किया है. जिसमें एनएचएम के मिशन डायरेक्टर ने लिखा है कि यूरोप, यूनाइटेड स्टेट्स और ऑस्ट्रेलिया में मंकीपॉक्स के केस मिले हैं.

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सिविल सर्जन को लिखे पत्र में कहा गया है कि अभी तक भारत में मंकीपॉक्स का कोई भी केस नहीं मिला है. लेकिन जिस तरह से दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के केस मिले हैं, वैसे में भारत में भी इसका केस मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि अफ्रीकी कंट्री से लोगों की आवाजाही भारत में होती है. ऐसे में बुखार और शरीर पर रैशेज यानी चकते के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल हिस्ट्री वाले सस्पेक्टेड लोगों की पहचान जरूरी है. ऐसे लोगों की सैंपल जांच के लिए आईसीएमआर-आईएनवी बीएसएल-4 लैबोरेट्री पुणे भेजे जाने का प्रावधान किया गया है.

एडवाइजरी में क्या हैः मंकीपॉक्स को लेकर जारी एडवाइजरी में इस बीमारी को लेकर कुछ बिंदुओं का भी जिक्र किया गया है. जिसमें कहा गया है कि मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक डिजीज है, जो मुख्यता मध्य और पश्चिम अफ्रीका के ट्रॉपिकल रेन्फोरेस्ट क्षेत्र में पाया जाता है. मंकीपॉक्स में बुखार, शरीर पर चकते और लिंफ नोड में स्वेलिंग होता है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि साधारण सा मंकीपॉक्स सेल्फ लिमिटेड विलेज है. जिसके सिम्टम्स 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं लेकिन कई बार यह बढ़ भी सकता है और इसका फैटेलिटी रेट 01 से 10% के बीच होता है.

इसमें आगे कहा गया है कि मंकीपॉक्स का संक्रमण जानवर से इंसान में और फिर इंसान से इंसान में फैल सकता है. मंकीपॉक्स वायरस शरीर में ब्रोकन स्क्रीन, रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट या म्यूकस मेंब्रेन जैसे नाक और मुंह से प्रवेश कर सकता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड के मिशन डायरेक्टर के लिखे पत्र में पब्लिक हेल्थ एक्शन को लेकर भी सजग रहने को कहा गया है और पत्र में कहा गया है कि वैसे लोग जिनके शरीर पर रैशेस हों और पिछले 21 दिनों के अंदर इंटरनेशनल ट्रैवल की हिस्ट्री हो वैसे लोगों को सस्पेक्टेड मानकर रिपोर्ट किए जाएं. वैसे सभी सस्पेक्टेड लोगों को आइसोलेट कर उनके सैंपल को जांच के लिए एनआईबी पुणे भेजा जाए और अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो 21 दिनों के अंदर उनके कांटेक्ट में आए लोगों की ट्रेसिंग कर उन्हें आइसोलेट किया जाना चाहिए.


पूरी दुनिया में एक दुर्लभ संक्रमण के उभरने से वैज्ञानिक चिंतित हैं जिसका नाम मंकीपॉक्स (monkeypox) है. हालांकि भारत में अभी तक इससे संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है. लेकिन ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका में लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं. कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस इस बीमारी के संभावित संक्रमणों की जांच कर रहे हैं जिनमें मृत्यु दर 10 प्रतिशत हो सकती है. कुल मिलाकर मंकीपॉक्स (monkeypox) के 100 से अधिक संदिग्ध और पुष्ट मामले सामने आए हैं.

इसे भी पढ़ें- मंकीपॉक्स क्या है, जो यूरोप और अमेरिका में फैल रहा है

मंकीपॉक्स क्या है? मंकीपॉक्स ((monkeypox)) मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है. हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा कि मंकीपॉक्स (monkeypox) एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) के संक्रमण के कारण होती है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं. साहू ने बताया कि अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इन मामलों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा व बीमारी से ग्रस्त बंदरों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से जोड़ा गया है.

मंकीपॉक्स के लक्षणः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स (monkeypox) आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है.

संक्रमण का प्रसार कैसे होता है?
मंकीपॉक्स (monkeypox) किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है.

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