रांची: पिछले कुछ दिनों से झारखंड में चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर जमकर राजनीति हो रही है. पहले यूपीए के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलकर रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आग्रह किया, फिर मुख्यमंत्री ने उनसे मिलकर रिपोर्ट पर सार्वजनिक करने की मांग की. लेकिन अब तक रिपोर्ट को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. शुक्रवार को जब पत्रकारों ने राज्यपाल से चुनाव आयोग की सील बंद रिपोर्ट पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि लिफाफा चिपक गया है, खुल नहीं रहा है (Governor statement on Election Commission report).
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इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के वकील ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपनी रिपोर्ट की एक कॉपी देने की मांग की थी. जिस पर आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से जुड़े मामले की कॉपी देने से इनकार कर दिया (ECI refused to give Raj Bhawan copy to CM) है. दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के वकील वैभव तोमर ने 1 सितंबर और 15 सितंबर को चुनाव आयोग को पत्र भेजा था. उन्होंने सीएम से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आयोग द्वारा राजभवन को भेजे गए मंतव्य की कॉपी मांगी थी. उसी पत्र का जवाब देते हुए आयोग ने स्पष्ट किया है कि संविधान की धारा 192 (2) के तहत यह दो संवैधानिक अथॉरिटी के बीच का मामला है. इसलिए इस मसले पर राजभवन का आदेश आने से पहले आयोग द्वारा राजभवन को भेजी गई अपने मंतव्य की कॉपी देना संविधान का उल्लंघन कहलाएगा.
रांची के अनगड़ा इलाके में अवैध खनन पट्टा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम लेने की शिकायत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने निर्वाचन आयोग में आवेदन दिया था. जिसपर सुनवाई के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को पत्र राजभवन भेजा था. जिसके बाद राज्य में कयासों का दौर और राजनीतिक भ्रम की स्थिति बन गयी थी, UPA के विधायक को लेकर डैम से लेकर रायपुर तक और विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र भी बुलाया गया. 01 सितम्बर को UPA के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर जल्द राजनीतिक भ्रम की स्थिति दूर करने की गुहार लगाई थी, जिसपर आज राज्यपाल ने जल्द ही अपना मंतव्य से निर्वाचन आयोग को भेज देने की बात कही थी. लेकिन आज तक स्थिति जस की तस बनी हुई है. शुक्रवार को जब टीबी उन्मूलन अभियान के कार्यक्रम के बाद मीडियाकर्मियों ने राज्यपाल से निर्वाचन आयोग के लिफाफे को लेकर सवाल किया तो राज्यपाल ने कहा कि इतना चिपका है लिफाफा कि खुल ही नहीं रहा है.