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सरकार ने टीएसी के गठन का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा, जनजातियों का होगा कल्याण - टीएसी के लिए राज्यपाल के पास प्रस्ताव

जनजातियों के कल्याण से जुड़ी योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन को प्रभावी बनाने के लिए जनजातीय सलाहकार परिषद यानी टीएसी के गठन का प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है.

टीएसी के लिए राज्यपाल के पास प्रस्ताव, TAC constituted in Jharkhand
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Published : Oct 31, 2020, 10:21 PM IST

रांची: सरकार ने टीएसी के गठन का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा है. प्रस्ताव में टीएसी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होंगे. अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री यानी चंपई सोरेन उपाध्यक्ष होंगे. इसके अलावा सोलह विधायक सदस्य, परिषद में चार नामित सदस्य और एक विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे. परिषद राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित योजनाओं पर विचार-विमर्श करेगा.

ट्राईबल एडवाइजरी काउंसिल के गठन की मांग लंबे समय से हो रही थी. 2019 में भाजपा की हार के साथ ही उस वक्त की काउंसिल स्वत: भंग हो गई थी. पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले राज्यों में टीएसी की भूमिका अहम होती है . काउंसिल का काम होता है जनजातियों के कल्याण से जुड़ी नीतियां बनाना और उनकी बेहतरी से जुड़े सुझाव राज्यपाल को देना.

पिछली सरकार में मुख्यमंत्री रघुवर दास टीएसी के अध्यक्ष थे लेकिन उनके आदिवासी नहीं होने के कारण सवाल भी खड़े किए गए थे. रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान ट्राइवल एडवाइजरी काउंसिल में धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को आरक्षण से बेदखल करने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी. हालांकि इस पर निर्णय नहीं हुआ था. इसके अलावा आदिवासी महिलाओं के जाति प्रमाण पत्र में पति का नाम दर्ज करने का प्रस्ताव लाया गया था, ताकि यह पता चल सके की जमीन खरीदने की नीयत से आदिवासी महिलाओं से गैर आदिवासी की शादी तो नहीं हो रही है. सीएनटी के मसले पर तत्कालीन आजसू के विधायक विकास मुंडा ने टीएसी की सदस्यता से इस्तीफा भी दिया था.

रांची: सरकार ने टीएसी के गठन का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा है. प्रस्ताव में टीएसी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होंगे. अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री यानी चंपई सोरेन उपाध्यक्ष होंगे. इसके अलावा सोलह विधायक सदस्य, परिषद में चार नामित सदस्य और एक विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे. परिषद राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित योजनाओं पर विचार-विमर्श करेगा.

ट्राईबल एडवाइजरी काउंसिल के गठन की मांग लंबे समय से हो रही थी. 2019 में भाजपा की हार के साथ ही उस वक्त की काउंसिल स्वत: भंग हो गई थी. पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले राज्यों में टीएसी की भूमिका अहम होती है . काउंसिल का काम होता है जनजातियों के कल्याण से जुड़ी नीतियां बनाना और उनकी बेहतरी से जुड़े सुझाव राज्यपाल को देना.

पिछली सरकार में मुख्यमंत्री रघुवर दास टीएसी के अध्यक्ष थे लेकिन उनके आदिवासी नहीं होने के कारण सवाल भी खड़े किए गए थे. रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान ट्राइवल एडवाइजरी काउंसिल में धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को आरक्षण से बेदखल करने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी. हालांकि इस पर निर्णय नहीं हुआ था. इसके अलावा आदिवासी महिलाओं के जाति प्रमाण पत्र में पति का नाम दर्ज करने का प्रस्ताव लाया गया था, ताकि यह पता चल सके की जमीन खरीदने की नीयत से आदिवासी महिलाओं से गैर आदिवासी की शादी तो नहीं हो रही है. सीएनटी के मसले पर तत्कालीन आजसू के विधायक विकास मुंडा ने टीएसी की सदस्यता से इस्तीफा भी दिया था.

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