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विकास योजना मद की राशि का आधा भी खर्च नहीं कर पाई झारखंड सरकार, मार्च लूट की तैयारी है- सीपी सिंह

झारखंड सरकार विकास योजना मद की राशि खर्च ना कर पाने पर विपक्ष के निशाने पर है. वित्तीय वर्ष 2021-22 अपने आखिरी पड़ाव में है और आलम ऐसा है कि झारखंड के कई विभाग ऐसे हैं, जहां राशि का आधा हिस्सा भी खर्च नहीं किया गया. ऐसे में इन दो महीनों में सरकार कितना और कैसे विकास योजना मद की राशि खर्च करेगी या कर पाएगी?

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झारखंड सरकार
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Published : Feb 3, 2022, 7:21 PM IST

Updated : Feb 3, 2022, 7:45 PM IST

रांचीः वित्तीय वर्ष 2021-22 के समाप्त होने में दो महीने से भी कम समय बचे हैं. ऐसे में राज्य सरकार का हर विभाग विकास योजना मद की अधिक से अधिक राशि खर्च करने में जुटी है. लेकिन जटिल प्रक्रिया के आगे विभाग बेबस है. ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में हरेक विभाग 50 फीसदी भी राशि खर्च कर ले तो बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी.

इसे भी पढ़ें- वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट खर्च की सीएम ने की विभागवार समीक्षा, दिए कई निर्देश

झारखंड में विकास योजना का पैसा कोई भी विभाग खर्च नहीं कर पाया है. हालत ऐसा है कि कई ऐसे विभाग हैं जहां विकास योजना मद की राशि की आधी फीसदी रकम भी खर्च नहीं की गयी है. झारखंड सरकार विकास योजना मद की राशि खर्च ना कर पाने पर विपक्ष के निशाने पर है. विकास योजनाओं की राशि खर्च करने में झारखंड सरकार के कई विभाग सुस्त हैं. आलम यह है कि इस वित्तीय वर्ष 2021-22 के समापन में अब दो महीने भी नहीं बचे हैं. इसके बावजूद बजटीय प्रावधान के अनुरूप आवंटित राशि को खर्च विभाग द्वारा नहीं की जा रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

जानकारी के मुताबिक सरकार के कई विभाग 50 फीसदी का भी आंकड़ा पार नहीं कर सका है. आंकड़ों के मुताबिक विकास योजनाओं पर 31 दिसंबर 21 तक सिर्फ 20,396.70 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके हैं. यह विकास योजनाओं पर खर्च के लिए निर्धारित लक्ष्य का करीब 37 फीसदी है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकास योजनाओं पर 56,433.86 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है. विभागीय आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सरकार के अधिकांश विभाग योजना मद की राशि के मुकाबले खर्च करने में काफी पीछे है. कृषि विभाग की योजना मद राशि 3248.45 करोड़ में से 21218.79 करोड़ खर्च कर पाई है. इसी तरह ग्रामीण विकास विभाग के 7672.77 करोड़ योजना मद की राशि में से 2601.42 करोड़ खर्च हुए हैं. योजना मद राशि की तूलना में खर्च करने में सर्वाधिक परिवहन विभाग 64.64%, उच्च शिक्षा 60.80%, ऊर्जा विभाग 43.82%, स्वास्थ्य विभाग 36.25%, जल संसाधन विभाग 47.19% रहा है.

श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने अपने विभाग द्वारा किए जा रहे खर्च पर संतोष जताते हुए कहा है कि अन्य विभाग में भले ही राशि सरेंडर करें. लेकिन श्रम विभाग में 31 मार्च तक विभाग द्वारा आवंटित राशि पूरी तरह खर्च हो जाएगी. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी तक करीब 65 फीसदी राशि श्रमिकों के कल्याण पर खर्च किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि श्रम विभाग में सीमित संसाधन के बावजूद श्रमिकों के कल्याण के लिए बेहतर काम हुआ है.

विपक्ष के निशाने पर झारखंड सरकारः विपक्षी दल भाजपा ने सरकार पर विकास योजनाओं की राशि जानबूझकर खर्च नहीं कर मार्च लूट कराने का आरोप लगाई है. पूर्व स्पीकर और बीजेपी के रांची विधायक सीपी सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि राज्य सरकार विकास योजनाओं की 30 फीसदी राशि भी अब तक खर्च नहीं कर पाई है. राजधानी रांची से लेकर राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों में ना तो सड़क बन रहे हैं और ना ही पुल पुलिया तो पैसे खर्च कैसे होंगे. सरकार कोरोना का रोना और खजाना खाली होने का बहाना बनाकर जनता को ठग रही है.

रांचीः वित्तीय वर्ष 2021-22 के समाप्त होने में दो महीने से भी कम समय बचे हैं. ऐसे में राज्य सरकार का हर विभाग विकास योजना मद की अधिक से अधिक राशि खर्च करने में जुटी है. लेकिन जटिल प्रक्रिया के आगे विभाग बेबस है. ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में हरेक विभाग 50 फीसदी भी राशि खर्च कर ले तो बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी.

इसे भी पढ़ें- वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट खर्च की सीएम ने की विभागवार समीक्षा, दिए कई निर्देश

झारखंड में विकास योजना का पैसा कोई भी विभाग खर्च नहीं कर पाया है. हालत ऐसा है कि कई ऐसे विभाग हैं जहां विकास योजना मद की राशि की आधी फीसदी रकम भी खर्च नहीं की गयी है. झारखंड सरकार विकास योजना मद की राशि खर्च ना कर पाने पर विपक्ष के निशाने पर है. विकास योजनाओं की राशि खर्च करने में झारखंड सरकार के कई विभाग सुस्त हैं. आलम यह है कि इस वित्तीय वर्ष 2021-22 के समापन में अब दो महीने भी नहीं बचे हैं. इसके बावजूद बजटीय प्रावधान के अनुरूप आवंटित राशि को खर्च विभाग द्वारा नहीं की जा रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

जानकारी के मुताबिक सरकार के कई विभाग 50 फीसदी का भी आंकड़ा पार नहीं कर सका है. आंकड़ों के मुताबिक विकास योजनाओं पर 31 दिसंबर 21 तक सिर्फ 20,396.70 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके हैं. यह विकास योजनाओं पर खर्च के लिए निर्धारित लक्ष्य का करीब 37 फीसदी है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकास योजनाओं पर 56,433.86 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है. विभागीय आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सरकार के अधिकांश विभाग योजना मद की राशि के मुकाबले खर्च करने में काफी पीछे है. कृषि विभाग की योजना मद राशि 3248.45 करोड़ में से 21218.79 करोड़ खर्च कर पाई है. इसी तरह ग्रामीण विकास विभाग के 7672.77 करोड़ योजना मद की राशि में से 2601.42 करोड़ खर्च हुए हैं. योजना मद राशि की तूलना में खर्च करने में सर्वाधिक परिवहन विभाग 64.64%, उच्च शिक्षा 60.80%, ऊर्जा विभाग 43.82%, स्वास्थ्य विभाग 36.25%, जल संसाधन विभाग 47.19% रहा है.

श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने अपने विभाग द्वारा किए जा रहे खर्च पर संतोष जताते हुए कहा है कि अन्य विभाग में भले ही राशि सरेंडर करें. लेकिन श्रम विभाग में 31 मार्च तक विभाग द्वारा आवंटित राशि पूरी तरह खर्च हो जाएगी. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी तक करीब 65 फीसदी राशि श्रमिकों के कल्याण पर खर्च किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि श्रम विभाग में सीमित संसाधन के बावजूद श्रमिकों के कल्याण के लिए बेहतर काम हुआ है.

विपक्ष के निशाने पर झारखंड सरकारः विपक्षी दल भाजपा ने सरकार पर विकास योजनाओं की राशि जानबूझकर खर्च नहीं कर मार्च लूट कराने का आरोप लगाई है. पूर्व स्पीकर और बीजेपी के रांची विधायक सीपी सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि राज्य सरकार विकास योजनाओं की 30 फीसदी राशि भी अब तक खर्च नहीं कर पाई है. राजधानी रांची से लेकर राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों में ना तो सड़क बन रहे हैं और ना ही पुल पुलिया तो पैसे खर्च कैसे होंगे. सरकार कोरोना का रोना और खजाना खाली होने का बहाना बनाकर जनता को ठग रही है.

Last Updated : Feb 3, 2022, 7:45 PM IST
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