रांची: झारखंड में पहले से ही डॉक्टरों की घोर कमी है. इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे डॉक्टर भी हैं, जो झारखंड स्वास्थ्य सेवा को जॉइन तो करते हैं फिर बिना किसी जानकारी के सेवा से महीनों गायब हो जाते हैं. ऐसे डॉक्टरों पर अब झारखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने आंखें लाल कर ली है. विभाग इस तैयारी में है कि ऐसे डॉक्टरों को न सिर्फ सेवा से बर्खास्त किया जाए बल्कि, उनके डॉक्टरी का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कराया जाए (Decision to cancellation of registration of doctors).
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भेजी गई डॉक्टरों की लिस्ट: इस संबंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने नेशनल मेडिकल कमीशन की राज्य इकाई, झारखंड मेडिकल काउंसिल को पत्र भी लिखा है. जिसमें 12 ऐसे डॉक्टरों के नाम हैं जिनका रेजिस्ट्रेशन यानी निबंधन रद्द करने का आग्रह नेशनल मेडिकल कमीशन से किया गया है. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार लंबे समय से सेवा से गायब 5 और डॉक्टरों की सूची तैयार है, जिसे नेशनल मेडिकल कमीशन और झारखंड मेडिकल काउंसिल भेजना है.
क्या कहते हैं बिमलेश सिंह: झारखंड मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ बिमलेश सिंह कहते हैं कि सरकार से मिले पत्र को मार्गदर्शन के लिए NMC भेजा गया है. अभी तक उसका कोई जवाब अभी नहीं आया है. डॉ बिमलेश सिंह कहते हैं कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि सेवा से गायब रहने पर डॉक्टरी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाए.
झासा और आईएमए झारखंड ने किया विरोध: सरकारी सेवा से लंबे दिनों तक गायब रहने वाले सरकारी डॉक्टरों की बर्खास्तगी के साथ नेशनल मेडिकल कमीशन से उनके डॉक्टरी का निबंधन रद्द कराने की तैयारी का विरोध किया जा रहा है. झासा के डॉ अखिलेश झा और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉ एस प्रसाद कहते हैं कि बिना बताए सेवा से गायब होना ठीक नहीं है लेकिन, इसके लिए अब तक वैसे डॉक्टरों की बर्खास्तगी होती थी. उनका निबंधन रद्द करा देना सही नहीं है. ऐसे में आईएमए झारखंड वैसे डॉक्टरों के साथ खड़ा है, जिनका निबंधन रद्द करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने झारखंड स्टेट मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखा है, वहीं झासा के डॉ अखिलेश झा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने संघ को आश्वासन दिया है कि ऐसी कोई कार्रवाई नहीं होगी, ऐसे में संघ आगे की कार्रवाई पर नजर बनाए हुए है.
रजिस्ट्रेशन रद्द होते ही प्रैक्टिस करने के काबिल नहीं रह जायेंगे डॉक्टर्स: मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोई भी डॉक्टर तब तक प्रैक्टिस करने के योग्य नहीं होता. जब तक उसने नेशनल मेडिकल कमीशन और उसके राज्य इकाई से निबंधन नहीं कराया हो. ऐसे में अगर सेवा से लंबे दिनों तक गायब रहने वाले डॉक्टरों का निबंधन ही रद्द करा दिया जाएगा तो वह आज की तारीख में कितने भी बड़े डॉक्टर क्यों ना हों, निजी प्रैक्टिस के काबिल भी नहीं रह पायेंगे. आईएमए झारखंड और झासा इसी का विरोध कर रहे हैं और सरकार की कार्रवाई को नियम के विरुद्ध बता रहे हैं.