रांचीः जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत इन बसों को करोड़ों रुपये खर्च कर खरीदी गई थी. योजना के तहत राजधानी के विभिन्न जगहों तक लोगों को परिवहन सुविधा प्रदान करना था. लेकिन राजभवन के पास नागा बाबा खटाल में पड़े चार दर्जन से अधिक बसें यह बताने के लिए काफी है कि मैटिनेंस के अभाव में कैसे सभी गाड़ियां सड़ गई.
एक तरफ राज्य सरकार रांची में सार्वजनिक परिवहन के लिए 244 नई बसें खरीदने का निर्णय लिया है. वहीं पहले से खरीदी गई अधिकांश बसें बगैर चले ही कबाड़ में बदल गईं. ये तमाम बसें बकरी बाजार और धुर्वा में भी आपको नगर निगम की गाड़ियों को धूल फांकते नजर आ जायेंगी. कबाड़ में तब्दील बस की देखरेख में लगे राकेश पांडेय का मानना है कि ये वही गाड़ियां हैं, जिन्हें राजधानी की सड़कों पर रांची नगर निगम के द्वारा चलाया जाता था.
लेकिन थोड़ी बहुत खराबी आते ही जो गाड़ियां यहां खड़ी की गईं वो खड़ी ही रह गई आज तक कोई मैटिनेंस का काम नहीं हुआ, अंत में यह कबाड़ में तब्दील हो गया. स्थानीय लोगों का मानना है कि सरकार को नई गाड़ियां जरूर खरीदनी चाहिए मगर उनका मैटिनेंस भी होना चाहिए जो नहीं हो पाता और जनता के पैसों की बर्बादी होती है.
244 नई बसें खरीदेगी सरकारः हेमंत सरकार ने हाल ही में राजधानी रांची में सार्वजनिक परिवहन के लिए 244 नई बसें खरीदने जा रही है, जिसमें इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल हैं. झारखंड कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार 220 नॉन एसी डीजल और 24 एसी इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की तैयारी कर रही है. इन बसों की खरीद पर 605 करोड़ रुपए राज्य सरकार खर्च करेगी. इन बसों को पीपीपी मोड पर रांची नगर निगम क्षेत्र में चलाया जाएगा.
रांची शहरी क्षेत्र में चल रही सिटी बस सेवा में नगर निगम नई रूट पर बसों को चलाने की तैयारी कर रही है. जिसके तहत 13 रूट और 200 नए बस स्टॉप बनाने की तैयारी की गई है, प्रत्येक बस प्रतिदिन 174 किलोमीटर की दूरी तय करेगा. इस योजना के तहत बसों का किराया भी सरकार के द्वारा तय किया जा रहा है. जिसमें 2 किलोमीटर तक 5 रुपया, 2 से 5 किलोमीटर तक 10 रुपया और 5 से 10 किलोमीटर तक के लिए 15 रुपया और 10 किलोमीटर से अधिक होने पर 20 रुपया यात्रियों को लगेगा.
हालांकि विभाग का मानना है कि 10 वर्ष में जो पीपीपी मोड पर संचालित होगा सरकार को 247 करोड़ रुपए का घाटा होगा. क्योंकि बसों के परिचालन में 62 रुपया प्रति किलोमीटर लागत आएगी जबकि कुल राजस्व संग्रह 44 रुपया के करीब आएगा. बहरहाल सरकार ने घाटा ही सही लेकिन आम लोगों को परिवहन सुविधा देने के लिए राजधानी में नई बसों को चलाने की तैयारी की है. आवश्यकता इस बात की है कि पूर्व के अनुभव से सीख लेते हुए सरकार मेंटेनेंस पर भी ध्यान दें जिससे असमय यह गाड़ियां कबाड़ में ना तब्दील हो जाए.